उत्तर प्रदेश में अभी तक 20 से ज्यादा लोग पुलिस की हिंसा में मारे जा चुके हैं. यहां तक कि पुलिस थानों में नाबालिगों को यातनायें देने, पुलिस द्वारा मुस्लिम समुदाय के लोगों को भद्दी सांप्रदायिक गालियां और जान से मारने की धमकियां देने और उनके घरों में लूटपाट व तोड़फोड़ करने, मुस्लिम समुदाय के बेगुनाह लोगों को झूठे अपराधों में फंसाये जाने के भी सबूत सामने आए हैं. वाम दलों, मानवाधिकार संगठनों और विरोध में शामिल हो रहे आम नागरिकों को गिरफ्तार कर जेलों में डाला जा रहा है. वहां पुलिस जूलूस में शामिल निर्दाेष लोगों और कार्यकर्ताओं के फोटो अखबारों में छाप कर ‘वान्टेड’ नोटिस जारी कर रही है. उत्तर प्रदेश के 21 जिलों में इंटरनेट को बंद कर दिया गया है. लगता है कि योगी सरकार किसी भी कीमत पर विरोध करने के जनता के संवैधानिक अधिकार को छीनना चाहती है और इसीलिए ऐसी दमनात्मक कार्रवाइयां कर रही है कि प्रदर्शन करने वालों को सबक सिखाया जा सके. प्रधानमंत्री मोदी ने लखनऊ में दिये वक्तव्य में राज्य सरकार की इसी कार्यवाही को अपना समर्थन दिया है.
बेगुनाहों का बर्बर दमन व पुलिस की ज्यादतियां बंद करने, पुलिस एवं सशस्त्र बलों द्वारा हुई हिंसा की घटनाओं एवं मौतों की न्यायिक जांच कराने, गिरफ्तार प्रदर्शनकारियों को अविलंब रिहा करने और नागरिकता संशोधन कानून-एनआरसी-एनपीआर के खिलाफ चल रहे शांतिपूर्ण लोकतांत्रिक विरोध को दबाने के लिए प्रत्येक लोकतांत्रिक आवाज एवं अल्पसंख्घ्यक समुदाय के विरुद्ध चौतरफा हमला चला रहे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से इस्तीफे की मांग के साथ विगत 30 दिसंबर 2019 को देश भर में प्रतिवाद कार्यक्रम आयोजित किए गए. इन प्रतिवाद कार्यक्रमों के जरिए सर्वाेच्च न्यायालय से भी यह मांग की गई कि वह उत्तर प्रदेश के हालात की निष्पक्ष जांच कराने के लिए एक एसआइटी का गठन करे, ताकि दोषी पुलिसकर्मियों व अन्य अधिकारियों को दंडित किया जा सके.
देशव्यापी विरोध दिवस के अवसर पर देश की राजधानी दिल्ली में जंतर मंतर पर भाकपा(माले), भाकपा, माकपा, फारवर्ड ब्लाक और आरएसपी की ओर से ‘दंगाई मुख्यमंत्री गद्दी छोड़ो’ के नारे के साथ संयुक्त धरना आयोजित हुआ. धरना में इन पार्टियों के नेताओं के अलावा छात्र-युवाओं व नागरिक समाज के लोगों ने भी अच्छी तादाद में शिरकत की. तमिलनाडु के कोयम्बटूर, पश्चिम बंगाल के कालना (बर्दवान जिला) और पंजाब के डेरा बाबा नानक में भी प्रतिवाद कार्यक्रम आयोजित हुए.
देशव्यापी प्रतिवाद दिवस के तहत कोलकाता में सैकड़ों छात्रों ने यूपी भवन के सामने जोरदार प्रदर्शन किया.
छत्तीसगढ़ के भिलाई में विभिन्न संगठनों के एक प्रतिनिधिमंडल ने दुर्ग के एसडीएम को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा. इसमें बृजेन्द्र तिवारी (भाकपा-माले), शांत कुमार (माकपा), सीताराम सिंह (भाकपा), बंसत उके (एटक), लक्ष्मी कृष्णन (ऐपवा), जीडी राउत (मूल निवासी संघ), जमाते इस्लामी हिन्द से गुलाम रब्बानी, आरपी गजेन्द्र तथा एचएल चौरे (ऐक्टू) शामिल थे.
उत्तर प्रदेश में भाकपा(माले) समेत वामपंथी दलों ने संयुक्त रूप से हर जिले में राष्ट्रपति व राज्यपाल को संबोधित ज्ञापन जिलाधिकारियों/उपजिलाधिकारियों को सौंपे. ज्ञापन में लोकतांत्रिक प्रतिवादों पर प्रदेश भर में लगी धारा144 व अन्य पाबंदियां हटाने, पुलिस हिंसा में मारे गए लोगों के परिजनों व घायलों को मुआवजा देने, सम्पत्तियों की हानि के नाम पर जारी की गई वसूली की नोटिसें रद्द करने और सीएए, एनआरसी व एनपीआर को वापस लेने की मांगें भी शामिल थीं.
राजधानी लखनऊ में ज्ञापन देने जा रहे संयुक्त वाम प्रतिनिधिमंडल को पुलिस ने विधानसभा के निकट रोक दिया और मौके पर जिला प्रशासन की ओर से संयुक्त मजिस्ट्रेट ने आकर ज्ञापन लिया. इलाहाबाद में जिला मुख्यालय पर संविधान की प्रस्तावना का पाठ कर ज्ञापन सौंपा गया. गाजीपुर में बाबा साहब भीम राव अम्वेदकर पार्क से जुलूस निकालकर सभा आयोजित की गई तथा एसडीएम सदर को राष्टपति को संबोधित 11सूत्री मांगों का ज्ञापन सौपा गया. उरई (जालौन) में प्रतिवाद मार्च निकाला गया और ज्ञापन सौंपा गया. लखीमपुर खीरी के पलियाकलां, मथुरा, मुरादाबाद, मैनपुरी, कुशीनगर के तमकुहीराज, फैजाबाद, रायबरेली, मऊ, कानपुर समेत अन्य जिलों में भी ज्ञापन दिये गए.
बिहार में भोजपुर (आरा, तरारी व गड़हनी) पटना (बिहटा, पालीगंज, मसौढ़ी, धनरूआ, नौबतपुर व फतुहा), जहानाबाद, अरवल, दरभंगा, बेगुसराय, मधुबनी आदि समेत कई जिला व प्रखंड मुख्यालयों पर प्रतिवाद कार्यक्रम आयोजित हुए.
इस बीच, 19-20 दिसंबर 2019 के प्रतिवाद के दौरान बनारस में गिरफ्तार हुए और जेल में बंद 57 प्रदर्शनकारियों की जमानतें एक जनवरी को मंजूर हुईं, लेकिन इनमें शामिल भाकपा(माले) केंद्रीय कमेटी सदस्य का. मनीष शर्मा, ऐक्टू के एसपी राय समेत 3 लोगों की रिहाई रोकने के लिए प्रशासन ने ऐन मौके पर कुछ नई धाराएं लगा दीं। पार्टी की राज्य इकाई ने इन प्रशासनिक तिकड़मों की कड़ी निंदा की है.