झारखंड राज्य सरकार के मत्स्य विभाग द्वारा तालाबों को नगर निगम के माध्यम से खुले डाक कराके हजारों परिवारों को मत्स्यपालन के अधिकार से वंचित करने के खिलाफ तथा झारखण्ड के मत्सयजीवी समुदाय (केवट, निषाद, मल्लाह, साहनी, धीवर जाति) को अनुसूचित जाति का दर्जा देने की मांग पर 27 जुलाई 2019 को एसोसिएशन आॅफ फिशरीज सोसाइटीज झारखण्ड के बैनर तले राजभवन के समझ विशाल धरना आयोजित किया गया, जिसमें हजारों की संख्या में मत्स्यजीवियों ने भाग लिया. मोरहाबादी मैदान के गाँधी प्रतिमा से जाल, खोचर, मछली जैसे परम्परागत पहचान के साथ मत्स्यजीवी श्रमिकों की विशाल रैली राजभवन पहुंच कर धरना में तब्दील हो गई. रैली का नेतृत्व प्रदेश अध्यक्ष चरण केवट, रांची के संजय प्रसाद ने किया. रैली में झारखण्ड के छऊ नृत्य का भी प्रदर्शन हुआ. सभा को सम्बोधित करते हुए चरण केवट ने कहा कि हमारे समाज ने बड़ी उम्मीद के साथ रघुवर सरकार को गद्दी पर बैठाया लेकिन अच्छे दिनों के बजाय सरकार ने बुरे दिनों का एहसास करा दिया. हमारे समाज के लोगों के पेट पर लात मारने वाली सरकार को हम बर्दाश्त नही करेंगे. श्रमिक नेता भुवनेश्वर केवट ने कहा कि सरकार की कथनी और करनी में कोई मेल नही है. मत्स्यपालन और बिक्री का अधिकार निजी बड़ी कम्पनियों को देकर मत्स्यजीवी समाज के परम्परागत अधिकारों को छीनने का काम कर रही है. अब भीख और याचना नहीं, सरकार के खिलाफ संघर्ष के रास्ते आगे बढ़ना होगा. सभा को झारखण्ड निषाद समाज के नेता कैप्टन बद्री प्रसाद चौधरी ने भी सम्बोध्ति किया. सभा को संजय साहनी, किशोरी केवट, गणेश निषाद, गौर केवट, शिवलाल केवट आदि नेताओ ने सम्बोधित किया. कार्यक्रम में सरकार को दो महीना का अल्टीमेटम देते हुए कहा कि 22 सूृत्री मांगों पर सरकार ने विचार नहीं किया तो परिणाम गम्भीर होंगे. पाँच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने कार्यक्रम में नियुक्त दण्डाधिकारी को अपना मांगपत्र सौपा.
– चरण केवट