12 अगस्त 2019 को बकरीद के मौके पर मुजफ्फरपुर के दामोदरपुर में सांप्रदायिक तनाव पैदा करने की साजिश सामने आई. इस साजिश में संघ-भाजपा से जुड़े संगठनों के साथ ही साथ सत्ता से जुड़े दबंग राजनेताओं और स्थानीय पुलिस प्रशासन की ने भी बड़ी भूमिका निभाई. विगत 13-14 अगस्त को भाकपा(माले) नेता व इंसाफ मंच के राज्य अध्यक्ष का. सूरज कुमार सिंह के नेतृत्त्व में आफताब आलम, असलम रहमानी, जफर आजम, रेयाज खान (इंसाफ मंच) और विकेश कुमार, दीपक कुमार व अजय कुमार (आइसा) की एक संयुक्त टीम ने मुजफ्फरपुर के दामोदरपुर गांव पहुंच कर आम लोगों से और पुलिस-प्रशासन के अधिकारियों से भी बातचीत कर इस घटना की जांच-पड़ताल की. जांच-पड़ताल के दौरान दामोदरपुर पहुंचे प्रशासनिक अधिकारियों का रवैया काफी तल्ख रहा और जांच दल के साथ उनकी तीखी नोकझोंक भी हुई.
जांच के दौरान यह तथ्य उभरकर सामने आया कि दामोदरपुर में मुस्लिम समुदाय की अच्छी-खासी आबादी है. इसलिए यह गांव हमेशा ही हिन्दूवादी संगठनों के निशाने पर रहता है. वे अक्सर यहां उत्पात मचाने और इनको फंसाने में अक्सर जुटे रहते हैं. यहां साल भर पहले भी सांप्रदायिक तनाव फैलाने की साजिश की गई थी. 12 अगस्त की सुबह (बकरीद के दिन) मुजफ्फरपुर से 4-5 किलोमीटर पश्चिम कांटी प्रखंड अंतर्गत दामोदरपुर मुख्य बाजार से आगे ईदगाह चौक पर चकमुरमुर, शुभंकरपुर, दामोदरपुर के पश्चिमी टोले के मुस्लिम समुदाय के लोग ईद की नमाज अता करने जुटे थे. यह अंतिम सोमवारी का दिन भी था. नमाज के दौरान ही ‘बोल बम’ वालों का एक जत्था वहां डीजे के साथ पहुंच गया और धार्मिक जयकारा लगाने लगा. वहां पर मौजूद मुस्लिम समुदाय के लोगों और पुलिस ने डीजे बजाने और धार्मिक जयकारा करने से मना किया, लेकिन ‘बोल बम’ का जत्था अड़ा रहा.
पुलिस के साथ मिलकर कुछ स्थानीय लोगों ने डीजे को ठेल कर आगे करने की कोशिश की, लेकिन ‘बोल बम’ का जत्था और आक्रामक होता चला गया. पुलिस भी उन्हें समझाने और हटाने में लगी रही लेकिन वे बवाल करने पर उतारू थे. तभी वहां से सटे चकमुरमुर और शुभंकरपुर गांवों से भी लोग बुला लिए गए जो ‘बोल बम’ वालों के साथ मिलकर पुलिस और ईदगाह चौक पर खड़े लोगों पर पथराव करने लगे. तभी, बवाल होने की खबर पाकर वरीय अधिकारी भी वहां पहुंचे और मामले को शांत कराने की कोशिश करते रहे. लेकिन, सैकड़ों की संख्या में जुटे ‘बोल बम’ के समर्थक जोरदार पथराव करते रहे. इसमें कई पुलिस वाले भी घायल हो गये. अंततः पुलिस ने भी दंगा पर उतारू उत्पातियों पर लाठी चार्ज करते हुए उन्हें खदेड़ना शुरू कर दिया. डीएम, एसपी, डीआईजी और कमिश्नर के पहुंचने पर ही उत्पातियों को भगाया जा सका. पांच उत्पातियों को पुलिस ने गिरफ्तार भी किया.
पुलिस-प्रशासन ने दोनों पक्ष के सामाजिक कार्यकर्ताओं और स्थानीय जनप्रतिनिधियों को बैठक कर शांति कायम रखने की अपील की और उस क्षेत्र में धरा-144 लागू कर दिया और भारी संख्या में पुलिस बल की तैनाती कर दी. को. इस मामले में पुलिस ने दोनों पक्ष के 41 नामजद व 500 अज्ञात लोगों पर प्राथमिकी दर्ज की. लेकिन इस बीच कांटी विधान सभा के पूर्व विधायक और नीतीश सरकार के पूर्व मंत्री अजीत कुमार पुलिस-प्रशासन पर पक्षपात तथा ‘बोल बम’ वालों पर ज्यादती करने का आरोप लगाते हुए लोगों को भड़काने में जुटे रहे.
13 अगस्त की सुबह उस क्षेत्रा में कोई घटना नहीं घटी और चैक की दुकानें भी खुली. लेकिन, विश्व हिन्दू परिषद् के दर्जन भर लोगों ने घटनास्थल से काफी दूर बैरिया बस स्टैंड चौराहे को जाम कर दिया. वे पुलिस पर पक्षपात करने का आरोप लगाते हुए ‘बोल बम’ के लोगों से मारपीट करने व उनके डीजे तोड़ने के लिए मुस्लिम समुदाय को जिम्मेवार ठहराने लगे और उन पर कार्रवाई की मांग की. पुलिस-प्रशासन के आश्वासन के बाद जाम खत्म हुआ.
इसके बाद पुलिस का असली रूप खुलकर सामने आ गया. 13 अगस्त की रात में पुलिस ने दामोदरपुर मुख्य बाजार स्थित मुस्लिम समुदाय के घरों में जबरन घुसकर गाली-गलौज व मारपीट किया. इस दौरान ‘जय श्रीराम’ के नारे भी लगे. 11 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया. एक घर का दरवाजा तोड़ कर दो सगे भाइयों को गिरफ्तार किया गया और जब उनकी मां ने विरोध किया तो उन्हें जोर से धकेलते हुए उनके साथ मारपीट की गई. बुरी तरह घायल होने के कारण अगले दिन अस्पताल में उनकी मौत हो गई.
तथ्य यह है कि 12 अगस्त को दामोदरपुर बाजार के मुस्लिम समुदाय के लोग ईदगाह चौक पर उपस्थित ही नहीं थे. वे लोग बाजार स्थित मस्जिद में ही ईद की नमाज अता कर रहे थे. गिरफ्तारी और महिला की मौत से गुस्साये मुस्लिम समुदाय के लोगों ने दामोदरपुर मुख्य मार्ग को जाम कर दिया. एसडीओ, वरीय पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों से वार्ता के बाद मृतका के दोनों बेटों को छोड़ तो दिया गया लेकिन अभी भी तनाव व खौफ बना हुआ है. 13 अगस्त की रात में ही दामोदरपुर से आगे के चकमुरमुर/शुभंकरपुर गांव से 6 मुस्लिमों व 6 हिन्दुओं को जो दलित व पिछड़े हैं, गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया.
जांच दल ने पाया कि पुलिस सांप्रदायिक ताकतों - पूर्व मंत्री अजीत कुमार तथा भाजपा-विश्व हिन्दू परिषद् के दवाब में काम कर रही है. इसी वजह से नियम-कानून की धज्जियां उड़ाते हुए आधी रात को घरों में घुस कर निर्दाेष मुसलमानों की गिरफ्तारी की गई. जांच दल ने दोषी पुलिसकर्मियों पर मुकदमा दर्ज करने, गिरफ्तार निर्दाेष लोगों को रिहा करने, अन्य निर्दाेषों पर आगे किसी भी प्रकार की कार्रवाई पर रोक लगाने तथा सांप्रदायिक उन्माद-उत्पात भड़काने वाले हिन्दूवादी संगठनों व उनके नेताओं पर सख्त कार्रवाई करने की मांग की है. जांच दल ने बकरीद के दिन दामोदरपुर बाजार के आगे स्थित ईदगाह चौक पर सांप्रदायिक उत्पात भड़काने के लिए कांटी के पूर्व विधायक और नीतीश सरकार के पूर्व मंत्री अजीत कुमार मुख्य रूप से जिम्मेवार ठहराते हुए उन पर मुकदमा दर्ज करने और उनको अविलंब गिरफ्तार करने की मांग की है.