ऐपवा ने वाराणसी में महिला अधिकार मार्च संगठित किया जिसमें महिला श्रमिकों और छात्राओं ने बड़ी संख्या में हिस्सेदारी की. बीएचयू के लंका गेट से बीएचयू की प्रोफेसर प्रतिमा गोंड के नेतृत्व में निकाला गया यह मार्च रविदास गेट पर आकर सभा में तब्दील हो गया.
सभा को सम्बोधित करते हुए ऐपवा जिला सचिव स्मिता बागड़े ने कहा कि 8 मार्च 1910 में महिला मजदूरों के संघर्ष से ही अस्तित्व में आया और आज हमने उन्हीं महिलाओं के संघर्ष की बदौलत 8 घण्टे काम, समान मजदूरी जैसे तमाम अधिकारों को अर्जित किया है. डीएलडब्ल्यू कर्मचारी एम. भावना ने कहा कि महिलाओं को सशक्त करने के लिए संविधान के माध्यम से जो अधिकार आधी आबादी को मिले हैं उनकी हिफाजत के लिए हमेशा संघर्ष करते रहना होगा.
घरेलू कामगार महिला शीला और विमला ने कहा कि सरकार को घरेलू कामगार महिला श्रमिकों के सम्मानजनक रोजगार की गारंटी को भी सुनिश्चित करना चाहिए ताकि वे भी सम्मानजनक जिंदगी जी सकें. बीएचयू की छात्रा प्रिया ने कहा कि योगी सरकार बलात्कारियों को संरक्षण देना बंद करे और भाजपा मंत्री चिन्मयानंद की जमानत रद्द कर उन पर कड़ी कानूनी कार्रवाई करे ताकि न्याय प्रक्रिया में महिलाओं का विश्वास बना रहे.
महिलाओं ने 8 मार्च अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस को अवकाश घोषित करने ताकि देश की हर महिला संघर्ष के इस उत्सव को ख़ूबसूरती और जज्बे से मना सके, की मांग की. होली पर्व पर महिला दहन की सामन्ती परम्परा के खिलाफ भी आवाज उठाई गई और संकल्प लिया गया. लेखक और चिंतक का. वीके सिंह, लोकमंच के संजीव सिंह और डीएलडब्ल्यू से ट्रेड यूनियन नेता राजेन्द्र, शिक्षिका शिल्पा व काजल ने भी सभा को संबोधित किया.
मार्च में ऐपवा सहसचिव सुजाता भट्टाचार्य, उपाध्यक्ष विभा प्रभाकर, विमला, बबिता, कुसुम, प्रिया, शहजादी, श्रुति, नेहा, सरिता, हेना, मंजू, रंजीता, कमलेश यादव, नीतेश, चंदा, सुनीता, ज्योति आदि महिलाओं ने शिरकत की. यौधेश, शुभम ने क्रातिकारी महिला गीतों की प्रस्तुति की. कार्यक्रम का संचालन कुसुम वर्मा ने किया.
लखनऊ में ऐपवा समेत कई महिला संगठनों ने चौक स्थित घंटाघर पर सीएए-एनआरसी-एनपीआर के खिलाफ डेढ़ माह से भी ज्यादा समय से निरंतर आंदोलनरत महिलाओं के साथ मिलकर महिला दिवस मनाया और संयुक्त मार्च निकाला. महिलाओं ने मोदी सरकार की निरंकुशता और योगी सरकार द्वारा आंदोलन पर के दमन के खिलाफ नारे लगाये. उपस्थित महिलाओं को कामरेड मीना (ऐपवा), मधु गर्ग (एडवा), आशा मिश्रा (महिला फेडरेशन), वंदना मिश्रा (नागरिक अधिकार कार्यकर्ता) आदि ने संबोधित किया. विमल किशोर ने “कारवां चलता रहेगा” शीर्षक कविता सुनाई.
देवरिया में ऐपवा ने मार्च निकाला. सुभाष चौक से शुरू कर यह मार्च मालवीय रोड, सिविल लाइन रोड, रोडवेज बस अड्डा होते हुए पुनः सुभाष चौक पहुंचा. इसके पहले, जिला प्रशासन ने सीएए-एनआरसी के मुद्दे पर जुलूस नहीं निकालने के लिए काफी दबाव बनाया पर महिलाओं ने प्रशासन की एक न सुनी. ऐपवा नेता गीता पांडेय, ऐक्टू नेता प्रेमलता पांडेय व अन्य वक्ताओं ने सभा को संबोधित किया.
गोरखपुर में ऐपवा ने संविधान बचाओ-देश बचाओ धरना देकर दिल्ली हिंसा के लिए गृहमंत्री अमित शाह से इस्तीफे की मांग की. चंदौली जिले के मुगलसराय में प्रतिरोध मार्च निकाला गया जिसका नेतृत्व ऐपवा जिलाध्यक्ष का. मुन्नी, सचिव प्रमिला मौर्य व संतोषी ने किया. मिर्जापुर में माले राज्य कमेटी सदस्य का. जीरा भारती के नेतृत्व में मार्च निकाला गया और सभा हुई.
लखीमपुर खीरी शहर में ऐपवा प्रदेश उपाध्यक्ष आरती राय के नेतृत्व में सांप्रदायिकता के खिलाफ अमन व शांति के लिए निकाले गए प्रतिरोध मार्च के बाद शहीद नसरुद्दीन मौजी मैदान में सभा आयोजित की गई. सीतापुर शहर में ऐपवा जिलाध्यक्ष सरोजिनी के नेतृत्व में महिलाओं ने मार्च निकाला. सभा को अनामिका सरोज व कई माले नेताओं ने भी संबोधित किया.
पीलीभीत में माले जिला कार्यालय पर महिलाओं की बैठक आयोजित की गई. ऐपवा प्रदेश अध्यक्ष का. कृष्णा अधिकारी ने बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि मौजूदा निजाम में महिलाओं की आवाज को बंद करने की कोशिश हो रही है. लेकिन, महिलाएं इसे हरगिज नहीं होने देंगी. बैठक में ऐपवा नेता कुलसुम, आरिफा, मारिया, माया जायसवाल आदि मौजूद थीं.
फैजाबाद (अयोध्या) में महिला हिंसा, सम्मान, सुरक्षा व बराबरी विषय पर गोष्ठी आयोजित की गई. गोष्ठी की अध्यक्षता रीता गौड़, उषा यादव व सरोज यादव ने संयुक्त रूप से की. संचालन सुनीता गौड़ ने किया. गोष्ठी को अन्य महिला वक्ताओं के अलावा माले जिला प्रभारी अतीक अहमद व आरवाईए नेता राम सिंह ने भी संबोधित किया.
मथुरा जिले में दौलतपुर गांव में ऐपवा की विचार गोष्ठी को जिला संयोजक ममता चौधरी ने संबोधित किया. उन्होंने आज के दिन का महत्व समझाते हुये संगठन का विस्तार करने और पितृसत्ता व मनुवाद के खिलाफ संघर्ष तेज करने का आह्वान किया. डेमोक्रेटिक लायर्स एसोसिएशन (डीएलए) के प्रदेश संयोजक नशीर शाह एडवोकेट ने भी अपने विचार रखे. गोष्ठी में गुड्डी, गीता, अनीता, लज्जा, प्रवेश, राजन देवी, सुमन, अंगूरी, कलावती, वीरवती, मीना, लच्छो, कंचन, पुष्पा, राजवती, सत्यवती, मीरा, नीलम, निर्मला, राजो, रूपम देवी, सूरजमुखी, द्रोपद, शंकुतला, कमलेश, हरदेई, मनदेई, कमला, राधिका, ममता, रजनी, फूलवती, सावित्री, प्रीति आदि मौजूद रहीं. इलाहाबाद ;प्रयागराजद्ध में इस मौके पर महादेवी वर्मा पार्क (सिविल लाइन्स) से जुलूस निकाला गया.
मानसा (पंजाब) में इस मौके पर महिलाओं ने रैली निकाली. संविधान बचाओ मंच, पंजाब के बैनर तले आयोजित रैली को जेएनएसयू की पूर्व अध्यक्ष का. गीता कुमारी ने भी संबोधित किया. मनजीत कौर औलख, बलविंदर कौर खारा, रानी कौर अच्चरवाल, किरण रानी एमसी समेत सौ साल की माता मुखत्यार कौर के नेतृत्व में आयोजित हुई रैली में सीएए, एनआरसी व एनपीआर के खिलाफ चल रहे आंदोलन में शामिल सैकड़ों महिलाएं शामिल हुईं.
का. गीता कुमारी ने रैली को संबोधित करते हुए कहा कि आज देश में महिलाओं के नेतृत्व में दूसरी जंगे-आजादी लड़ी जा रही है. यह आंदोलन हर किसी के सम्मान और अधिकार की रक्षा का गवाह बनेगा. नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वूमैन की महासचिव कंवलजीत कौर ढिल्लो ने कहा कि महिलाओं का यह जलसा हर उस विचार और अमल के खिलाफ है जो महिलाओं को मनुष्य के बजाय सिर्फ वस्तु समझती है. रैली को पंजाब महिला सभा की प्रदेश अध्यक्ष नरिंदर कौर सोहल, ऐपवा की नेता जसवीर कौर नत्त, पंजाब मंच की नेता एडवोकेट हरमीत कौर बराड़ और एडवोकेट बलवीर कौर ने भी संबोधित किया.
रामगढ़ जिले के पोचरा ग्राम में ऐपवा की ओर से अंरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया. महिला अधिकारों के लिए संघर्ष में शहीद महिलाओं को मौन श्रद्धांजलि देने के बाद आयोजित सभा को संबोधित करते हुए ऐपवा जिला सचिव नीता बेदिया ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के महत्व पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि एनआरसी, सीएए और एनपीआर का सबसे बुरा प्रभाव महिलाओं के जीवन पर पड़ेगा. भाजपा सरकार नागरिकता व संविधान पर निरंतर हमला बोल रही है. एनआरसी, सीएए और एनपीआर को रद्द करने की लडाई हम महिलाओं को आगेे बढकर लडनी होगी. ऐपवा जिला अध्यक्ष कांति देवी, झूमा घोषाल, पार्वती देवी, सरिता देवी, पंचमी देवी, फुलवा देवी, पुष्पा देवी, गिरिजा देवी, मिलापो देवी, बिंदिया देवी, ममता देवी, सांझो देवी, भावना देवी, उपासी देवी, मालवा देवी, शांति देवी, मिली देवी, गीता देवी, सुरती देवी आदि ने भी अपनी बातें रखीं.
इसी दिन बगोदर बस स्टैंड में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ ऐपवा की ओर से आयोजित तीन दिवसीय (6 मार्च-8 मार्च) महाधरना का समापन हुआ. धरना में बगोदर पश्चिमी जोन के विभिन्न गांवों से बड़ी संख्या में महिला-पुरुषों ने हिस्सा लिया. भाकपा माले विधायक का. विनोद कुमार सिंह ने धरने को संबोधित किया. नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में आगामी 19 मार्च को राजधनवार में आयोजित जन कन्वेंशन को सफल बनाने के आह्वान से धरने की समाप्ति की घोषणा की गयी.
जमशेदपुर में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर ऐपवा ने ‘दिखावा नहीं, हिस्सेदारी चाहिए’ नारे के तहत मार्च निकाला. इस मार्च से देश भर में हो रहे सड़क से संसद तक के आंदोलनों के साथ एकजुटता का संकल्प लिया गया और परिवार, समाज, सरकार द्वारा महिलाओं से भेदभाव का विरोध किया गया. मार्च को ऐपवा की झारखंड राज्य अध्यक्ष सविता सिंह, चांदमनी पिंगुवा, गीता सुंडी, सोनी मिश्रा, सुनीता सिंह ने संबोधित किया. छात्रा अदिति सिंह ने महिला उत्पीड़न और समाज की मूकदर्शिता पर अपनी कविता ‘नारी हूं मैं’ की जोशीली प्रस्तुति की. कार्यक्रम की अध्यक्षता कल्पना और संचालन मूर्ति ठाकुर ने किया.
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर ऐपवा ने महिला विरोधी सीएए, एनआरसी व एनपीआर की वापसी की मांग पर पूरे बिहार में मार्च निकाला.
पटना में ऐपवा की राज्य सचिव शशि यादव, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रो. भारती एस कुमार व पटना जिला की सचिव अनीता सिन्हा की अगुआई में बुद्धा स्मृति पार्क से मार्च निकाला गया. मार्च के बाद सभा को संबोधित करते हुए शशि यादव ने कहा कि सीएए, एनआरसी व एनपीआर पूरी तरह से महिला विरोधी भी है. इन कानूनों के खिलाफ चल रही लड़ाई में महिलायें अगली कतार में हैं और वे नया इतिहास रच रही हैं. शाहीनबाग व जेएनयू-जामिया से लेकर बिहार के दूर-दराज के इलाकों में चल रहे शाहीनबाग आंदोलनों का नेतृत्व महिलाओं के हाथों में है. इस आंदोलन में महिलाओं की ऐतिहासिक भागीदारी भाजपा व आरएसएस के गले नहीं उतर रही है. उन्होंने पूरे देश में हमले संगठित करना आरंभ कर दिया है और नफरत की राजनीति को बढ़ावा दे रहे हैं.
प्रो. भारती एस कुमार ने कहा कि न्याय व अपने अधिकार के सवाल पर पूरे देश में महिलायें सड़कों पर हैं. उनके प्रतिनिधियों से बात करने के बजाए प्रधानमंत्री मोदी महिला सशक्तीकरण के झूठे दिखावों में व्यस्त हैं. आज के लिए अपना सोशल मीडिया एकाउंट महिलाओं को इंस्पायर करने के लिए महिलाओं को सौंपने की बात करनेवाले मोदी क्या यह बताएंगे कि जो उनके भक्त महिलाओं को गालियां क्यों दिया करते हैं, उनकी हत्या का जश्न क्यों मनाते हैं और वे भी वैसे लोगों को क्यों फाॅलो करते हैं? भाजपा व आरएसस के लोग सर्वाधिक महिला विरोधी हैं और हम सब महिलायें उनके इस चरित्र को बखूबी समझने लगी हैं.
अनिता सिन्हा ने कहा कि आज महिलायें सड़कों पर है और दिन-प्रतिदिन अपने अधिकार के प्रति सचेत हो रही हैं, इसलिए उनपर हमले भी तेज हो रहे हैं. रीना प्रसाद, कैशर, अनुराधा, राखी मेहता, नसरीन बानो, मधु, माधुरी गुप्ता आदि ने भी सभा को संबोधित किया.
बेगूसराय में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर ऐपवा ने कमलेश्वरी भवन से मार्च निकाला जो विभिन्न मार्गों से होते हुए कैंटीन चौक पहुंचा. वहां आयोजित सभा को किरण देवी, मीरा देवी, संजू देवी, आशा देवी, शोभा देवी, कलावती देवी, शैल देवी, पूनम देवी, गिरीशा देवी, मकर्रमी खातुन, रविना खातुन, फातिमा खातुन, हसबुल खातुन, कोरैशा खातुन, रुखसाना खातुन व रौशन खातुन ने संबोधित किया. महिलाओं ने कहा कि मोदी सरकार महिलाओं के अधिकार पर हमला बोल दिया है. केन्द्र व राज्य की मोदी-नीतीश सरकार ठेका पर कार्यरत स्कीम वर्कर्स को न्यूनतम मजदूरी तथा हत्या-बलात्कार से पीड़ित महिलाओं को न्याय दिलाने में ये सरकारें विफल रही है.
महिलाओं ने नबाव चौक पर जारी सीएए विरोधी अनिश्चितकालीन धरना में शामिल होकर एकजुटता जाहिर की और बेखौफ आजादी, लोकतंत्र व बराबरी की लड़ाई को और तेज करने की संकल्प लिया. केंद्र-राज्य सरकारों से सीएए, एनपीआर और एनआरसी को पूर्ण रूप से वापस लेने, दिल्ली में भाजपा प्रायोजित जनसंहार के जिम्मेवार भाजपा नेता कपिल मिश्रा व अनुराग ठाकुर समेत सभी दोषियों पर मुकदमा दर्ज कर उन्हें तत्काल गिरफ्रतार करने और देश को हिंसा की आग में झोंकने के जिम्मेवार गृहमंत्री अमितशाह से इस्तीफा देने की मांग की गई.
मुंगेर में पिछले 52 दिनों से लगातार जारी धरना स्थल वीर अब्दुल हमीद चौक से ऐपवा के बैनर तले जुलूस निकाला गया जो गांधी चौक व शहर के मुख्य बाजारों से गुजरते हुए भगत सिंह चौक पहुंचा और वहां से पुनः धरना स्थल आकर सभा आयोजित हुई. जुलूस में शामिल महिलाओं का नेतृत्व ऐपवा की राज्य अध्यक्ष सरोज चैबे, शाहीनबाग धरना, मुंगेर कीे संचालक स्वीटी, निम्मी, निशांत, आरिफा तथा बिहार राज्य विद्यालय रसोइया संघ की नेता बीना सिंह, संध्या देवी व गीता देवी कर रही थीं. महिलाएं एनपीआर, एनआरसी व सीएए के खिलाफ लगातार नारे लगा रही थीं. एसयूसीआई से सम्बद्ध महिला सांस्कृतिक संगठन की महिलाएं भी अपने झंडा-बैनर के साथ जुलूस में शामिल हुईं.
मधुबनी में ऐपवा कार्यकर्ताओं ने स्टेशन चौक से जिला समाहरणालय तक प्रतिरोध मार्च निकाला. निर्भया बलात्कार हत्या के दोषियों व भाजपा नेता चिन्मयानंद, आशाराम व राम रहीम जैसे बलात्कारियों को अविलंब सजा देने, सीएए-एनआरसी-एनपीआर को वापस लेने, संसद व विधानसभाओं में महिलाओं को आरक्षण देने की मांग किया गया. मार्च का नेतृत्व ऐपवा जिला सचिव पिंकी सिंह, रीता देवी व किरण दास आदि ने किया.
दरभंगा में ऐपवा ने पोलो मैदान से लहेरियासराय टावर और पुनः टावर से पोलो मैदान तक “भारत की हर महिला मांगे शांति, न्याय, बहनापा” के उद्घोष के साथ मार्च निकाला. इसका नेतृत्व ऐपवा जिला सचिव शनिचरी देवी, सह सचिव रशीदा खातून, मधु सिन्हा, गुड़िया देवी, प्रमिला देवी, डोमनी देवी, कौशर खातून, शाहजहां खातून, साजिदा खातून, रीता देवी, रानी देवी, रूबी खातून, शांति देवी ने किया. पोलो मैदान में मधु सिन्हा की अध्यक्षता में आयोजित सभा को संबोधित करते हुए रशीदा खातून ने कहा कि ‘बहुत हुआ महिलाओं पर वार, अबकी बार मोदी सरकार’ का नारा देनेवाली मोदी सरकार जब से आई है महिलाओं पर अत्याचार की बाढ़ आ गई है.
गया में ऐपवा व बिहार राज्य रसोईया संघ के बैनर सेे मार्च निकाला गया. ऐपवा नेता रीता वर्णवाल, रिंकू देवी, विभा भारती, अनीता देवी, भारती देवी, खूशबू कुमारी, सरोज देवी व शोभा देवी के नेतृत्व में हुए मार्च के जरिए सीएए-एनआरसी-एनपीआर वापस लेने, समान काम के लिए समान मजदूरी देने व संसद-विधानसभाओं में महिला आरक्षण लागू करने की मांग की गई. जहानाबाद में महिला नेता का. कुंती देवी व ऐपवा जिला संयोजक रेणु देवी के नेतृत्व में मार्च निकाला गया.
सीवान में ऐपवा के बैनर तले मार्च निकाला गया. यह मार्च सीएए, एनपीआर, एनआरसी के खिलाफ चल रहे अनिश्चितकालीन धरनास्थल तक गया. वहां से धरना में शामिल महिलाएं भी इसमें शामिल हुईं. भारी तादाद जुटी हिन्दू और मुस्लिम दोनों ही समुदाय की महिलाओं ने शहर के मुख्य मार्गोंं से होकर एक बड़ा जुलूस निकाला और धरनास्थल लौटकर वहां सभा आयोजित की.
मुजफ्फरपुर में ऐपवा के बैनर तले आयोजित महिला कन्वेंशन में बड़ी संख्या में महिला कार्यकर्ताओं – शहरी व ग्रामीण महिलाएं तथा रसोइया बहनें शामिल हुईं. ऐपवा जिलाध्यक्ष शारदा देवी व जिला शर्मिला देवी, निर्मला सिंह, चंद्रकला देवी, प्रमिला देवी, सुलेखा देवी, शांति देवी और शहनाज बेगम के साथ ही चर्चित बुद्धिजीवी प्रो. भवानी राय ने भी कन्वेंशन को संबोधित किया. कन्वेंशन से सीएए, एनपीआर व एनआरसी वापस लेने तथा 33 प्रतिशत महिला आरक्षण को लागू करने की मांग की गई और देश भर में चल रहे शाहीन बाग आंदोलनों का समर्थन किया गया.
बिहार के भोजपुर, नवादा, जमुई, भागलपुर, गोपालगंज व समस्तीपुर में भी ऐपवा के बैनर से और मोतिहारी, सीतामढ़ी, खगड़िया व भभुआ तथा असम के नगावं और दीफू में महिला दिवस कार्यक्रम आयोजित हुए.