वर्ष - 28
अंक - 36
24-08-2019

स्वतंत्रत दिवस की पूर्व संध्या पर 14 अगस्त को हल्द्वानी के बुद्ध पार्क में ऐक्टू, अ. भा. किसान महासभा, अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन (ऐपवा), डा. अंबेडकर मिशन एन्ड फाउंडेशन, द बुद्धिस्ट सोसायटी आॅफ इंडिया, भीम फोर्स, भाकपा(माले), भाकपा व विभिन्न सामाजिक कार्यकर्ताओं व जनसंगठनों द्वारा मोदी सरकार के अलोकतांत्रिक व असंवैधानिक रवैये के खिलाफ ‘संविधान बचाओ-लोकतंत्र बचाओ’ धरना दिया गया.

धरने को संबोधित करते हुए ऐक्टू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राजा बहुगुणा ने कहा कि मोदी-2 सरकार प्रचंड बहुमत की आड़ में संविधान सम्मत लोकतांत्रिक अधिकारों को जब्त करती जा रही है. मोदी सरकार यह नहीं चाहती है कि कोई उससे सवाल करे. सूचना जानने के अधिकार को पंगु बना दिया गया है. कश्मीर की जनता के साथ संविधान का 370 अनुच्छेद एक स्थाई प्रावधान था जिसकी पुष्टि 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने भी की थी. लेकिन आज वहां कश्मीरियत को फौजी राज  के नीचे रौंदा जा रहा है. कश्मीरियत की पहचान पर यह हमला भारत की विविधता में एकता वाली पहचान पर भी हमला है. उन्होंने कहा कि आज भारत के संविधान व लोकतंत्र की रक्षा के लिए सभी लोकतंत्र व देशभक्त ताकतों को फासीवाद का मुकाबला करने के लिए शहीदे आज़म भगत सिंह व बाबा साहेब अंबेडकर के विचारों को अंगीकार करना होगा. उन्होंने कहा कि आज का नारा है - ‘नए भारत के वास्ते, भगत सिंह-अंबेडकर के रास्ते’

डा. अम्बेडकर मिशन एन्ड फाउंडेशन के अध्यक्ष जी आर टम्टा ने कहा कि मोदी सरकार ने दोबारा आते ही रेलवे का बड़े स्तर पर निजीकरण करने, जन आंदोलनों के दबाव में जनता को प्राप्त सूचना का अधिकार ‘आरटीआई’ का संशोधन बिल लाने के बाद सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ बोलने या प्रतिवाद करने वालों को आतंकवादी व राष्ट्रद्रोही बनाने के लिए यूएपीए और एनआइए कानूनों में संशोधन कर देशवासियों के ऊपर तानाशाही लादने का काम कर रही है.

aipwa

 

ऐपवा संयोजक विमला रौथाण ने कहा कि कश्मीर की आवाम को दरकिनार कर धारा 370, 35 ए को खत्म कर देश में बड़े धार्मिक विभाजन के साथ राष्ट्रीय उन्माद के बल पर आने वाले आगामी चुनावों में जीत हासिल करना ही मोदी सरकार का एकमात्र लक्ष्य बन गया है. अखिल भारतीय किसान महासभा के प्रदेश अध्यक्ष आनंद सिंह नेगी ने कहा कि ‘संविधान बचाओ-लोकतंत्र बचाओ’ नारे के तहत जनता के बीच जाकर जन गोलबंदी और  जन प्रतिरोध ही आज एकमात्र विकल्प है. पत्रकार व सामाजिक कार्यकर्ता सरताज आलम ने कहा कि भाजपा एक के बाद एक संविधान विरोधी कदम उठा रही है. प्रचण्ड बहुमत की सरकार एक संघीय, लोकतांत्रिक भारत की अवधारणा को निगल जाना चाहती है.

धरने के बाद सूचना अधिकार बचाओ, यूएपीए हटाओ, 370 व 35-ए बहाल करो, एनआईए के नाम पर साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण बंद करो, ईवीएम हटाओ-बैलेट पेपर लाओ मांगों को लेकर पांच सूत्री ज्ञापन उपजिलाधिकारी के माध्यम से भारत के राष्ट्रपति को भेजा गया. धरने में सुंदर लाल आर्य, एचसी आर्य, अखिल भारतीय किसान महासभा के जिलाध्यक्ष बहादुर सिंह जंगी, द बुद्धिस्ट सोसायटी आॅफ इंडिया के हरीश आर्य, सीपीआई के उधमसिंह नगर जिला मंत्री एडवोकेट राजेन्द्र प्रसाद गुप्ता, ऐक्टू के प्रदेश अध्यक्ष निशान सिंह, केके बोरा, भाकपा(माले) जिला सचिव डाॅ. कैलाश पांडेय, पत्रकार जगमोहन रौतेला, इंद्रानगर जन विकास समिति के तस्लीम अंसारी, जाहिद अंसारी, नईम अहमद, साजिद सिद्दीकी, गोविंद कफलिया, महेश टम्टा, हरीशचंद्र आर्य, एडवोकेट एसडी जोशी, एडवोकेट योगिता, श्रमिक संयुक्त मोर्चा के प्रचार मंत्री राजेंद्र शाह, ललित मटियाली, कमल जोशी, एनडी जोशी, नैन सिंह कोरंगा, देवेन्द्र रौतेला, महेश, पनिराम आदि शामिल रहे.