असम, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, केरल और तमिलनाडु में चाय क्षेत्र की मजदूर यूनियनों ने चाय मजदूरों के बीच कोरोना के संभावित संक्रमण को नजरअंदाज करते हुए चाय बागानों के प्रचालन की और साथ ही सरकार व बागान प्रबंधन के “मुनाफा पहले, जनता अंत में” रवैये की भर्त्सना की है.
कोविड-19 निवारण के उल्लंघन व पीपीई की अपर्याप्त आपूर्ति समेत कई सवालों पर विचार करने के बाद लाॅकडाउन अवधि के लिए घोषित मजदूरी न देने, कुछ राज्यों में इसकी आधी मजदूरी के भुगतान तथा 50 प्रतिशत की बजाय सभी मजदूरों को काम पर लगाने की पृष्ठभूमि में ‘चाय श्रमिक मांग पत्र’ बनने और इसे मजदूरों के बीच प्रचारित करने का फैसला लिया गया. मांग पत्र में स्थायी और अस्थायी, दोनों किस्म के उन चाय श्रमिकों के लिए पूरी लाॅकडाउन मजदूरी के भुगतान पर जोर दिया गया है जो हार्वेस्ट मौसम में शुरू से ही काम कर रहे हैं. ऐक्टू और राज्य स्तर की चाय मजदूर यूनियनें केन्द्र व राज्य सरकारों को एक श्रापन सोंपेंगी और इसे लागू करने की मांग करेंगीं.
चाय क्षेत्र से आन वाले विधायकों व सांसदों को भी इस बात के लिए सहमत कराया जाएगा कि वे इस मांग पत्र का समर्थन करते हुए, अथवा कम-से-कम लाॅकडाउन मजदूरी के संबंध में मोदी के वादों के क्रियान्वयन तथा 8 घंटे के कार्यदिवस के लिए पूरी मजदूरी के भुगतान की मांग करते हुए केन्द्र व राज्य सरकारों को पत्र लिखें. बैठक में कार्य-पाली की अवधि को 12 घंटे करने के प्रस्ताव की भी निंदा की गई.
सरकार पर दबाव डालने के मकसद से कार्यस्थलों पर प्रतिवादस्वरूप 28 अप्रैल से “काला बिल्ला और फीता लगाने” के साथ आंदोलनात्मक गतिविधियां शुरू की जाएंगी और मई दिवस के अवसर पर इस ‘‘मांग पत्रा’’ को लेकर एक अभियान शुरू होगा जिसका झंडा पफहराकर पर्चा बांटने व रैलियां करने के जरिए व्यापक प्रचार किया जाएगा.
उन चाय बागान मालिकों के खिलाफ, जिन्होंने सभी ट्रेड यूनियनों की संयुक्त ऐक्शन कमेटी द्वारा निर्धारित मजदूरी देने से इन्कार किया है, पुलिस में शिकायतें भी दर्ज कराई जायेंगी.
कोविड-19 वैश्विक महामारी की रोकथाम के काम में सरकारों के द्वारा स्वास्थ्य कर्मियों के अलावा स्कीम वर्कर्स खासकर आशा कार्यकर्त्ता, आंगनबाड़ी व एमडीएम रसोइयों को अग्रिम पंक्ति में लगाया गया है. लेकिन, इन स्कीम वर्कर्स को कोरोना से बचाव के लिए निजी सुरक्षा उपकरण पूरी तरह से उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है और न ही इस खतरनाक काम के लिए अलग से उचित प्रोत्साहन राशि ही दी जा रही है. जगह-जगह इनके ऊपर असामाजिक तत्वों द्वारा शारीरिक हमलों और दुर्व्यवहार की भी खबरें भी आई हैं. दूसरी ओर उनकी अन्य जायज मांगों पर भी केंद्र और राज्य सरकारें निर्णय लेने में टाल-मटोल करती आ रही हैं.
इसके अलावा केन्द्र की मोदी सरकार कोविड-19 की आड़ लेकर मजदूरों के हक-अधिकारों पर तेज किए जा रहे हमले जिसमें यूनियन गतिविधियों को प्रतिबन्धित करना, 8 घंटा की जगह काम का घंटा बढ़ाकर 12 करना, कर्मचारियों-पेंशनधारियों का मंहगाई भत्ता जब्त करना, जबरिया वेतन कटौती करना इत्यादि शामिल है, को देखते हुए ऑल इण्डिया स्कीम वर्कर्स फेडरेशन ने स्कीम वर्कर्स की मांगों और कोविड-19 के क्रम में सामने आए मुद्दों पर 27 अप्रैल - 3 मई 2020 तक ‘मांग सप्ताह’ मनाने का निर्णय लिया है.
मांग सप्ताह के दौरान स्कीम वर्कर्स माथे पर ’काली पट्टी’ बांध कर डयूटी करेंगे और सीने पर ’मांग-बिल्ला’ लगायेंगे. पहली मई – ‘अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस’ के अवसर पर सभी स्कीम वर्कर्स माथे पर लाल पट्टी, लाल बैज, लाल बैण्ड धारण करेंगे. स्थानीय स्थिति के अनुसार झंडोत्तोलन किया जाएगा जहां यह करना संभव नहीं होगा, स्कीम वर्कर्स अपने-अपने दरवाजों पर अथवा घर के ऊपर लाल झंडा लगाएंगे.
राज्यों के प्रमुख नेता उक्त कार्यक्रम और मुद्दों पर केंद्रित स्व-वक्तव्य का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया और फेसबुक लाइव के माध्यम से इसे प्रचारित-प्रसारित करेंगे.
1. कोविड-19 कार्य में लगे सभी सभी स्कीम वर्करों को पीपीइ किट आपूर्त्ति करो.
2. कोविड-19 वर्कर्स को पूर्ण सुरक्षा की व्यवस्था करो.
3. सभी स्कीम वर्कर्स को 10 हजार रु. लाॅकडाउन भत्ता का भुगतान करो.
4. कोविड-19 कार्य में लगे सभी स्कीम वर्कर्स की 50 लाख का जीवन बीमा और 10 लाख का स्वास्थ्य वीमा करो.
5. स्कीम वर्कर्स को अन्य बीमा योजनाओं से आच्छादित करो.
6. सभी स्कीम वर्कर्स को सरकारी सेवक का दर्जा और समान वेतन दो. जब तक ऐसा नहीं किया जाता तबतक न्यूनतम 21 हजार रु. मासिक मानदेय का भुगतान करो.
अखिल भारतीय खेत ग्रामीण मजदूर सभा और अखिल भारतीय मनरेगा मजदूर सभा – दोनों संगठनों ने अगामी 27 अप्रैल को मनरेगा और ब्रामीण मजदूरों का मांग दिवस मनाने की घोषणा की है. मांग दिवस पर मनरेगा मजदूरों सहित सभी ग्रामीण मजदूरों को 10 हजार रु. का गुजारा भत्ता देने, कोरोना राहत अभियान समेत सभी ग्रामीण कार्यों को मनरेगा से जोड़ने, सभी मनरेगा मजदूरों को 200 दिन काम और 500 रु. दैनिक मजदूरी देने, सभी मनरेगा मजदूरों को मजदूर कल्याण बोर्ड से निबंधित करने, बिना राशन कार्ड वाले सभी गरीबों-मजदूरों को तीन महीने का मुफ्त राशन देने और तमाम प्रवासी मजदूरों की सुरक्षित घर वापसी की गारंटी करने की मांगों की तख्ती लगाकर घरों व मुहल्लों बैठने तथा नारे लगाने का कार्यक्रम किया जाएगा.
अखिल भारतीय किसान महासभा ने भी 27 अप्रैल को राष्ट्रीय स्तर पर किसान धरना देकर किसानों की समस्याओं को उठाने का फैसला लिया है। यह धरना महामारी की रोकथाम व लाॅकडाउन के लिए जारी गाइड लाइन का पूर्ण पालन करते हुए किसान महासभा कार्यालयों व किसानों के घरों में पूरे झंडा-बैनरों व पोस्टर के साथ चलेगा. किसान महासभा का नारा है: भूख, नफरत व महामारी के खिलाफ – किसानों को राहत के लिए.
धरने की मांगें हैं –
1. हर गांव में फसलों की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सरकारी खरीद की गारंटी करो!
2. प्राकृतिक आपदा, आगजनी और लाॅकडाउन से बर्बाद फसलों का 25 हजार रु. प्रति एकड़ मुआवजा दो!
3. बिजली के निजीकरण की मुहिम पर तत्काल रोक लगाओ!
4. कोरोना, लाॅकडाउन में भूख व पुलिस दमन से हुई मौतों पर 20 लाख रुपया मुआवजा दो!
5. नफरत नहीं भाईचारा को मजबूत करो – कोरोना को पराजित करो!
6. जिला स्तर पर कोरोना की निःशुल्क जांच व इलाज, आईसीयू वार्ड व वेंटिलेटर का प्रबन्ध करो!
मांगों को नारे के रूप देते हुए धरने का प्लेकार्ड बनाए जाएंगे और इन मांगों का ही ज्ञापन बनाकर धरना के माध्यम से प्रधानमंत्री को भेजा जाएगा.