अभी सरकार ने कहा कि कोरोना वायरस का खतरा है और सभी अटेंशन में रहें. एहतियात के तौर पर सभी स्कूल बंद कर दिए. लेकिन, बिहार के शिक्षा मंत्री के चुनाव क्षेत्र का एक स्कूल तो एक साल पहले से ही अटेंशन में है क्योंकि वह पूरी तरह से बंद है.
बिहार के शिक्षामंत्री श्री कृष्णनंदन वर्मा के चुनाव क्षेत्र घोसी (जहानाबाद) के मोदनगंज प्रखंड में एक गांव है – प्रीतम बिगहा. प्रखंड के मौजूदा प्रखंड विकास पदाधिकारी भी इसी गांव के निवासी हैं. गांव में मुख्यतः दलित-पिछड़ी जातियों (यादव व रविदास) जातियों के लोग निवास करते हैं. गांव में एक प्राथमिक विद्यालय है, जिसमें तीन शिक्षक नियुक्त हैं. हैरानी की बात है कि एक वर्ष से इस स्कूल के भवन में न तो कोई शिक्षक प्रवेश किये हैं और न ही छात्र.
पूछने पर ग्रामीणों ने बताया कि उन्हें भी इसकी वजह मालूम नहीं है. किन्तु पिछले साल से ही इस स्कूल को मसाढ गांव के स्कूल से टैग कर दिया गया है. सभी शिक्षक प्रीतम बिगहा के जगह मसाढ के स्कूल में ही हाजिरी लगाते हैं और वेतन पाते हैं. प्रीतम बिगहा स्कूल के नाम पर मिलनेवाले बच्चों के पोषाहार क्या होता होगा? यह तो जिले के शिक्षा अधिकारी या शिक्षामंत्री ही जानते होंगे. ग्रामीणों ने बताया कि शिक्षा मंत्री व शिक्षा विभाग के अधिकारियों को वे कह-कह कर थक गए पर कोई असर नहीं पड़ा. पिछले चुनाव में पूरे गांव ने कृष्णनंदन वर्मा को ही वोट दिया था.
प्रीतम बिगहा से 2 किलोमीटर दूर दक्षिण स्थित मसाढ गांव में आने-जाने के लिए जो एकमात्र रास्ता है वह है – फल्गु नदी का किनारा. इस पर पैदल के अलावा और किसी साधन का इस्तेमाल नहीं हो सकता. इस कारण इस गांव के बच्चे स्कूल नहीं जाते हैं. यानी कि यहां का बच्चों ने पिछले एक साल से स्कूल का मुंह देखा तक नहीं है. आप यह भी कह सकते हैं कि पूरा गांव पूरी तरह से शिक्षा मुक्त है.
– रामबली सिंह यादव