भाकपा(माले) के राज्य सचिव कुणाल और चंपारण के लोकप्रिय माले नेता वीरेन्द्र प्रसाद गुप्ता ने कहा है कि एक तरफ सरकार एनपीआर लागू करने का नोटिफिकेशन जारी कर गरीबों को नागरिकता से बेदखल कर रही है, तो दूसरी ओर वर्षें से जमीन पर बसे और उस पर फसल उपजाने वाले गरीब किसानों की उनकी जमीन से बेदखली का कार्यक्रम भी अनवरत जारी है. चंपारण के इलाके में प्रशासन पूरी तरह से भूस्वामियों की लठैती कर रहा है. वहां के डीएम प्रशासन का गैरकानूनी इस्तेमाल करके गरीबों को सीलिंग की जमीन से बेदखल करने का अभियान चलाये हुए हैं और लहलहाती फसलों को काट लेने में भी कोई संकोच नहीं कर रहे हैं.
माले नेता वीरेन्द्र प्रसाद गुप्ता ने बताया कि पश्चिम चंपारण के मैनाटांड़ के बेलवा टोला में सीलिंग से फाजिल जमीन पर गरीबों द्वारा लगाई गई फसल को प्रशासन छह थानों की पुलिस और गुंडों के साथ कटवाने पहुंच गया तथा जमीन जोतने लगा. जब भाकपा(माले) के अंचल सचिव अच्छेलाल राम, बन्हू राम और अन्य नेताओं ने इसका विरोध किया और फसल लगी जमीन जोतवाने संबंधी कागज दिखाने की मांग की तो उनकी बर्बरता से पिटाई कर दी गई.
माले नेता ने कहा कि यह कार्रवाई जिला के डीएम व मंत्री खुर्शीद आलम के दबाव में किया गया है. सरकार इसपर तत्काल संज्ञान ले और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करे.
उन्होंने कहा कि दरअसल 2015 के सीलिंग गजट में मैनाटांड़ की जिस जमीन पर गरीबों को पर्चा देने का कानून है, उस जमीन को गैर-कानूनी तरीके से भूस्वामियों ने रजिस्ट्री करवा ली है. डीएम व मंत्री गरीबों के अधिकार की रक्षा करने की बजाय भूस्वामियों के पक्ष में रजिस्ट्री को जायज ठहरा रहे हैं. जबकि कानून के मुताबिक तो सीलिंग की जमीन की रजिस्ट्री कराने वाले व करने वाले को जेल में होना चाहिए.
इस संदर्भ में एक बार पहले डीजीपी से भी बात की गई थी और उनके हस्तक्षेप से फसल बरामद की गई थी. भाकपा(माले) मांग करती है कि नीतीश सरकार पश्चिम चंपारण के अपने प्रशासन व मंत्री पर लगाम लगाए तथा गरीबों को बेदखल करना बंद करे. सरकार व प्रशासन का काम गरीबों के अधिकारों की रक्षा करना है, न कि भूस्वामियों की लठैती करना. इस सवाल पर 7 फरवरी को पूरे जिला में प्रतिवाद किया जाएगा. अगर सरकार तब भी दमनात्मक कार्रवाई बंद नहीं करती तो आन्दोलन और तेज किया जाएगा.