वर्ष - 29
अंक - 11
07-03-2020

भाकपा(माले) की एक पांच सदस्यीय एक जांच टीम पूर्वी दिल्ली पहुंची जहां फरवरी माह के आखिरी दिनों में दंगे हुए थे. यह दंगा बहुत दिल दहलाने वाला था. दंगेे के दौरान हजारों घर व दुकानें जलाई गईं, करीब 50 लोग मारे गए, सैंकड़ों की संख्या में लोग घायल भी हैं और अरबों रुपयों का नुकसान हुआ होगा. भाकपा(माले) टीम सबसे पहले मौजपुर गई जहां उसने आदिल से मुलाकात की. दंगे के दौरान उनकी जूतों की दुकान लूटी ली गई थी. वहां के कुछ हिन्दू परिवारों ने दंगाइयों का सामना भी किया था और मुस्लिम समुदाय के लोगों को बचाने की कोशिश की थी. उसके बाद यह टीम यमुना विहार स्थित पेट्रोल पम्प गई जो दंगो में बुरी तरह जलकर राख हो गया था. पम्प के आसपास स्थित मुस्लिम समुदाय की मीन की दुकानें भी पूरी तरह जल कर राख हो गई थीं. वहां एक दुकान एक हिन्दू की थी जिसे एक मुस्लिम किराएदार ने ले रखी थी. यह दुकान दंगाईयों ने नहीं जलाई किन्तु दूकान का सारा सामान लूट लिया. भजनपुरा थाने के पास मंदिर के सामने एक मुस्लिम व्यक्ति की पनीर की दुकान पूरी तरह से जली हुई देखी गई किन्तु उसके आस पास के किसी भी हिन्दू दूकानदार को कोई क्षति नहीं पहुंचाई गई थी.  पेट्रोल पम्प के सामने स्थित पुलिस पोस्ट के अगल-बगल स्थित मजार व वहां स्थित अन्य दुकानों को भी जला दिया गया था. लेकिन, वहीं चांद बाग पांच हिन्दू मंदिरों को मुस्लिम समुदाय के लोगों ने  बचाने का काम किया. जाहिर है कि मुस्लिम समुदाय को ही दंगे का अधिक नुकसान उठाना पड़ा.

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जांच टीम आखिर में शिवपुरी तिराहे पर गयी. वहां दोनों ही समुदायों की दुकानें और घर आदि जलाये व लुटे गए थे. यहां दो कार पार्किंग स्थल भी जला हुआ पाये गए. पार्किंग की यह जगह तो हिंदुओं की थी किन्तु सभी कारें मुस्लिम लोगों की थीं. उसी क्षेत्र में एक मस्जिद भी जला दी गई थी. मस्जिद के आस पास मुस्लिम समुदाय के लोगों के कई घरों व दुकानों को जला दिया गया था और भयानक लूट पाट भी की गई थी. चश्मदीद लोगों ने बताया कि पुलिस के सामने दंगाइयों ने इन घटनाओं को अंजाम दिया. कुछ स्थानीय लोगों ने कहीं-कहीं दंगाइयों को भगाने का भी काम किया.

इन इलाकों में हालात अभी भी नही संभले हैं. यहां के लोग भारी दहशत में हैं. सहमे व डरे हुए हैं. अब राहत देने में भी पक्षपात किया जा रहा है. मुल्क के बंटवारे के समय हुए हिन्दु-मुस्लिम दंगों व 1984 के सिख विरोधी दंगों के बाद यह दिल्ली का सबसे भयावह दंगा है. इसने दिल्ली के हालात पर बहुत बुरा व गहरा असर डाला है.

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जांच टीम का मानना है कि देश के गृहमंत्री अमित शाह को तुरंत ही दिल्ली की जनता से माफी मांगते हुए अपना इस्तीफा दे देना चाहिए और अनुराग ठाकुर, परवेश वर्मा व कपिल मिश्रा जैसे दंगाइयों को तुरत गिरफ्तार कर उन पर मुकदमा चलाना और कड़ी से कड़ी सजा दिलाने की गारंटी करना चाहिए. तभी जाकर यहां के लोगों में शायद भरोसा पैदा किया जा सकता है.
 
भाकपा(माले) की जांच टीम में पोलित ब्यूरो सदस्य का. कविता कृष्णन व प्रभात कुमार चौधरी, आइसा की राष्ट्रीय अध्यक्ष सुचेता डे, एआइपीएफ के संयोजक गिरिजा पाठक और किसान नेता प्रेम सिंह गहलावत आदि शामिल थे. यह टीम जल्द ही एक विस्तृत रिपोर्ट जारी करेगी.

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