5 जनवरी की सुबह में 30-40 लोग वर्दी और मास्क पहन कर अंदर घुस गए और जेएनयू में अध्ययन क्षेत्र में मौजूद छात्रों पर हमला किया. छात्रों को बुरी तरह पीटा गया. महिला छात्रों के साथ छेड़छाड़ की गई. इतना ही नहीं एबीवीपी और आरएसएस समर्थित शिक्षक भी एकत्रित हुए और उन छात्रों पर बेरहमी से हमला किया जो पिछले दो महीनों से गैरकानूनी आइएचए मैनुअल और भारी शुल्क वृद्धि के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे. जेएनयूएसयू महासचिव पर एबीवीपी और उसके समर्थित शिक्षक संघ ‘जेएनयूटीएफ’ द्वारा हमला किया गया और छात्रों को घेर कर मारा गया. भाषा विज्ञान की एम.ए. प्रथम वर्ष की छात्रा प्रिप्ता के पैर में फ्रैक्चर हुआ है.
शाम को जब जे एन यू के छात्रा शांति बैठक के लिए एकत्र हुए थे, तो दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष सतिंदर अवाना (एबीवीपी) के नेतृत्व में 60 से अधिक लोग और अन्य बाहरी शरारती लोगों ने दिल्ली पुलिस की मदद से विश्वविद्यालय परिसर में घुस आए. उनके हाथों में लोहे की राॅड, लाठियां और अन्य हिंसक हथियारों थे. इन सभी लोगों को जेएनयू में कार्यरत एबीवीपी संगठन द्वारा बुलाया गया था. सभी ने अपने चेहरे ढक रखे थे ताकि पहचान छुपाई जा सके. ये सभी लोग विश्वविद्यालय में सब कुछ तहस नहस करने के इरादे से गये थे. इस हिंसक भीड़ ने हाॅस्टल में घुसकर छात्रों की बेरहमी से पिटाई शुरू कर दी. जेएनयू छात्रा संघ की अध्यक्ष आइशी घोष पर निर्ममता से हमला कर दिया, उनके सर पर लोहे की राॅड से वार किया गया जिससे आइशी घोष बुरी तरह जख्मी हो गयीं. एक शिक्षक-संकाय सदस्य जो कि छात्रों की सुरक्षा का प्रयास कर रही थीं और छात्रों को हिंसक उपद्रवियों से बचाने की कोशिश कर रहीं थी, उन पर भी इस हिंसक भीड़ द्वारा घातक हमला किया गया. गंभीर रूप से लहूलुहान, चोटिल 18 से अधिक छात्रों को एम्स ट्राॅमा सेंटर में भर्ती कराया गया. कैंपस में रहने वाले वाले जेएनयू के प्राध्यापकों के वाहनों और घरों पर भी हमला किया गया.
दिल्ली पुलिस परिसर के बाहर तैनात थी लेकिन इस हिंसक भीड़ को परिसर में प्रवेश करने से रोकने के लिए उसने कुछ नहीं किया. पुलिस ने सिर्फ जेएनयू के पूर्व छात्रों और शुभचिंतकों को प्रवेश करने से रोका और विश्वविद्यालय में घुसी हिंसक भीड़ के प्रहरी के रूप में काम किया. पुलिस को इस संभावित हमले की सूचना कई बार दी गयी थी लेकिन उसने छात्रों की सुरक्षा के लिए कोई कदम नहीं उठाया.
एबीवीपी ने लाठी और राॅड्स के साथ छात्रों पर हमला इसलिए किया ताकि विश्वविद्यालय प्रशाशन की अनुचित मनमानी और तानाशाही को परिसर में लागू किया जा सके और फीस वृद्धि के खिलाफ चल रहे आंदोलन को कमजोर किया जा सके. एबीवीपी की असली पहचान खुल कर सामने आ गयी है. साथ ही जेएनयू प्रशासन, एबीवीपी और दिल्ली पुलिस के बीच मौजूद छात्र विरोधी सांठगांठ भी अब खुलकर सामने आ गई है.
भाकपा(माले) ने दिल्ली पुलिस, जेएनयू प्रशासन और जेएनयू सुरक्षा गार्डों की सक्रिय सांठ-गांठ से नकाबपोश एबीवीपी के द्वारा जेएनयू में किए गए हमले और तोड़फोड़ के खिलाफ देशव्यापी प्रतिवाद का आह्वान करते हुए कहा कि जेएनयू प्रशासन और साथ ही गृह मंत्री अमित शाह के प्रति सीधे सीधी जवाबदेह दिल्ली पुलिस ने कोई हस्तक्षेप किए बगैर हिंसक भीड़ को जेएनयू के अंदर तांडव मचाने खुला छोड़ दिया. केंद्र की मोदी-शाह शासन सत्ता में आने के बाद से ही लगातार जेएनयू और अन्य विश्वविद्यालयों को निशाना बनाया जा रहा है. जो दिल्ली पुलिस सीएए के खिलाफ शांतिपूर्ण प्रतिवादों को कुचलने के लिए धारा 144 लगा देती है, उसी पुलिस ने इन गुंडों को जेएनयू परिसर में घुसकर तोड़फोड़ मचाने और फिर आराम से निकल जाने की अनुमति दे दी.
इस फासीवादी हमले की भर्त्सना करने तथा जेएनूय के छात्रों व शिक्षकों के प्रति एकजुटता जाहिर करने के लिए तमाम जगहों पर प्रतिवाद हुए, जिसमें बड़ी तादाद में आम लोगों ने शिरकत की. एम्स, आइआइएमएस, टिस, बीएचयू जैसे शीर्ष संस्थानों समेत ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी जैसी दुनिया के प्रतिष्ठित संस्थानों में भी प्रतिवाद आयोजित हुए. देश की कई प्रमुख हस्तियों, जिनमें लेखक, बुद्धिजीवी, कलाकार, फिल्म अभिेनेता आदि समेत सामाजिक जीवन के हर क्षेत्र सेे लोग शामिल हैं, इस हमले की पुरजोर निंदा की है.
म. गां. हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के विद्यार्थियों और शोधार्थियों ने 6 जनवरी को गांधी हिल्स से कैंपस के गेट तक प्रतिरोध मार्च निकाला जिसे छात्र नेता चंदन सरोज, शोधार्थी रविचंद्र,व सरिता यादव, अजय राउत, प्रेम व इफ्रतेखार अहमद ने संबोधित किया. इसमें विश्वविद्यालय की छात्राओं ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और प्रशासन द्वारा विद्यार्थियों पर हमले को न रोके जाने की घोर निंदा की.
पंजाब के मानसा में बारिश व ख़राब मौसम के बावजूद भाकपा(माले), भाकपा, अखिल भारतीय किसान महासभा, जनवादी किसान सभा, आइसा, इनौस व ऐपवा की ओर से ‘रोष रैली’ व प्रर्दशन निकाला गया और शहर चौक पर मोदी का पुतला दहन किया गया. रैली को का. सुखदर्शन सिंह नत्त, हरदेव अर्शी, रुल्दू र्सिंह मानसा व अमरीक सिंह ने संबोधिन किया. गुरूदासपुर में भाकपा(माले) समेत चार वाम दलों ने प्रतिवाद मार्च आयोजित किया.
उत्तराखंड के हल्द्वानी में भाकपा(माले) और क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन द्वारा संयुक्त विरोध प्रदर्शन कर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का पुतला दहन किया गया. कार्यक्रम को भाकपा(माले) के राज्य सचिव राजा बहुगुणा, जिला सचिव डा. कैलाश पाण्डेय व क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन के अध्यक्ष पीपी आर्य, ने संबोधित किया.
उत्तर प्रदेश में भी जगह-जगह विरोध प्रदर्शन हुए. राजधानी लखनऊ के हजरतगंज में गांधी चबूतरे पर भाकपा(माले), माकपा, आइसा ने संयुक्त सभा कर रोष प्रकट किया. इससे पहले हुसैनगंज चौराहा से जीपीओ तक नारे लगाते हुए माले कार्यकर्ताओं ने प्रतिरोध मार्च निकाला गया. एडवा, ऐपवा आदि महिला संगठनों व नागरिक समाज के लोगों ने भी अम्बेडकर प्रतिमा पर धरना दिया. गाजीपुर में भाकपा(माले) ने प्रदर्शन कर गृह मंत्री अमित शाह का पुतला फूंका. मिर्जापुर में प्रतिवाद मार्च निकाला गया। इलाहाबाद में विवि छात्रसंघ भवन पर छात्रों ने जोरदार प्रतिवाद किया. गोरखपुर में भाकपा(माले) और दिशा छात्र संगठन ने प्रतिवाद मार्च किया. आजमगढ़, मऊ, सीतापुर, रायबरेली, जालौन, फैजाबाद, मथुरा समेत अन्य जिलों में भी प्रतिवाद कार्यक्रम हुए और राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन भेज कर दोषियों पर कठोर कार्रवाई करने की मांग की गई.
बिहार में राजधानी पटना के बुद्ध स्मृति पार्क के सामने आयोजित नागरिक प्रतिवाद में पार्टी राज्य सचिव का. कुणाल समेत कई नेताओं व शहर के नागरिकों ने हिस्सा लिया. भागलपुर स्टेशन चौक स्थित डा. अम्बेदकर प्रतिमा स्थल पर भाकपा(माले) समेत कई सामाजिक, लोकतांत्रिक, नागरिक, छात्र-युवा और मजदूर संगठनों की ओर से प्रतिवाद सभा आयोजित हुई. आइसा-इनौस ने बिहारशरीफ में गृह मंत्री अमित शाह का पुतला दहन किया. मुजफ्फरपुर, अरवल, औरंगाबाद, बेतिया, समस्तीपुर, जहानाबाद, बेगूसराय, आरा, दरभगा आदि दर्जनों जिला मुख्यालयों पर विरोध प्रदर्शन आयोजित हुए.
आंध्र प्रदेश के तेनाली, झारखंड के रांची, जमशेशदपुर तथा बगोदर तथा ओड़िशा के भुवनेश्वर में भी भाकपा(माले), आइसा, और इनौस के बैनर तले प्रतिवाद हुए.
आइसा ने एबीवीपी-आरएसएस समर्थकों द्वारा जेएनयू के छात्रों और प्रोफेसरों पर किए गए क्रूर और आतंकी हमले की कड़ी निंदा करते एबीवीपी-जेएनयू प्रशासन-दिल्ली पुलिस द्वारा सुनियोजित हमले की जांच कर जल्द सच का खुलासा करने और विश्वविद्यालय समुदाय के हित और उसकी गरिमा को बचाने में पूरी तरह नाकाम रहे जेएनयू कुलपति और कानून के तहत अपना कर्तव्य निभाने के बजाय एबीवीपी-आर एसएस प्रायोजित गुंडों के साथ विश्वविद्यालय पर हमले में हिंसा का साथ देनेवाले दिल्ली पुलिस आयुक्त के इस्तीफ की मांग की.
आइसा ने कहा कि यह जेएनयू समुदाय पर एक जान-बूझकर किया गया सुनियोजित हमला था. जिससे पूरे देश के छात्रों में भय और दहशत का माहौल पैदा किया जा सके, क्योंकि ये छात्रा मोदी-शाह शासन और इसकी कठोर, विभाजनकारी नीतियों के खिलाफ संघर्ष के मैदान में सबसे आगे हैं. जेएनयू पर हमला जामिया और एएमयू समुदाय पर हाल के हमलों के अनुरूप है. हम गृह मंत्री अमित शाह के इस्तीफे की मांग करते हैं जिनके नियंत्रण में दिल्ली पुलिस एक तरफा गैर कानूनी कार्यवाही कर रही है. हम बताना चाहते है कि इस तरह के हमलों से असंवैधानिक नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी-एनपीआर के खिलाफ लड़ाई कमजोर नहीं होगी.
जेएनयू में फीस वृद्धि के खिलाफ शुरू हुआ आंदोलन पूरे देश मे फैलता जा रहा है और छात्रों द्वारा देश के विभिन्न शैक्षिक संस्थानों, विश्वविद्यालयों में मनमाने तरीके से की गई फीस वृद्धि के खिलाफ प्रदर्शन और आंदोलन जारी हैं. जेएनयू आंदोलन अवैध हाॅस्टल नियमावली आइएचए मैनुअल और शुल्क वृद्धि के पूरी तरह वापस न लिए जाने तक जारी रहेगा. आइसा ने परीक्षा की तैयारी के लिए पर्याप्त समय देकर व्यवस्थित तरीके से प्रशासन द्वारा परीक्षा सुनिश्चित करने, छात्रों पर प्रशाशन द्वारा की गई दंडात्मक कार्यवाही और अनुशासानाधिकार संबंधी पूछताछ वापस लेने व हमला करने वाले एबीवीपी कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी करने की मांग करते हुए कहा कि परिसर के अंदर प्रशासन और एबीवीपी की गुंडागर्दी के खिलाफ जेएनयू जमकर मुकाबला करेगा.