भाकपा(माले) ने झारखंड राज्य की जनता की ओर से भाजपा सरकार के खिलाफ दिए गए जनादेश का सम्मान करते हुए हेमंत सोरेन की सरकार को बाहर से समर्थन देने का निर्णय लिया. भाकपा(माले) के नेताओं की एक टीम, जिसमें विधायक का. विनोद सिंह, वरिष्ठ नेता का. सुवेन्दु सेन, राज्य सचिव का. जनार्दन प्रसाद शमिल थे, ने नए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जी से मिलकर उन्हें शुभकामना दी और झारखंड की जनता की आकांक्षाओं को पूरा करने की अपेक्षा जतलायी. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने जनता की अपेक्षाओं को पूरा करने का आश्वासन दिया. इस अवसर पर हेमंत सोरेन के साथ झामुमो सुप्रीमो दिशोम गुरु शिबू सोरेन भी मौजूद थे.
झारखंड को बर्बाद करनेवाली भाजपा सरकार को इस विधानसभा चुनाव में धूल चाटनी पड़ी है. बदलाव के स्पष्ट जनादेश के लिए भाकपा(माले) की केंद्रीय कमिटी झारखंड की जनता को बधाई देती है और हेमंत सरकार का स्वागत करती है. भाजपा की रघुवर सरकार ने झारखंड पर चौतरफा हमला किया. सामाजिक सौहार्द, आदिवासियों के मान-सम्मान और झारखंडियों के भूमि-अधिकारों पर गंभीर हमला कर भाजपा ने राज्य को तहस-नहस करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी. स्वाभाविक रूप से इस जनादेश के साथ बदलाव की जनाकांक्षाएं जुड़ी हुई हैं. भाकपा(माले) उम्मीद करती है कि भाजपा सरकार द्वारा ढाही गई तबाहियों से उबारने के लिए आनेवाली सरकार बिना देर किए मजबूत पहलकदमियां लेगी और स्पष्ट नीतियों की घोषणा करेगी. इस उम्मीद के साथ भाकपा(माले) हेमंत सरकार को बाहर से समर्थन देती है. हमारे समर्थन का आधार मोदी-रघुवर सरकारों के खिलाफ झारखंड से उभरा जन-एजेंडा है और जन-एजेंडे के प्रमुख बिंदु इस प्रकार हैं,
1. रघुवर शासन में माॅब-लिंचिंग की दो दर्जन घटनाएं हुई हैं. लेकिन इनमें से मात्र दो ही मामलों में अब तक सजा सुनायी गयी है. बहुत से मामलों में हत्या-आरोपियों को गिरफ्तार भी नहीं किया गया है अथवा उन्हें बेल पर निकल जाने दिया गया है. भीड़-हिंसा के अपराधियों का राजनीतिक संरक्षण भी सार्वजनिक है. भीड़-हिंसा के शिकार लोगों उनके परिवारों को न्याय देने के लिए आनेवाली सरकार समुचित कदम उठाये.
2. पिछले तीन वर्षों में भुखमरी की 23 घटनाएं सामने आयी हैं. इन घटनाओं से यह तथ्यतः स्पष्ट है कि भुखमरी की तमाम मौतों की वजह राशन नहीं मिलना है. राशन कार्ड नहीं होना, आधार कार्ड नहीं होना या बायोमेट्रिक पहचान या सिस्टम में गड़बड़ी की वजह से बड़े पैमाने पर गरीब राशन-पोषण से वंचित हैं. इन मौतों की रघुवर सरकार ने जिम्मेवारी लेने और जिम्मेवार अफसरों पर कार्रवाई करने के बजाय इन्हें झूठलाती रही है. नई सरकार नीतियों में बदलाव कर राशन-किरासन-पेंशन और आवास सभी को आनेवाली सरकार उपलब्ध कराये, आधार-बायोमेट्रिक की शर्तों को निरस्त करे और भुखमरी की घटनाओं की जांच कर जिम्मेवार अधिकारियों पर कार्रवाई करे.
झारखंड देश का सर्वाधिक कुपोषित राज्य है. यहां की महिलाओं और बच्चों की दो तिहाई आबादी कुपोषण से जूझ रही है. इस समस्या को दूर कर करने के लिए सरकार त्वरित कदम उठाए.
3. रघुवर सरकार का भूमि अधिग्रहण संशोधन कानून सीएनटी-एसपीटी एक्ट को कमजोर करता है. इसके साथ ही यह भूमि अधिग्रहण के प्रभावों के आकलन की अनिवार्यता को समाप्त करता है. आनेवाली हेमंत सरकार इस कानून को निरस्त करे. रघुवर सरकार ने बंदोबस्ती जमीन और गैर-मजरूआ खास जमीन को अपने प्रशासनिक सर्कुलर के जरिए वास्तविक जमीन मालिकों से छीनने की साजिश की थी. आगामी सरकार इसे निरस्त करे और इस तरह की जमीन का निबंधन, दाखिल-खारिज और रसीद की प्रक्रिया को बहाल करे. रघुवर सरकार के तथाकथित भूमि-बैंक से सार्वजनिक, सामुदायिक और हड़पी गयी निजी जमीन को मुक्त किया जाय. एमओयू के तहत अधिग्रहित भूमि की जांच हो और जमीन मालिकों के जमीन के स्वामित्व या उचित मुआवजा दिलाने के लिए सरकार पहल करे. जीटी रोड सिक्सलेन और गैस-पाइप लाइन के निर्माण के दौरान अधिग्रहित या इस्तेमाल की गयी जमीन का जमीन-मालिकों को समुचित मुआवजा दिया जाय.
4. रघुवर सरकार ने आदिवासी संस्थाओं, आदिवासियों के पारंपरिक अधिकारों और पांचवी अनुसूची पर सुनियोजित हमला किया. पत्थलगड़ी एवं अन्य आदिवासी आंदोलनों में शामिल हजारों कार्यकर्ताओं पर राष्ट्र-द्रोह का मुकदमा थोप दिया गया है. हेमंत सरकार इन मुकदमों को खारिज करे और भुक्तभोगियों को राहत दे. सीएनटी-एसपीटी एक्ट में शहीद हुए अब्राहम मुंडू की शहादत को सम्मान दिया जाय. पांचवी अनुसुची के अनुरूप आदिवासी के पारंपरिक अधिकारों और स्वायत्ता के लिए सक्षम-सक्रिय संस्थाओं का निर्माण किया जाए.
जंगल में रहनेवालों के पारंपरिक वन-अधिकार को सुरक्षित करने के लिए विशेष विधेयक सदन में लाया जाय. आदिवासियों की हड़पी गयी जमीन वापस की जाय. विस्थापितों के पुनर्वास और मुआवजे को अब तक सरकारें टालती रही हैं. हेमंत सरकार इस काम के लिए समय-सीमा निर्धारित कर कार्य शुरू करे.
5. गलत स्थानीयता नीति ने झारखंडी युवाओं और बेरोजगारों के अधिकारों को हड़पे जाने का रास्ता खोल दिया है. यह नीति झारखंड के हितों को असुरक्षित करती है, लिहाजा सरकार इस नीति में तुरंत बदलाव लाए.
6. रघुवर सरकार ने हमेशा ही पारा-शिक्षकों, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, सहियाओं, रसोईयों आदि अनुबंधकर्मियों की मांगों की अनसुनी की और उनके आंदोलनों का बर्बर दमन किया. इनके साथ सम्मानजनक समझौता हो और इनकी न्यायोचित मांगों को पूरा किया जाय. राज्य में मौजूद तमाम रिक्तियों को एक वर्ष के अंदर भरा जाय और जेपीएससी की परीक्षा को नियमित किया जाय.
7. झारखंड की एक बड़ी युवा आबादी प्रवासी मजदूर के बतौर देश के अन्य राज्यों या विदेश में काम करती है. आये दिन वे मजदूरी में घपलों, दुर्घटनाओं और विदेश में मालिकों के शोषण के शिकार होते रहते हैं. उनकी राहत के लिए राज्य में ठोस नीति और संस्था नहीं है. प्रवासी मजदूर नीति की घोषणा कर सरकार प्रवासी मजदूर आयोग का गठन करे.
सरकार रोजगार बढ़ाने के ठोस उपाय करे. न्यूनतम मजदूरी और मनरेगा की मजदूरी को मजदूरों की जरूरतों और बाजार के अनुरूप अद्यतन करे. कोडरमा-गिरिडीह क्षेत्रों में ढिबरा(अबरख) चुनने-बेचने का अधिकार स्थानीयों को दिया जाना चाहिए और सरकार इसके लिए खरीद-केंद्र अबरख सघन क्षेत्रों में खोले.
8. रघुवर सरकार ने विलय करने के नाम पर हजारों स्कूलों को बंद कर दिया है. इससे दूर-दराज और अविकसित इलाकों में रहनेवाले कमजोर तबकों से आनेवाले बच्चे प्रभावित हुए हैं. इन स्कूलों को अविलंब चालू किया जाय. प्रखंड आधारित डिग्री कालेज खोले जायें और गिरिडीह जिले में मेडिकल और इंजिनियरिंग कालेज खोले जायें.
9. सरिया में रेलवे फ्रलाइओवर और बगोदर में ट्रामा-सेंटर के निर्माण के लिए और राज्य में इस तरह की बुनियादी जरूरतों के लिए नयी सरकार फौरन पहल ले.
10. नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ समूचे देश के साथ राज्य में भी लोकप्रिय जन-आंदोलन जारी है. इस कानून को वापस लेने की मांग लेकर लोग सड़कों पर उतर रहे हैं. नागरिकता संशोधन कानून, राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर और राष्ट्रीय आबादी रजिस्टर के बारे में कई राज्य-सरकारों ने संबंधित राज्यों में लागू नहीं करने की घोषणा की है. झारखंड सरकार भी जनाकांक्षा का सम्मान करते हुए झारखंड में इन कानूनों के स्थगन की घोषणा करे.
ये जनाकांक्षाएं जनादेश में निहित हैं. आनेवाली सरकार को इन्हें पूरा करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ना चाहिए. इस ऐजेंडे के साथ भाकपा(माले) हेमंत सरकार को बाहर से समर्थन देने की घोषणा करती है. भाकपा(माले) इस एजेंडे के आधार पर सदन के अंदर और बाहर अपने संघर्ष को जारी रखेगी.