मोदी सरकार द्वारा सीएए-एनपीआर-एनआरसी के खिलाफ एवं संविधान की मूल भावना पर लगातार जारी हमलों के विरुद्ध ‘संविधान बचाओ मंच’ के बैनर तले 2 मार्च 2020 को उत्तराखंड के उधमसिंह नगर जिले के रुद्रपुर में स्थित आहूजा धर्मशाला में ‘संविधान बचाओ’ गोष्ठी का आयोजन किया गया. इसकी शुरूआत संविधान की प्रस्तावना के सामूहिक पाठ से हुई और इसका समापन संविधान बचाओ मंच द्वारा पूरे उधमसिंह नगर में गोष्ठियों, सीएए-एनपीआर-एनआरसी पैकेज के विरुद्ध हस्ताक्षर व जन जागरण अभियान चलाते हुए 14 मार्च को रुद्रपुर में संविधान बचाओ-नागरिकता बचाओ जन कन्वेंशन यह तय करने के निर्णय के साथ हुई.
संविधान बचाओ गोष्ठी को संबोधित करते हुए भाकपा(माले) के राज्य सचिव राजा बहुगुणा ने कहा कि देश में हो रहे प्रचण्ड विरोध के चलते मोदी सरकार को नागरिकता संशोधन कानून को वापस ले लेना चाहिए और रोजी-रोटी के मसले को हल करना चाहिए. इसी में देश का भला है. मोदी सरकार के निरंकुश तौर तरीकों की न सिपर्फ देश में बल्कि पूरी दुनिया में फजीहत हो रही है. उन्होंने कहा कि एक आज़ादी की जंग अंग्रेजों के खिलाफ चली जिसके परिणामस्वरूप अम्बेडकर के नेतृत्व में संविधान का जन्म हुआ और आज फिर से एक दूसरी आज़ादी की लड़ाई लड़ी जा रही है जो देश, लोकतंत्र और संविधान को बचाने के लिए है. उन्होंने कहा कि सीएए पंथ निरपेक्ष संविधान का निषेध है, इसे राष्ट्र कभी स्वीकार नहीं करेगा – यह बात गोडसेवादियों को समझ लेनी चाहिए!
उन्होंने कहा कि मोदी राज में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला हो रहा है. जनता के पक्ष में खड़े होने वाले कवि, लेखक, पत्रकारों, बुद्धिजीवियों, प्रोफेसरों, कलाकारों और छात्रों को देशद्रोही घोषित किया जा रहा है. ये कैसा लोकतंत्र है? इस सरकार ने संविधान और लोकतंत्र का मजाक बनाकर रख दिया है. इसलिए इसका प्रतिकार करना हर बुद्धिजीवी, लेखक व भारतीय नागरिक का कर्तव्य बन गया है.
का. राजा बहुगुणा ने कहा कि दिल्ली को सांप्रदायिक आग में झोंकने के लिए केंद्र की मोदी सरकार जिम्मेदार है. दिल्ली में चुनाव के समय से ही प्रधानमंत्री-गृहमंत्री और भाजपाई सांसद कपड़ों से पहचान करने, ईवीएम का बटन इतनी जोर से दबाओ कि करंट शाहीनबाग तक पहुंचे, टुकड़े-टुकड़े गैंग को सबक सिखाने का समय आ गया है, गोली मारो जैसे भड़काऊ बयान दे रहे थे. लेकिन पूरे देश में जनता संविधान बचाने को उतर पड़ी तो संघ-भाजपा बौखला गए हैं. दिल्ली की सांप्रदायिक हिंसा इसी बौखलाहट की परिणति है, जिसको भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने अपने बयानों से उजागर भी कर दिया था. उन्होंने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून एनआरसी एनपीआर हिंदू या मुसलमान का मामला नहीं है, पूरे देश का मामला है. यह असल में संविधान पर हमले का मामला है – इसे समझना, समझाना जरूरी है.
मौलाना फव्वाद हसन खाँ ने कहा मोदी सरकार ने धर्म आधारित नागरिकता के बहाने संविधान पर सेंध लगायी है, यदि इस सरकार को यहां नहीं रोका गया तो फिर जाति व महिलाओं के उत्पीड़न को संविधान में सूचीबद्ध करेंगे. उन्होंने कहा सीएए सिर्फ मुसलमानों के खिलाफ नहीं है यह पूरे मेहनतकश आवाम के खिलाफ है.
सीपीआई के जिला मंत्री कामरेड राजेन्द्र प्रसाद गुप्ता ने गोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा संविधान की शपथ लेकर सत्ता में आई सरकार संविधान विरोधी आचरण कर रही है. सरकार को देशहित में संविधान विरोधी नागरिकता संशोधन कानून तत्काल प्रभाव से वापस लेना चाहिए.
सीपीएम के जिला सचिव कामरेड राजेंद्र सिंह ने गोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि यह लड़ाई सिर्फ मुसलमानों की नहीं है, बल्कि पूरे आवाम की है अमन की है. यदि सरकार हमने चुनी है तो सरकार हमसे नागरिकता का सबूत कैसे मांग रही है. हमने जिन प्रमाणों से सरकार को चुना है यही हमारा नागरिकता का पूरा प्रमाण है. कामरेड निशान सिंह व बहादुर सिंह जंगी ने भी गोष्ठी को संबोधित किया.
एडवोकेट रविन्द्र पंत, अरशद, दिनेश तिवारी, दिनेश चन्द्र, गुरविन्दर सिंह, धीरज जोशी, नवीन आर्या, सत्येन्द्र यादव, निरंजन लाल, पुष्कर सिंह, मनोज सिंह, गंगा सिंह, जसवन्त सिंह, कृष्णा सामन्त, अमनदीप कौर, रविंदर कौर, प्रेरणा गर्ग, सलीम खान (अध्यक्ष, केंद्रीय दिव्यांग कल्याण परिषद), राजेंद्र सिंह चौहान, निजामुद्दीन, मुजाहिद मियां, कैलाश नाथ सिंह, एपी भारती, निशा शर्मा, कार्तिक सरकार आदि मौजूद रहे. सभा का संचालन भाकपा(माले) के जिला सचिव का. आनन्द नेगी ने किया.