सिवान जिले के मैरवा में विगत 21-22 दिसम्बर को इंकलाबी नौजवान सभा की बिहार राज्य स्तरीय कार्यशाला आयोजित की गई. भाकपा(माले) पोलित ब्यूरो के सदस्य का. धीरेन्द्र झा ने कार्यशाला को शिक्षक के बतौर संबोधित किया. इनौस के राष्ट्रीय अध्यक्ष का. मनोज मंजिल और राष्ट्रीय महासचिव का. नीरज भी इसमें मौजूद थे. कार्यशाला में नागरिकता संशोधन कानून, एनआरसी, आर्थिक मंदी और बढ़ती बेरोजगरी पर गहन विचार विमर्श हुआ. नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी के खिलाफ चल रहे आंदोलन में मारे गए लोगों को दो मिनट की मौन श्रद्धांजलि देने के बाद संविधान की प्रस्तावना का पाठ हुआ और संविधान की रक्षा करने का शपथ लिया गया.
कार्यशाला को संबोधित करते हुए का. धीरेन्द्र झा ने कहा कि 26 दिसंबर 1950 को एक लोकतांत्रिक, आधुनिक और बेहतर भारत बनाने के लिए देश में संविधान लागू हुआ. 1857 से 1947 तक चले स्वाधीनता संघर्ष से पैदा हुए मूल्यबोध, जिनमें आजादी, भाईचारा व न्याय प्रमुख हैं, हमारे इस संविधान के आधार बने. ये किसी एक नेता की देन नहीं है. लेकिन, संघ-भाजपा ने इसे कभी भी स्वीकार नहीं किया, इस पर हमला बोलते रहे और जब इन्हें संसद में बहुमत मिला तो देश को ही खंड-खंड करने लगी. ‘अभी नहीं तो कभी नहीं’ के तर्ज पर बहुमत का बुलडोजर चलाते हुए वे आजादी, न्याय और भाईचारा जैसे संवैधानिक मूल्यों को रौंद रहे हैं और संविधान को विकृत करनेवाले एक से बढ़कर एक संशोधन और नए-नए दमनकारी कानून बना रहे हैं. ऐसा वे इसलिए भी कर रहे है कि देश जनता को संविधान और संविधान की प्रस्तावना को कभी पढ़ाया-समझाया ही नहीं गया. आज जब जनता संविधान की मूल प्रस्तावना को पढ़ रही है तो उन्हें साफ-साफ लग रहा है कि भाजपा इस देश को सांप्रदायिक रंग में डुबो देना चाहती है.
उन्होंने कहा कि देश भीषण आर्थिक संकट में है. ऐसे में जनता को पैसा देने व मदद करने के बजाय यह सरकार रिजर्व बैंक से भी 1लाख76 हजार करोड़ रुपये निकालकर पूंजीपतियों को दे रही है, सार्वजनिक उपक्रमों को बेच रही है. इस संकट को हल करने के नाम पर जनता से ही धन उगाही में लगी हुई हैं, शिक्षा-स्वास्थ-जनकल्याण के बजट में बेहिसाब कटौती कर रही है, रोजगार के अवसरों को खत्म कर रही है. देश के छात्र सस्ती और अच्छी शिक्षा के लिए आंदोलन कर रहे हैं, नौजवान रोजगार के अवसरों में हो रही कटौती व निजीकरण के खिलाफ बोल रहे हैं. मजदूर निजीकरण व छंटनी के खिलाफ सड़कों पर उतर रहे हैं. यह सरकार जनता का ध्यान आर्थिक मंदी और जनसमस्याओं से हटाना चाहती है. लेकिन, हमें इसको लेकर जनता में व्यापक प्रचार-प्रसार में जाना होगा. पंचायत, प्रखंड और जिला स्तर पर कन्वेंशन करना होगा और जगह-जगह संविधान की प्रस्तावना को पढ़कर संविधान की रक्षा करने का शपथ लेना होगा.
कार्यशाला में फीस वृद्धि और छात्रावास नियमावली में फेरबदल के खिलाफ जेएनयू के छात्रों के आंदोलन का स्वागत और समर्थन किया गया और देश भर में सार्वजनिक शिक्षा को मजबूत बनाने के लिए जनता को गोलबंद करने का निर्णय लिया गया. ‘एनसीआर नहीं, एनआरयू बनाओ’ की मांग को लेकर आगामी 30 दिसम्बर को तमाम जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन की योजना बनी तथा 8 जनवरी 2020 को आहूत अखिल भारतीय आम हड़ताल का समर्थन करते हुए इसे सफल बनाने के लिए सड़क पर उतरने का निर्णय हुआ. कार्यशाला में 13 जिलों के 39 प्रतिनिधि शामिल हुए. कार्यशाला का संचालन राज्य सचिव सुधीर व अध्यक्षता राज्य उपाध्यक्ष योगेंद्र यादव ने की.