5 मार्च 2020 को पटना के भारतीय नृत्य कला मंदिर में भाकपा(माले) और इंसाफ मंच द्वारा ‘सीएए, एनआरसी, एनपीआर विरोधी आंदोलन, दिल्ली राज्य प्रायोजित हिंसा से उत्पन्न स्थिति और हमारी कार्यदिशा’ विषय पर एक विचार गोष्ठी आयोजित की गई.
विचार गोष्ठी को संबोधित करते हुण् भाकपा(माले) महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि जिन ताकतों ने देश की आजादी के आंदोलन में कोई हिस्सा नहीं लिया, वे हीं आज आजादी शब्द से भड़क रही हैं. सीएए, एनआरसी व एनपीआर के खिलाफ चल रहे न्यायपूर्ण आंदोलनों के खिलाफ भाजपा ने ‘गोेली मारो’ अभियान चला रखा है. भाजपा और आरएसएस के लोग आज ‘गोली मारो गैंग’ के रूप में सामने आए हैं. दिल्ली में राज्य प्रायोजित हिंसा वाला माॅडल आज पूरे देश में थोपने की कोशिशें की जा रही हैं.
उन्होंने कहा कि दिल्ली की हिंसा को सिर्फ दिल्ली की घटना के रूप में नहीं देखना चाहिए. वे इस माॅडल को पूरे देश में थोपना चाहते हैं. दिल्ली में इस बार न तो इंदिरा गांधी की हत्या जैसी कोई घटना हुई थी, न ही गोधरा जैसा कुछ हुआ था, फिर दिल्ली को निशाना क्यों बनाया गया? दिल्ली को इसलिए निशाना बनाया गया कि वह अभी आंदोलनों का भी केंद्र बना हुआ है – वहां जेएनयू, जामिया और शाहीनबाग के आंदोलन है. दूसरा दिल्ली विधानसभा को जीतने के लिए भाजपा ने सबसे घटिया किस्म का प्रचार अभियान चलाया, फिर भी जनता से उसे नकार दिया. दिल्ली की जनता ने भाजपा को जो तमाचा मारा है इसका बदला वे पूरी दिल्ली को हिंसा व उपद्रव की आग में झोंक कर चुका रहे हैं. उपद्रवियों की गिरफ्तारी की बजाय उन्हें सुरक्षा प्रदान किया जा रहा है. देश में थोपे जा रहे इस फासीवादी माॅडल को पूरी तरह से ध्वस्त करने का संकल्प लेना होगा.
का. दीपंकर ने कहा कि संघ-भाजपा के निशाने पर केवल मुस्लिम या कम्युनिस्ट ही नहीं बल्कि आंदोलन करने वाले सभी लोग हैं. निजीकरण के खिलाफ लड़नेे वाले रेलवे मजदूर, स्मार्ट सिटी के खिलाफ संघर्ष कर रहे सभी गरीब, शिक्षा व रोजगार मांग रहे छात्र-नौजवान सभी उसके निशाने हैं.
उन्होंने कहा कि बिहार के विकास के बुनियादी सवालों से विश्वासघात करने वाले नीतीश कुमार अब उन मुद्दों को बकवास बता रहे हैं. दरअसल, विगत पंद्रह वर्षों में नीतीश जी ने बिहार की जनता के साथ केवल बकवास ही किया है और बिहार को पीछे धकेलने का काम किया है. नीतीश जी यहां के दलित-गरीबों की सबसे पुरानी मांग को बकवास कहा है. दरअसल, उन्होंने खुद को बिहार की राजनीति में अपने को बकवास साबित किया है. न्याय के नाम पर अन्याय ही हुआ है. वे दिल्ली में भाजपा का चुनाव प्रचार करने गए थे और दिल्ली हिंसा पर उन्होंने शर्मनाक चुप्पी साध रखी है. वे बिहार में भाजपा के प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने का ही काम कर रहे हैं.
मोदी और नीतीश कुमार दोनों बकवास करने वाले लोग हैं. इसलिए दोनों के बीच एकता बनी है. इस मोर्चे के खिलाफ बड़ी एकता कायम कर एक बडी लड़ाई कैसे छेड़ी जाए हमें इस पर और गंभीरता से काम करना होगा. बिहार में विधानसभा चुनाव आने वाला है. हम चाहते हैं कि जिस प्रकार दिल्ली व झारखंड की जनता ने भाजपा को करारा तमाचा जड़ा, बिहार की जनता भी उन्हें करारी शिकस्त दे. इसके लिए हमें लोकसभा चुनाव में हुए तालमेल से आगे निकलना होगा और इसमें संघर्ष की ताकतों को प्राथमिकता देनी होगी.
बिहार विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष व राजद नेता उदयनारायण चौधरी ने कहा कि भाजपा केवल गाय-गोबर, और हिन्दू-मुस्लिम की चर्चा कर रही है. देश की आर्थिक स्थिति लगातार खराब हो रही है. दलितों, पिछड़ों, आदिवासियों व मुसलमानों के अधिकारों पर हमला और आरक्षण को खत्म किया जा रहा है. इसकी शुरूआत भी नीतीश राज में प्रोन्नति में आरक्षण के खात्मे से हुआ. जबकि जरूरत अंग्रेजी राज में बने देशद्रोह जैसे कानूनों को खत्म करने की है.
साहित्यकार प्रेम कुमार मणि ने कहा कि आज हमारा भारत वह भारत नहीं रहा जिसे हमारे पूर्वजों ने सजाया था. उसे बर्बाद किया जा रहा है. हमें इसे रोकना होगा. प्रो. डीएम दिवाकर ने कहा कि आज देश चौराहे पर खड़ा है जहां एक ओर भाजपा के जरिए खड़े किए जा रहे तीन तलाक, राम मंदिर, धारा 370, लव जेहाद जैसे सतही मुद्दे हैं तो दूसरी ओर आम लोगों के जीवन, रोजी-रोटी, मकान, शिक्षा व स्वास्थ्य जैसे ज्वलंत सवाल हैं.
माकपा नेता अरूण कुमार मिश्रा ने कहा कि यदि भाजपा के लोग देश के संविधान को बदलने पर अमादा हैं, तो हम भी सीएए, एनआरसी व एनपीआर जैसे काले कानूनों को पूरी तरह से खारिज करने के प्रति प्रतिबद्ध हैं. माकपा के रवीन्द्र नाथ राय ने संघ-भाजपा के खिलाफ बड़ी एकता के निर्माण का आह्वान किया. शिक्षाविद मो. गालिब ने मौजूदा परिस्थिति में सभी वाम दलों से एकजुट होकर न्यूनतम साझा कार्यक्रम के आधार पर संघर्ष खड़ा करने की अपील की. सामाजिक कार्यकर्ता रूपेश ने इस आंदोलन के दौरान झूठे मुकदमे में फंसाए गए लोगों को न्याय दिलाने के लिए आंदोलन खड़ा करने की अपील की. ऐपवा नेता का. मीना तिवारी ने आंदोलन में मुस्लिम महिलाओं की भागीदारी को रेखंकित करते हुए इसे ऐतिहासिक बताया. सीएए, एनआरसी और एनपीआर विरोधी विचार गोष्ठी को पीयूसीएल के सरफराज, वामसेफ के एहसान अहमद, सामाजिक कार्यकर्ता शाहिद कमाल आदि ने भी संबोधित किया.
गोष्ठी का संचालन भाकपा(माले) के पोलित ब्यूरो सदस्य का. धीरेन्द्र झा ने किया जबकि वरिष्ठ माले नेता का. केडी यादव, इंसाफ मंच के राज्य सचिव कयामुद्दीन अंसारी, सूरज कुमार सिंह, नेयाज अहमद व जूही महबूबा ने इसकी अध्यक्षता की. पूर्व सांसद रामेश्वर प्रसाद, ऐपवा नेत्री सरोज चौबे व शशि यादव, लोकतांत्रिक जन पहल की कंचन वाला, सर्वहारा संयुक्त मोर्चा के अजय कुमार तथा मो. शाहनवाज हुसैन (हारून नगर, फुलवारीशरीफ), प्रदीप यादव (सीवान), मो. अफसर इमाम (बेतिया), मो. जाकिर हुसैन (अबरपुल, आरा), शाकिर मल्लिक (जमुई), वसीम अंजूम (मोतिहारी), आइ हक व नुरूल इस्लाम (बेगूसराय), मो. साजिद (जहानाबाद), अमीन भारती (गड़हनी, भोजपुर), आदम परवेज (छोटी खगौल), मो. जीशान, जौहर, मोहराब आलम, शब्बीर हुसैन (क्रमशः नौसा, खलीलपुरा, सिगोड़ी व इसोपुर, पटना) आदि शाहीनबाग आंदोलनों के प्रतिनिधिभी शामिल हुए.
गोष्ठी की शुरूआत दिल्ली में हिंसा के शिकार हुए लोगों को श्रद्धांजलि देने के साथ हुई. जन गायक सिंगासन (कैमूर) व राजन कुमार (हिरावल, पटना) द्वारा गीतों की प्रस्तुति के बाद भाकपा(माले) राज्य सचिव का. कुणाल ने विचार-विमर्श के लिए एक संक्षिप्त आधार पत्र प्रस्तुत किया. गोष्ठी ने न्याय व अधिकार के सवाल पर चल रहे आंदोलनों को बदनाम करने, उन्हें दबाने की साजिशें रचने और पूरे देश में फासीवादी माॅडल खड़ा करने की भाजपाई कोशिशों, राज्य प्रायोजित हिंसा, पुलिस तंत्र के पूर्ण सांप्रदायिकरण, विगत 3 मार्च को आहूत यंग इंडिया अधिकार मार्च पर हुए पुलिसिया दमन की कड़ी निंदा करते हुए दिल्ली में नफरत व उन्माद की राजनीति को बढ़ावा देने वाले कपिल मिश्रा जैसे दंगाइयों को अविलंब गिरफ्तार करने व देश के गृह मंत्री अमित शाह से अपने पद से तत्काल इस्तीफा देने की मांग की. गोष्ठी ने दिल्ली हिंसा पर नीतीश कुमार की चुप्पी की कड़ी निंदा का प्रस्ताव पारित किया.
विचार गोष्ठी ने संविधान व लोकतंत्र बचाने की लड़ाई लड़ रहे जेएनयू के छात्र नेताओं से लेकर कर्नाटक के स्कूली बच्चों तक पर थोपे गए राजद्रोह के मुकदमों को वापस लेने, ब्रिटिशकालीन राजद्रोह के प्रावधान को ही खत्म करने की मांग तथा सीएए-एनआरसी-एनपीआर के खिलाफ चल रहे आंदोलन में दलित-गरीबों समेत व्यापक जनता की गोलबंदी बढ़ाते हुए संपूर्ण पैकेज को खारिज करने की दिशा में आंदोलन को और व्यापक बनाने, आंदोलनकारियों के बीच एकता व समझदारी बढ़ाने, बिहार में एनपीआर पर संपूर्णता में रोक लगाने की मांग पर आने वाले दिनों में पूरे राज्य में पंचायती राज संस्थाओं तथा ग्राम सभाओं के जरिए इन काले कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने अभियान चलाने का संकल्प संबंधी प्रस्ताव भी लिए गए.
बिहार में जल-जीवन-हरियाली योजना के नाम पर लाखों दलित-गरीबों को वास-आवास से उजाड़ने की नोटिसों को तत्काल वापस लेने, बिना वैकल्पिक व्यवस्था के कहीं भी गरीबों को विस्थापित नहीं करने तथा सभी भूमिहीनों के आवास की गारंटी करने तथा आरक्षण की गारंटी के लिए बिहार विधानसभा से तत्काल प्रस्ताव पारित करने की मांग की गई. गोष्ठी ने बिहार में हड़ताली शिक्षकों से वार्त्ता कर उनकी मांगों पर उचित कार्रवाई करने और शिक्षकों पर दर्ज किए गए मुकदमों की वापसी की मांग भी की गई.