भारत में मजदूर आंदोलन के सौ वर्ष तथा एक्टू आंदोलन के भी तीस वर्ष पूरा होने के अवसर पर क्रांतिकारी मजदूर आंदोलनों की धरती पश्चिम बंगाल के नार्थ चौबीस परगना जिला स्थित नैहाटी में ऐक्टू का तीनदिवसीय (2-4 मार्च 2020) अखिल भारतीय सम्मेलन आयोजित हुआ. सम्मेलन स्थल का नामकरण प. बंगाल की प्रथम जूट मिल महिला श्रमिक नेता, सुभाषचंद्र बोस के खिलाफत आंदोलन की सक्रिय कर्मी व स्वतन्त्रता सेनानी शहीद संतोष कुमारी देवी नगर किया गया था. सभागार को एक्टू के संस्थापक व संगठक सदस्य रहे का. डीपी बख्शी (पश्चिम बंगाल) व का. स्वपन मुखर्जी (दिल्ली) तथा मंच को वरिष्ठ मजदूर आंदोलनकारी का. सुदर्शन बोस (प. बंगाल) व का. हरी सिंह (उत्तर प्रदेश) के नाम समर्पित किया गया था. सम्मेलन में कोयला, रेल, स्टील आदि समेत देश के कई सार्वजनिक उपक्रमों, सभी संगठित व असंगठित उद्योग क्षेत्रों तथा विभिन्न राज्यों से आए 600 से भी अधिक महिला-पुरुष मजदूर प्रतिनिधियों ने भाग लिया. सम्मेलन ने 187 सदस्यीय राष्ट्रीय परिषद्, 73 सदस्यीय सेंट्रल वर्किंग कमेटी और यूनियन पदाधिकरियों का चुनाव किया. का. वी शंकर ऐक्टू के नये राष्ट्रीय अध्यक्ष जबकि का. राजीव डिमरी पुनः महासचिव चुने गये.
2 मार्च 2020 को नैहाटी की सड़कों पर मजदूरों के विशाल प्रतिवाद मार्च के साथ जो सम्मेलन स्थल पर पहुंच कर सभा में तब्दील हो गया, सम्मेलन की शुरूआत हुई. निवर्तमान अध्यक्ष का. एन. एन. बनर्जी ने सम्मेलन स्थल पर शहीद वेदी के समक्ष झंडोत्तोलन किया. झंडोत्तोलन के पश्चात सभी शहीद व मृत मजदूर साथियों कों श्रद्धांजलि देते हुए शहीद वेदी पर पुष्प अर्पित किया गया और तमाम शहीदों तथा हाल में दिल्ली की सांप्रदायिक हिंसा मारे गए लोगों को मौन श्रद्धांजलि दी गयी. इसके बाद सम्मेलन का खुला सत्र आयोजित हुआ जिसे भाकपा(माले) महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य ने मुख्य वक्ता व उद्घाटनकर्ता के बतौर संबोधित किया.
वल्र्ड फेडरेशन ऑफ ट्रेड यूनियंस (डब्ल्यूएफटीयू) के उप महासचिव का. एच. महादेवन के अलावा विभिन्न अंतरराष्ट्रीय संगठनों से आए अतिथियों ने सम्मेलन को अपनी शुभकामना और एकजुटता का संदेश दिया. का. लाल बहादुर पाखरिन (उपाध्यक्ष, कोनेप, नेपाल), का. महबूब बिन सैफ (नेता, बंगलादेश ट्रेड यूनियन सेंटर के नेता), का. उस्मान अली (उपाध्यक्ष, समाजतांत्रिक श्रमिक संघ, बंगलादेश), का. अमरजीत कौर (महासचिव, एटक), का. आनंदी साहू (राष्ट्रीय सचिव, सीटू), का. अशोक घोष (महासचिव, यूटीयूसी), का. गौतम मोदी (महासचिव, एनटीयूआइ), का. हरिपद विश्वास (नेता, टीयूसीसी), का. वी. वेलुस्वामी (संगठन सचिव, एलपीएफ), का. समर सिन्हा (एआइयूटीसी) और मास्टर निजाम (इंटक) एवं अनेक अतिथियों ने अपने देशों व सेक्टरों के मौजूदा हालातों की चर्चा की और सरकारों के खिलाफ अपना वक्तव्य रखा. डब्ल्यूएफटीयू के उप महासचिव का. एच. महादेवन ने मोदी शासन को विश्व कार्पाेरेट ताकतों का कारिंदा बताते हुए शक्तिशाली मजदूर आंदोलन खड़ा करने पर जोर दिया.
नेपाल और बांग्लादेश से आए कई ट्रेड यूनियनों के आमंत्रित प्रतिनिधियों ने भारत के मजदूर आंदोलनों से एकजुटता व्यक्त करते हुए वैश्विक पूंजीवाद के खिलाफ दक्षिण एशियाई मजदूर आंदोलन की सुरक्षात्मक की बजाय आक्रामक लड़ाई खड़ा करने पर जोर दिया. राष्ट्रीय ट्रेड यूनियनों के राष्ट्रीय नेताओं ने देश में चल रहे संयुक्त ट्रेड यूनियन आंदोलन के जारी अभियानों को रेखांकित करते हुए मजदूर वर्ग पर मोदी शासन के हमलों के खिलाफ आगामी अभियानों में व्यापक मजदूरों को शामिल करने का संकल्प दुहराया. का. एन.एन. बनर्जी ने उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता की.
सम्मेलन में महासचिव का. राजीव डिमरी द्वारा प्रस्तुत मसविदा दस्तावेज में ‘मौजूदा स्थिति और मजदूर वर्ग के कार्यभार’ के माध्यम से मोदी शासन द्वारा श्रम क़ानूनों के कोडीकरण – श्रमिकों व ट्रेड यूनियन अधिकारों पर हमले, विभाजनकारी सीएए, एनआरसी व एनपीआर पैकेज, सभी सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण-निगमीकरण तथा बैंकों के विलय व सुरक्षा क्षेत्रों में सौ प्रतिशत एफडीआई किए जाने, स्वास्थ्य-शिक्षा-पीएफ-पेंशन फंड कटौती तथा खनिज-प्राकृतिक संसाधनों की कार्पोरेटी लूट और सार्वजनिक क्षेत्रों के उद्योगों की बंदी-छंटनी व सभी सामाजिक क्षेत्रों में एनजीओकरण-आउटसोर्सिंग व संविदाकरण इत्यादि सवालों पर आंदोलन खड़ा करने की कार्य योजना प्रस्तुत की गयी थी. साथ ही, देश के युवाओं को रोजगार सुरक्षा गारंटी और मौजूदा न्यूनतम मजदूरी कानूनों का सख्ती से पालन के अलावा देश के आम जन हेतु बिजली-पानी-स्वास्थ्य इत्यादि सभी आवश्यक सुविधाओं की बहाली के सवालों को भी प्रमुखता देते हुए देश के संविधान-लोकतंत्र-धर्मनिरपेक्षता पर हमला और मनुवादी व कार्पाेरेटपरस्त नीतियों-विचारों के खिलाफ नया मजदूर आंदोलन तथा प्रतिरोध के वैकल्पिक माॅडल खड़ा करते हुए वर्तमान के ट्रेड यूनियन आंदोलन की पारंपरिक अर्थवादी और फैक्ट्री-उद्योग की चारदीवारी तक सीमित रहने की बाधाओं से निजात पाने का आह्वान किया गया था. बहस सत्रा में विभिन्न राज्यों के अलावा कोयला, चाय बागान क्षेत्रा, सफाईकर्मी व स्कीम वर्कर्स समेत विभिन्न उद्योग सेक्टरों के 70 से भी अधिक मजदूर प्रतिनिधियों ने अपने विचार रखे. प्रतिनिधयों द्वारा चुने गए अध्यक्ष मण्डल और संचालन समिति ने सभी कार्यवाहियों और बहसों को संचालित किया.
दो दिनों तक चली बहस और चर्चा के बाद सर्वसम्मति से एीएए-एनआरसी-एनपीआर लाकर देश को विभाजित और बर्बाद करने के प्रयास के खिलाफ मजदूर आंदोलन को मजबूत और गतिशील बनाने का प्रस्ताव पारित किया गया. सम्मेलन ने कश्मीर के मौजूदा हालातों पर गंभीरता से विचार करते हुए सभी राजनीतिक नेताओं और जनता को जेल से रिहा करने की मांग की. सम्मेलन ने दिल्ली में दंगा के दौरान मारे गए लोगों, जिसमें ज्यादातर अल्पसंख्यक समुदाय से हैं, के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए गृहमंत्री अमित शाह को हटाने की मांग की. सम्मेलन ने विभिन्न मुद्दों पर चर्चा के बाद न्यूनतम मजदूरी बढ़ाकर 26,000 रु. प्रतिमाह करने और कोड बिल्स को, जो प्रायः सभी श्रम कानूनों को खत्म कर देगी, वापस लेने की मांग की. सम्मेलन ने सीएए, एनपीआर व एनआरसी के खिलाफ देशव्यापी विरोध करने के साथ ही अल्पसंख्यकों पर सांप्रदायिक फासीवादी हमलों के खिलाफ संघर्ष का एलान किया. स्कीम वर्कर्स के विभिन्न नेताओं ने स्कीम वर्कर्स के संघर्ष को आगे बढ़ाने का सुझाव दिया. दो दिनों तक चले व्यापक बहस-मुबाहिसे के बाद मसविदा और 22 सूत्री विशेष प्रस्तावों को भी पारित किया गया. मोदी सरकार से यह मांग की गई कि वह अविलंब ‘राष्ट्रीय श्रमिक सम्मेलन’ बुलाये.
समापन वक्तव्य देते हुए नवनिर्वाचित अध्यक्ष का. वी. शंकर ने मजदूर वर्ग पर मोदी सरकार के फासीवादी हमलों के खिलाफ संषर्घ तेज करने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि ब्रिटिश हुकुमत के खिलाफ देश के मजदूर वर्ग ने आगे बढ़कर संघर्ष किया था और अनगिनत कुर्बानियां देकर आजादी के साथ-साथ अपने अधिकार हासिल किए थे. मौजूदा तानाशाही राज उसे खत्म कर फिर से गुलामी थोप रहा है. सीएए, एनपीआर व एनआरसी लाकर पूरे देश को सुनियोजित सांप्रदायिक हमलों में झोंककर मेहनतकशों की एकता तोड़ रहा है. जेएनयू-जामिया के छात्रों से लेकर शाहीन बाग की महिलाओं के जारी जुझारू संघर्षों ने जो रास्ता दिखलाया है. उस पर चलते हुए हमें फिर से क्रांतिकारी मजदूर आंदोलन छेड़ने की जिम्मेवारी लेनी होगी और देश में एक नया मजदूर आंदोलन खड़ा करना होगा.
सम्मेलन की सफलता में बिना थके रात-दिन लगे सभी स्वयंसेवकों, सभी अतिथि व प्रतिनिधियों और वरिष्ठ आंदोलनकारी का. सनतराय चौधरी को सम्मानित करने, कम्युनिस्ट इन्टरनेशनल के समवेत गान तथा जोशपूर्ण नारों के साथ सम्मेलन सम्पन्न हुआ. विभिन्न सत्रों के दौरान पश्चिम बंग गण संस्कृति परिषद के कलाकारों व जसम के अनिल अंशुमन समेत कई प्रतिनिधियों द्वारा प्रस्तुत जन गीतों ने सम्मेलन को उत्साहवर्धक बनाया.
– अनिल अंशुमन