केंद्र की एनडीए सरकार द्वारा लाए गए पथ परिवहन विधेयक 2019, जो अब कानून का भी शक्ल ले चुका है, के खिलाफ 3 सितम्बर 2019 को बिहार राज्य ऑटो रिक्शा (टेंपो) चालक संघ सहित अन्य संगठनों के आह्वान पर पटना में तीस हजार ऑटो व लगभग 20 हजार ई रिक्शा चालकों ने ऐतिहासिक हड़ताल की. भाकपा(माले) ने न सिर्फ इस हड़ताल का स्वागत और समर्थन किया बल्कि पार्टी के मजदूर मोर्चे ने इसमें भाग भी लिया है. पार्टी ने निजी वाहन चालकों से भी इस हड़ताल को समर्थन देने का आह्वान किया था. नया पथ परिवहन कानून पूरी तरह गरीब विरोधी कानून है. ट्रैफिक नियमों में उल्लंघन करने पर जुर्माना पहले से लगभग 10 गुना बढ़ा दिया गया है, जो पहले से ही आर्थिक संकट झेल रही देश की जनता के साथ क्रूर मजाक है.
जाहिर है कि सरकार के इन कदमों से वाहन चालकों पर बेहद नकारात्मक असर पड़ेगा. सरकार ने ऑटो-रिक्शा चालकों से 15 साल का रोड टैक्स व 5 साल के परमिट का पैसा वसूला, लेकिन अब कह रही है कि सभी डीजल वाहनों के परमिट रद्द कर दिए जाएंगे और सीएनजी सेवा चलाई जाएगी. सरकार प्रदूषण बढ़ने का तर्क दे रही है. यदि सरकार सचमुच सीेएनजी वाहनों को चलाना चाहती है तो इस बात की गारंटी करे कि पुराने वाहन चालक के वाहन की कीमत लगाकर सीएनजी वाहन खरीदने के लिए उन्हें 50 प्रतिशत सब्सिडी दी जाय. इस कार्य में शिक्षित बेरोजगारों की भारी संख्या लगी हुई है. इसलिए इसे आनन-फानन में नहीं किया जा सकता है. परमिट रहने तक इन वाहनों को चलने देना चाहिए.
प्रदूषण केंद्र सरकार के परिवहन विभाग द्वारा ही स्थापित किए गए थे, लेकिन अब इस कानून के तहत प्रदूषण के वे सारे सर्टिफिकेट रद्द कर दिए जाएंगे. सरकार यह बताए कि अपने ही संस्थानों के सर्टिफिकेट को रद्द कर वाहन चालकों को क्यों परेशान कर रही है? वाहन चालकों की शिकायत है कि प्रशासन उनसे ऑन द स्पाॅट जुर्माना नहीं वसूलती. बाद में कई तरह के अन्य फर्जी चार्ज भी जोड़ दिए जाते हैं. इसलिए स्पाॅट फाइन की ही व्यवस्था होनी चाहिए. पटना शहर के ऑटो चालकों की यह भी मांग है कि बिहार सरकार तत्काल टाटा पार्क में स्टैैंड बनाकर ऑटो चालकों के लिए जगह की व्यवस्था करे. हमारी पार्टी इन मसलों पर बिहार सरकार से तत्काल कदम उठाने की मांग करती है.