‘सरकार हमने चुना है, नागरिक चुनने का अधिकार हम मोदी-अमित शह को नहीं दे सकते. सरकार डर गई है इसलिए मोदी बार-बार झूठ बोल रहे हैं. दिलली के शाहीन बाग से लेकर आज मुजफ्फरपुर के आबेदा स्कूल में शामिल महिलाओं की संख्या व जज्बे से यह सरकार डरी हुई हे. लेकिन इस बार हम आजादी की दूसरी लड़ाई लड़ रहे हैं. हमारा संविधान खतरे में है और लड़ने के सिवा हमारे पास कोई विकल्प नहीं है.’ – भाकपा(माले) पोलित ब्यूरो की सदस्य व ऐपवा की राष्ट्रीय सचिव का. कविता कृष्णन ने मुजफ्फरपुर के आबेदा स्कूल में विगत 5 जनवरी को आयोजित हुए ‘साझी शहादत-साझी विरासत-साझी नागरिकता’ महिला सम्मेलन को संबोधित करते हुए यह बात कही.
उन्होंने कहा कि एनआरसी, एनपीए और सीएए यह पूरा मोदी सरकार का सांप्रदायिक पैकेज प्रोग्राम है. लेकिन संविधान की उद्देश्यिका पर हमला हमारा देश कतई बर्दाश्त नहीं करेगा. भारत छोड़ो आंदोलन के बाद पहली बार इस देश ने इस बड़े पैमाने पर आंदोलन को देखा है. इसकी व्यापकता कश्मीर से कन्या कुमारी व गुजरात से असम तक है.
सभा को संबोधित करते हुए ऐपवा की राष्ट्रीय महासचिव का. मीना तिवारी ने कहा कि ‘साझी शहादत-साझी विरासत-साझी नागरिकता’ हमारे खून में शामिल है जो इस देश की मिट्टी व संविधान ने हमें दिया है. आज हम महिलाओं ने इस संघर्ष की बागडोर को संभाल लिया है. हम मोदी-शाहकी इस तानाशाही को रोक देंगे. देश के बुनियादी सवालों पर जवाब देने के बजाय वे देश में गाय-गोबर, माॅब लिंचिंग, लव जेहाद जैसे सवालों को खड़ा कर लोगों को बरगलाने का काम कर रहे हैं. हम इस बार सरकार की आंख से आंख मिलाकर कहेंगे कि तुम चाहे जो कर लो, हम तुमको कोई कागज नहीं दिखायेंगे.
सभा का संचालन कर रही एएमयू की छात्रा आबिया अहमद ने कहा कि सरकार ने सोचा कि तीन तलाक, धारा 370, राम मंदिर पर जैसे लोग चुप बैठ गए उसी तरह वे इस बार भी चुप बैठ जायेंगे. लेकिन, जब देश और संविधान को बचाने की बात आएगी, हम चुप कैसे रहेंगे.
11 वीं की छात्रा उसरा जफर ने कहा कि इस सरकार ने हमलोगों को लड़ना सिखा दिया. 56 ईंच का सीना रखनेवाली मोदी सरकार कितनी कायर है. कि वह हमसे डर गई है और हमारे डर से स्कूल-काॅलेज खुलने के बाद भी हमे हाॅस्टलों में नहीं जाने दे रही है. यह देखकर तो हमें हंसी आती है.
सभा में प्रो. भवानी रानी दास, मोनिदा सलमान, मारिया खातून, मनीषा दत्ता, शाहिना परवीन, मोना ठाकुर, जेबा आफताब, इशरत, सोहिला खान, हुमा कौशर, ईशा भारती, बिरजिश निगार, रौशन जहां, आयशा, नसीम तबस्सुम, मोहसिना खातून आदि भी मौजूद थीं. प्रो. अरविंद कुमार डे, डा. शम्शुल हसन, मौलान एकरामुल, आलम रहमानी ने भी सभा को संबोधित किया.