राजद द्वारा आहूत 21 दिसंबर 2019 के बिहार बंद के समापन के बाद आरएसएस-भाजपा के स्थानीय नेताओं के उकसावे पर पुलिस ने औरंगाबाद के मुस्लिम समुदाय के लोगों पर बर्बर दमन चक्र चलाया. उसी दिन फुलवारीशरीफ में भी बंद के जुलूस में शामिल अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों पर जानलेवा हमला किया गया था औरं सत्रह वर्षीय किशोर अमीर हजला की हत्या भी कर दी गई. फुलवारी का मामला तो सामने आया लेकिन औरंगाबाद में पुलिस द्वारा अल्पसंख्यक समुदाय पर पुलिसिया कहर की खबर दबा दी गई.
औरंगाबाद की बर्बरता ने इस भ्रम की कोई गुंजाईश नहीं छोड़ी है कि नीतीश कुमार बिहार में आज आरएसएस के एजेंडे को आगे बढ़ाने का काम नहीं कर रहे हैं. बिहार का पुलिस-प्रशासन पूरी तरह सांप्रदायिक हो चला है, जो लोकतंत्र के लिए बेहद खतरनाक है. अल्पसंख्यकों के घरों में घुसकर तांडव मचाना, उनके सामान व संपत्ति नष्ट कर देना, महिलाओं को भद्दी-भद्दी गालियां देना और उनके सीने पर पिस्तौल रख कर जान से मार देने की धमकी देना, बुजुर्गों को बेरहमी से घसीटना – औरंगाबाद कहीं दूसरा मुजफ्फरनगर बनकर तो सामने नहीं आया है?
औरंगाबाद और फुलवारीशरीफ की घटनाओं से साफ जाहिर होता है कि बिहार पूरी तरह से आरएसएस व भाजपा की गिरफ्त में आ गया है. वे लोग बिना किसी डर-भय के शांतिपूर्ण जुलूसों पर हमले कर रहे हैं, सांप्रदायिक उन्माद पैदा करने की निरंतर साजिशें रच रहे हैं और सरकार उनकी संरक्षक बनी हुई है.
औरंगाबाद बर्बरता की जांच करने के लिए 31 दिसंबर को पार्टी विधायक का. सुदामा प्रसाद, औरंगाबाद के जिला सचिव का. मुनारिक राम, इंसाफ मंच के राज्य सचिव का. कयामुद्दीन अंसारी व उपाध्यक्ष का. अनवर हुसैन के नेतृत्व में भाकपा(माले) और इंसाफ मंच की संयुक्त टीम वहां का दौरा किया और वहां मौजूदा तस्वीर को सामने लाया. यह तस्वीर बहुत ही भयावह है.
क्या कहती है जांच रिपोर्ट: औरंगाबाद में 21 दिसंबर को बिहार बंद का कार्यक्रम खत्म होने के बाद आंदोलनकारी दोपहर में घर लौट रहे थे. आंदोलनकारियों का जत्था, जिसमें बहुसंख्यक मुस्लिम थे, जब पांडेय पुस्तकालय से गुजर रहा था तो भाजपा के पूर्व नगर उपाध्यक्ष अनिल गुप्ता और एक अन्य भाजपा नेता आकाश गुप्ता ने आंदोलनकारियों पर छींटाकशी शुरू कर दी. जब इससे भी बात नहीं बनी (बंद समर्थकों ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी) तो उन्होंने फुलवारीशरीफ की ही तर्ज पर ही एकतरफा पत्थरबाजी शुरू कर दी. इसके बाद ही आंदोलनकारियों ने भी पत्थर फेंके और वहां भगदड़ मच गई. इसके बाद लोग अपने घरों को लौट गए. 2018 में रामनवमी के समय भी औरंगाबाद में भाजपाईयों ने जो उत्पात मचाया था, वह इसी पांडेय पुस्तकालय से शुरू हुआ था. लेकिन, इसी बीच पुलिस ने जो शायद इसी अवसर के ताक में थी, भारी संख्या में जुटकर मुस्लिम मुहल्लों पर हमला बोल दिया.
पुलिस ने कुल 11 मुहल्लों पर हमला किया. घरों के दरवाजे तोड़े गए. घरों में तोड़फोड़ की गई. महिलाओं से बदतमीजी की गई. पुलिस ने 9 चौपहिया वाहनों व 15 मोटरसाइकिलों को तोड़ डाला और लाखों रूपयों की नगदी व गहने भी लूट लिए. स्थानीय लोगों ने इस पुलिसिया तांडव का वीडियो भी उपलब्ध करवाया है. इतना ही नहीं, पुलिस ने कुल 84 लोगों पर एकतरफा मुकदमें भी दर्ज कर दिए और कुल 39 लोगों को गिरफ्तार भी कर लिया. इनमें से 38 लोग मुस्लिम समुदाय के हैं और महज एक हिंदू है. गिरफ्तार किए गए लोगों में कुल 12 नाबालिग बच्चे और 3 महिलाएं भी शामिल हैं. पुलिस ने जिन मुहल्लों पर ‘धावा’ बोले, उनके नाम हैं – शाहगंज, कुरैशी मुहल्ला, अंसारबाग, पठानटोली, आजादनगर, अलीनगर, इस्लामटोली, नवाडीह, न्यू काजी टोला और टिकारी मुहल्ला.
कुरैशी मुहल्ला – कुरैशी मुहल्ला के नेहाल कुरैशी के बेटे शौकत कुरैशी और अशफाक कुरैशी की बेटी सफीना परवीन की उसी दिन मंगनी थी. दोनों के घर एक ही मुहल्ले में अगल-बगल में हैं. दोनों के घर मेहमान आए हुए थे. दिन के डेढ़ बजे पुलिस ने दोनों के घरों पर धाावा बोला. अशफाक कुरैशी के यहां दावत की भी तैयारी चल रही थी. पुलिस ने सारे बरतन उलट दिए. नेहाल कुरैशी के यहां भी घरेलू सामानों की लूट और तोड़फोड़ की. मंगनी में आए मेहमानों और घर के महिलाओं-पुरुषों समेत कुल 12 लोगों को गिरफ्तार कर लिया और उनमें से कईयों को बुरीतरह से पीटा. पुलिस की पिटाई से अजहर उर्फ सोनू और आफताब के पैर की हड्डी टूट गई तो इमरान के हाथ की पांचों उंगलियां. शादी के जश्न की मातम पसर गया.
उसी मुहल्ले में नईम अंसारी के बेटे चांद की शादी पिछले ही नवंबर माह में हुई थी. पुलिसवालों ने उपहार में मिले सारे सामान को तोड़ दिया. साथ ही कीमती जेवर व कुछ अन्य सामान लेकर भी चले गए. उनके घर कम से कम 10 लाख रु. की क्षति हुई होगी.
नेहाल कुरैशी के घर से गिरफ्तार लोगों में (1). हसीना खातून (पति का नाम - अबुल हसन), (2). इसरत खातून (पति - मो. कयामुद्दीन), ये दोनों नेहाल कुरैशी की बहन हैं. (3). इसरत खातून, (पति - मो. हसनैन), नेहाल कुरैशी की बहू (4). नेहाल कुरैशी (5). सद्दाम हुसैन (6). आफताब आलम (नाबालिग), (7). परवेज आलम (8). रिजवान आलम (नाबालिग), (9). मो. आरिफ, (10). मो. नुमान और (11). मो. एहसान शामिल हैं.
पठान टोली – 21 दिसंबर को ही पुलिस पठान टोली की 39 वर्षीय खुर्शीदा खातून के घर में, जिनके पति का नाम मो. मुकीम आलम है और जो सउदी अरब में रहते हैं, तीन बार घुसी. मेन गेट खुला हुआ था लेकिन कमरों के दरवाजे बंद थे. पुलिस ने दरवाजा खोलने और नहीं तो तोड़ देने की धमकी दी. इस बीच वे कहते रहे कि सब बलवाईयों को इसी ने छुपा रखा है. घर के आंगन में स्थित शौचालय व मोटरसाइकिल को पुलिस ने तोड़ दिया. डीएसपी अनूप कुमार के नेतृत्व में तीसरी बार में घर का दरवाजा खुलवाया गया. साथ में दंगा निरोधक पुलिस वाले भी थे. डीएसपी ने खुर्शीदा खातून के सीने पर रिवाल्वर रखकर कहा – ‘‘तुमलोगों को आजादी चाहिए .… आजादी दे दें!! डीएसपी महिलाओं को भद्दी-भद्दी गालियां देते हुए उनको जलील करता रहा. खुर्शीदा खातून ने बिना डरे कहा – ‘‘हां, हमें आजादी चाहिए, और अब तो वैसे भी मरना ही है.” पुलिस उनके घर से एक 76 वर्षीय बुजुर्ग मो. जियाउल हक को घसीटते हुए ले जाने लगी, लेकिन खुर्शीदा खातून व अन्य महिलाओं ने जबरदस्त प्रतिरोध किया और उन्हें छुड़ा लिया.
अंसार बाग में पुलिस ने तीन लोगों के घरों का दरवाजा तोड़ दिया और तीन लोगों को गिरफ्तार किया. इनमें मो. खुर्शीद अहमद के तीन पुत्र – सैयद अहमद खुर्शीद, कमर खुर्शीद और अकबर खुर्शीद शामिल हैं. सैयद अहमद खुर्शीद जामिया मिल्लिया इस्लामिया, दिल्ली के छात्रा हैं जबकि कमर नदवा स्कूल, लखनऊ में पढ़ाई करते हैं. अजमेर नगर में भी पुलिस ने घर का दरवाजा तोड़कर रात्रि के 8 बजे यासीन अंसारी को गिरफ्तार किया. आजाद नगर में दरवाजा नहीं टूटा तो चाहरदीवारी ही तोड़ डाली और जैनुल अंसारी और उनके पुत्र को गिरफ्तार किया गया.
नुकसान का एक संक्षिप्त जायजा
(1). सबीर कुरैशी - 4 चौपहिया और 2 दोपहिया वाहन (एक सेंट्रो कार, एक पिकअप वैन, दो मोटरसाइकिल, 20 हजार रु. नकद). (2). अमीर उल हक - 1 पिक अप वैन को तोड़ दिया गया. (3). हाजी जसीम कुरैशाी - स्विफ्ट डिजायर कार को तोड़ दिया. मोटरसाइकिल को भी नुकसान पहुंचाया (4). साहिर कुरैशी - 2 पिकअप वैन को तोड़ दिया. (5). मो. इरशाद - 1 पिकअप वैन को तोड़ दिया. (6). नईम अंसारी - 3 मोटरसाइकिलें तोड़ी गईं.
प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि औरंगाबाद के डीएम राहुल रंजन महिवाल खुद अपनी हाथें में लाठी लिए पुलिसिया हमले का नेतृत्व कर रहे थे. इनके कार्यकाल में ही 2018 में रामनवमी के अवसर पर औरंगाबाद में दंगा हुआ था. अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों की 70 दुकानों को लूटा व जलाया गया था. उस समय भी इन पर दंगाइयों के सरंक्षण का आरोप लगा था. तब भी, इनका तबादला तक नहीं हुआ. एसपी दीपक वर्णवाल भी खुद से पत्थर चला रहे थे.
इसी बीच 30 दिसम्बर की रात में फुलवारी के 17 वर्षीय अमीर हंजला की लाश भी मिली है. 21 के बंद के दौरान ही यह गुम हो गया था. बैट व छुरा से हमला कर हत्या के बाद उसकी लाश फुलवारी प्रखंड परिसर के नजदीक के पानी भरे गड्ढे में फेंक दिया गया था. संघ-भाजपा के गुंडों की गिरफ्तारी के बाद ही उसकी लाश का पता चला. अमीर हंजला दरभंगा के अलीनगर प्रखंड का निवासी था और यहां फुलवारी में बैग बनाने वाली फैक्ट्री में मजदूर था.
इसके अलावा पूरे राज्य में आंदोलनकारियों को फर्जी मुकदमों में फंसाने का अभियान भी तेज हुआ है. पटना में भाकपा(माले) के वरिष्ठ नेताओं सहित अन्य आंदोलनकारियों पर मुकदमें थोप दिए गए हैं और विरोध मार्च निकालने की भी अनुमति नहीं दी जा रही है.
जांच दल ने औरंगाबाद के डीएम व एसपी सहित बर्बर दमन में शामिल पुलिसकर्मियों पर अविलंब कार्रवाई करने, पुलिसिया कहर में नष्ट संपत्ति का मूल्यांकन करके पीड़ितों को उचित मुआवजा देने, सभी गिरफ्तार लोगों को अविलंब रिहा करने, उकसावा पूर्ण कार्रवाई करने वाले भाजपा के पूर्व नगर उपाध्यक्ष अनिल गुप्ता उर्फ ओरियावला और आकाश गुप्ता को गिरफ्तार करने, भाजपा-आरएसएस द्वारा शांतिपूर्ण जुलूस पर हमले और दंगे फैलाने की साजिशों पर रोक लगाने और मृतक अमीर हंजला के परिवार को सरकारी नौकरी व 20 लाख रु. का मुआवजा देने की मांग की है.