पिछले सप्ताह में, कपिल मिश्रा जैसे भाजपा नेताओं द्वारा दिये गये उकसावे भरे भाषणों ने दिल्ली में मुस्लिम अल्पसंख्यकों को निशाना बनाकर हिंसा की आग भड़का दी है. इसके दौरान दिल्ली के उत्तर-पूर्वी हिस्से में, खासकर उन चुनाव क्षेत्रों में जहां हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने जीत दर्ज की है, बड़े पैमाने पर आगजनी, लूटपाट और हत्याएं हुई हैं. कहा जा रहा है कि कम से कम 40 लोगों की मौतें हो चुकी हैं. जहां इनमें से कुछेक लोग हिंदू हैं, जिनमें एक पुलिस का हेड कांस्टेबल और एक आईबी का अधिकारी भी शामिल हैं, पर मारे जाने वाले लोगों में बहुसंख्यक मुसलमान हैं. मृतकों में कई बच्चे और एक 85-वर्षीय महिला भी शामिल हैं, जिन्हें उनके ही घर में जिंदा जला दिया गया था.
इस दौरान दिल्ली पुलिस की भूमिका साम्प्रदायिक गिरोहबंद भीड़ की रक्षा व मदद करने, उनको संरक्षण देने तथा यहां तक कि साम्प्रदायिक दंगाइयों की भीड़ में शामिल होने की रही है. दिल्ली पुलिस ने खुलेआम हिंसा की धमकी देने वाले भाजपा नेताओं को गिरफ्तार करने के लिये उंगली तक नहीं उठाई. इसके बजाय पुलिस ने उन सीसीटीवी कैमरों को तोड़ दिया ताकि दंगाइयों को शिनाख्त होने से बचाया जा सके. उन्होंने मुस्लिम विरोधी गालियों का इस्तेमाल किया, सार्वजनिक रूप से मतुसलमानों को अपमानित किया और उनकी पिटाई की, झूठे आरोपों के तहत मुसलमानों की गिरफ्तारियां कीं और मुस्लिम घरों के दरवाजे तोड़ दिये ताकि उसमें मुस्लिम-विरोधी दंगाई भीड़ घुस सके और लूटपाट मचा सके.
इस पृष्ठभमि में दिल्ली में भाकपा(माले) के कार्यकर्ताओं ने अन्य वामपंथी कार्यकर्ताओं तथा नागरिक समाज के कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर दंगे के शिकार लोगों को बचाने और उन्हें राहत देने की कोशिशें कीं, नफरत भड़काने वालों एवं दंगाइयों की गिरफ्तारी की जोरदार मांग उठाई तथा केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह से इस्तीफे की मांग की, और हिंसा की आग को दिल्ली के अन्य इलाकों में फैलने से रोकने के भरसक प्रयास किये.
25 फरवरी को दंगे से चिंतित नागरिकों एवं महिला अधिकार कार्यकर्ताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने, जिसमें भाकपा(माले) की पोलिटब्यूरो सदस्य एवं ऐपवा की राष्ट्रीय सचिव कविता कृष्णन भी शामिल थीं, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उप-मुख्यमंत्री मनीश सिसौदिया से मुलाकात की. प्रतिनिधिमंडल ने दिल्ली सरकार से और भी लक्षणीय तथा सक्रिय पहलकदमी वाले कदम उठाने की जोरदार मांग की ताकि हिंसा को रोका जा सके, कानून व्यवस्था बहाल की जा सके, सुरक्षा एवं शांति को सुनिश्चित किया जा सके तथा असुरक्षित नागरिकों में आत्मविश्वास भरा जा सके.
जिन सुझावों पर चर्चा हुई वे इस प्रकार हैं:
प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री को कुछेक ऐसी जगहों की, जहां स्थिति ज्यादा खतरनाक है, जमीनी स्थिति के बारे में अद्यतन जानकारी भी दी, खासकर मुस्तफाबाद के अल हिंद अस्पताल में गोली से घायल पीड़ितों के इलाज के लिये एम्बुलेंस एवं सर्जनों को पहुंचाने के लिये हस्तक्षेप करने की फौरी आवश्यकता पर जोर दिया. प्रतिनिधिमंडल ने उम्मीद जाहिर की कि आप सरकार कानून-व्यवस्था की मशीनरी को निष्पक्षता बरतने, हिंसा को बढ़ने से तत्काल रोकने और दिल्ली में शांति बहाल करने में मदद पर जोर देने के लिये सक्रिय पहलकदमी की भूमिका निभायेगी.
प्रतिनिधिमंडल में पफाराह नकवी, वृंदा ग्रोवर, कविता कृष्णन, भाषा सिंह, आयेशा किदवई, सरोजिली नदिमपल्ली, नवशरण सिंह, तानी भार्गव, प्रतीक्षा बख्शी, इन्दिरा उन्नीनायर, रतना अपनेन्दर, माया जाॅन और पूनम कौशिक शामिल थे.