महेन्द्र सिंह जननायक थे जिन्होंने हमेशा गरीब-गुरबों, किसानों व आम जनता को लेकर संघर्ष किया. हम सबको महेन्द्र सिंह के संघर्ष को आगे ले जाना है. उनके बताए गए रास्ते पर चलकर ही हम अपने अधिकार हासिल कर सकते हैं. – यही महेन्द्र सिंह के 16 वें शहादत दिवस पर बगोदर बस पड़ाव में आयोजित संकल्प सभा का संदेश था.
विगत 16 जनवरी को का. महेन्द्र सिंह को श्रद्धांजलि देने यहां भारी भीड़ उमड़ पड़ी थी. संकल्प सभा में बगोदर, राजधनवार, बिरनी, सरिया समेत सभी इलाकों और सभी दिशाओं से रैली के शक्ल में हजारों लोग यहां पहुंचे थे. ढोल-नगाड़े और झारखंड के पारंपरिक हथियार तीर-धनुष के साथ संकल्प सभा में पहुंचे लोगों जिनमें महिलाओं की तादाद भी कम न थी, अपने जननायक को याद किया और संघ-भाजपा की सांप्रदायिक-फासीवादी और जनविरोधी-देशविरोधी नीतियों के खिलाफ संघर्ष का संकल्प लिया. सभा के वक्ताओं ने भी अपने संबोधन में आंदोलन की हुंकार भरी. आदिवासी वेशभूषा में नाचते-गाते पहुंचे क्रांतिकारी उलगुलान मोर्चा के सदस्यों ने संकल्प सभा में एक अलग रंग भरा. इस जनसैलाब ने यह साबित कर दिया कि वे आज भी लोगों के जेहन में बसे हुए हैं.
यह आयोजन उनके पैतृक गांव खंभरा से शुरू हुआ जहां गांव को लाल झंडों से पाट दिया गया था. सामुदायिक भवन के समीप का. महेन्द्र सिंह की प्रतिमा पर उनकी पत्नी शांति देवी व पुत्री, भाकपा(माले) महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य, विधायक विनोद सिंह समेत वहां पहुंचे अन्य पार्टी नेताओं ने माल्यार्पण किया. माल्यार्पण से पूर्व गांव में रैली भी निकाली गई. का. महेन्द्र सिंह की पत्नी शांति देवी ने अपने संक्षिप्त संबोधन में कहा कि महेेंद्र सिंह सिर्फ और सिर्फ जनता के लिए समर्पित रहते थे. यही कारण है कि उनके शहीद होने के 16 साल बाद भी वे जनता के बीच हैं.
बगोदर बस पड़ाव मैदान में संकल्प सभा को संबोधित करते हुए का. दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि भाजपा महेन्द्र सिंह की प्रतिमा से भी डरती है क्योंकि वह अपने स्वार्थ की राजनीति करती है. ऐसे लोग ही कभी नहीं चाहेंगे कि यहां पर महेन्द्र सिंह की प्रतिमा लगे. यह उसकी ‘गंदी राजनीति’ का नमून है. उन्होंने कहा कि बगोदर बस पड़ाव में का. महेन्द्र सिंह की प्रतिमा हर हाल में स्थापित होगी.
उन्होंने कहा कि डरी हुई भाजपा देश में डराने की राजनीति कर रही है. भाजपा सीएए, एनआरसी व एनपीआर के नाम पर पूरे देश को डराने में लगी है. संविधान में प्रतिवाद करने का अधिकार दिया गया है. लेकिन, जब इस मामले में प्रतिवाद किया जाता है तो भाजपा सरकार लाठी व गोली का सहारा लेती है. उत्तर प्रदेश इसका सबसे बड़ा उदाहरण है जहां कई लोगों को आंदोलन के चलते ही जेल में रखा गया है. उन्होंने झारखंड सरकार से राज्य में सीएए व एनआरसी नहीं होने देने की मांग की.
का. विनोद सिंह ने कहा कि 70 साल पहले जिस संविधान का निर्माण किया गया भाजपा के द्वारा आज उस पर हमला किया जा रहा है. राजधनवार के पूर्व विधायक राजकुमार यादव ने कहा कि बाबूलाल मरांडी भाजपा के खिलाफ चुनाव लड़े, विधायक बने और फिर से भाजपा में चले गए. उन्हें विधायक पद से इस्तीफा देना चाहिए. सभा को सीताराम सिंह, गीता मंडल, अशोक पासवान, उस्मान अंसारी, बहादुर सिंह आदि ने भी संबोधित किया.
सभा में पांच प्रस्ताव पारित किए गए. यह कहा गया कि भाकपा(माले) देश भर में युवाओं, महिलाओं और तमाम नागरिकों के सीएए, एनआरसी-एनपीआर विरोधी आंदोलनों के साथ खड़ी है. यह लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद – जो संविधान की बुनियादी दिशा है उसे बदलने की साजिश है, यह देश के संविधान पर हमला है. भाकपा(माले) सीएए, एनआरसी और एनपीआर के खिलाफ आंदोलन को और तेज करेगी. हेमंत सरकार से झारखंड में सीएए, एनआरसी और एनपीआर को स्थगित रखने की मांग की गई.
एक प्रस्ताव में कहा गया कि देश विनाशकारी मंदी से गुजर रहा है. अर्थव्यावस्था अबतक के सबसे खराब स्थिति में है. महंगाई व बेरोजगारी से जनता पीस रही है. भाकपा(माले) रोजी-रोटी, आवास, पेंशन, रोजगार और मजदूरी की सुरक्षा के लिए जनसंघर्षों की नई लहर तैयार करेगी. एक प्रस्ताव में कहा गया कि रघुबर सरकार का कार्यकाल माॅब लिंचिंग और भूखमरी के लिए कुख्यात रहा. इस सरकार ने सीएनटी-एसपीटी एक्ट को पलटने की साजिश की थी. किसानों को जबरन उनकी जमीन से बेदखल कर दिया गया. पारा शिक्षकों, रसोइयों, आंगनबाड़ी संविकाओं, सहियाओं के आंदोलनों पर बर्बर हमला किया गया. गलत स्थानीयता नीति के जरिए झारखंडियों के अधिकार छीने गए. झारखंड की जनता खासकर आदिवासी समुदाय ने लगातार संघर्षों के जरिए भाजपा सरकार का मुकाबला किया और गत चुनाव में भाजपा को करारी मात दी. माले जनता के इस कदम का अभिनंदन करती है.
प्रस्ताव में भाजपा सरकारों द्वारा की गई बर्बादियों से राज्य और जनता को उबारने के लिए हेमंत सरकार तेजी से कदम उठाए. साथ ही, रघुबर सरकार के काल में हुए तमाम घोटालों की जांच हो. हेमंत सरकार माॅब लिंचिंग के शिकार लोगों और उनके परिजनों को न्याय दिलाए, भूखमरी से मौतों के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई करे, और झारखंड में महिला हिंसा पर रोक लगाए.
प्रवासी मजदूरों की सुरक्षा और अधिकारों की रक्षा के लिए प्रवासी मजदूर निदेशालय गठन करने, जीटी रोड के विस्थापित किसानों को उचित व एक समान मुआवजा देने तथा रघुबर सरकार के जनविरोधी नीतियों व फैसलों को वापस लेने की मांग भी की गई.