1930 के आसपास खभैनी गांव के एक गरीब परिवार में जन्मे जयराम सिंह ने मैट्रिक पास करके गांव में ही पोस्ट ऑफिस के ब्रांच पोस्टमास्टर की नौकरी की. उन्हीं दिनों उन्होंने जड़ी-बूटी की दवा से शुरूआत करते हुए उन्होंने अंग्रेजी व होमियोपैथी पद्धति से लोगों का इलाज भी शुरू कर दिया था.
वे गांव-गांव में पोस्ट ऑफिस की चिट्ठी व मनीआर्डर बांटने जाते तो दवाओं का अपना बैग भी साथ में जरूर रखते. लिहाजा, जनता में वे पोस्टमास्टर के साथ ही डाक्टर के रूप में भी स्थापित थे. उन दिनों गांवों में इलाज की सुविधा बहुत ही कम थी. जरूरतमंद लोगों के पास साधन का भी अभाव रहता था. वे सस्ते में उनका बेहतर इलाज करते थे. मरीजों से उन्होंने कभी भी रुपए की मांग नहीं की. सेवा भाव उनमें कूट कूट कर भरा हुआ था. इसलिए मरीज उन्हें मुट्ठी बांधकर दवा का दाम देते थे और जयराम बाबू मुट्ठी बांधकर ही रख लेते थे. 1968 से उन्हें पोस्ट ऑफिस का ब्रांच चलाने की जिम्मेवारी मिली. लेकिन नौकरी करते हुए भी वे एक सामाजिक कार्यकर्ता की भूमिका हमेशा निभाते रहे. उन्होंने 1999 तक यह नौकरी की.
खभैनी गांव से 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के नायक बाबू जीवधर सिंह और 1942 के ‘अंग्रेजों भारत छोड़ो’ आंदोलन के सिपाही सिन्हा जी की क्रांतिकारी विरासत जुड़ी हुई है1980 के दशक में नक्सलबाड़ी की चिनगारी जब जयराम बाबू के गांव में पहुंची तो उनका ही घर इसका केंद्र बना. किसान सभा और आईपीएफ का उभार का असर भी इनके गांव पर पड़ा. सामन्तवाद विरोधी क्रांतिकारी किसान आंदोलन के भी कई अगुआ, नेता-कार्यकर्ता सामने आए.
1989 में भैंस चुराकर ले जा रहा एक चोर जनता के हत्थे चढ़ गया था और ग्रामीणों द्वारा मारा गया था. चोर की हत्या के उक्त केस में डा. जयराम सिंह तीन महीने के लिए (1991 में) जेल गए थे. वे अपने बेटों बीरबल और बादशाह को पार्टी में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए प्रेरित करते रहे. विगत 3 जुलाई को खभैनी पंचायत के छह महत्वपूर्ण नेताओं/कार्यकर्ताओं को आजीवन कारावास की जो सजा सुनाई गई है (उसमें उनके बेटे का. बादशाह प्रसाद का नाम भी शामिल है). अतिसंवेदनशील स्वभाव वाले डा. जयराम सिंह को इससे भारी सदमा पहुंचा. 10 जुलाई को अचानक उनकी तबियत बिगड़ी और लगातार खराब ही होती गई. उन्हें दाहिने तरफ लकवा मार दिया था. 12 जुलाई को उन्हें सदर अस्पताल, अरवल में भर्ती कराया गया. अगले दिन सुबह 6 बजे उनकी मौत हो गई. उनके निधन की खबर सुनते ही सैकड़ों लोग अंतिम दर्शन के लिए उनके घर पर जुटने लगे. पार्टी के कई नेता उनके घर पर पहुंचे. शर्मा जी, रामबली यादव, महानंद, रविन्द्र यादव, नंद किशोर, सुएब आलम, लीला वर्मा समेत कई नेता उनके अंतिम संस्कार में शामिल हुए. डा. जयराम सिंह लाल सलाम !!