बिहार में महिलाओं पर बढ़ते अत्याचार, गैंग रेप, लड़कियों की ट्रैफिकिंग, एसिड अटैक, माॅब लिंचिंग, बच्चियों के अपहरण आदि घटनाओं में बेतहाशा वृद्धि और इन सवालों पर तथाकथित सुशासन की नीतीश सरकार की चुप्पी के खिलाफ 23 जुलाई को महिला संगठनों ने संयुक्त रूप से बिहार विधानसभा के समक्ष जोरदार प्रदर्शन किया. विभिन्न महिला संगठनों के नेताओं के नेतृत्व में महिलाओं ने पटना रेडियो स्टेशन से फ्रेजर रोड होते हुए जोरदार मार्च निकाला और करीब तीन घंटों तक डाकबंगला चौराहे को जाम रखते हुए वहां सभा आयोजित की.
प्रदर्शन का नेतृत्व ऐपवा की महासचिव मीना तिवारी, राज्य अध्यक्ष सरोज चौबे व राज्य सचिव शशि यादव, बिहार महिला समाज की निवेदिता झा व सुशीला सहाय, ऐडवा की रामपरी, विमुक्ता की कंचन, घरेलू महिला कामगार संगठन की सिस्टर लीमा, ऐडवा की सरिता पांडेय व नीलम, कम्युनिटी हेल्थ सेंटर (बख्तियारपुर) की सिस्टर लीमा, बिहार मुस्लिम महिला मंच की अख्तरी, स्वाभिमान लोक सभा संस्थान की सिस्टर स्मिता, जन जागरण जन शक्ति संगठन की कल्याणी और रेनबो फाउंडेशन इंडिया की विशाखा ने किया. इस प्रदर्शन में ऐपवा की पटना नगर सचिव अनीता सिन्हा, एआईएसएफ की भाग्य श्री, आइसा की प्रियंका, कोरस की समता, हिरावल की प्रीति प्रभा, नटमंडप की मोना, इप्टा की श्वेत प्रीत, चंद्रकांता, आसमा खातून, तबस्सुम अली, सविता अली, सुधा अम्बष्ठ, सुष्मिता, पूनम खातून, शाइस्ता अंजुम आदि भी शामिल थीं.
डाकबंगला चौराहे पर प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए महिला नेताओं ने कहा कि यह बेहद शर्मनाक है कि एक महीने के बजट सत्र के दौरान विधानसभा में महिलाओं के सवालों पर एक घंटे भी चर्चा नहीं हुई. जबकि आज पूरे बिहार में महिलाओं पर दमन-उत्पीड़न की ऐसी बाढ़-सी आ गई है जैसे लगता है कि उनके खिलाफ युद्ध ही छेड़ दिया गया है. आज समाज में नफरत और हिंसा की मानसिकता को बढ़ावा दिया जा रहा है. कहीं जानवर चोरी का आरोप लगा कर माॅब लिचिंग हो रही है तो कभी किसी लड़की के साथ छेड़खानी या बलात्कार कर उसका वीडियो बनाया और वायरल किया जा रहा है और इस हिंसा को देश की संस्कृति और परंपरा का अंग बताया जा रहा है.
महिला नेताओं ने सरकार पर लड़कियों की ट्रैफिकिंग और गायब कर देने की घटनाओं पर संवेदनहीन होने का आरोप लगाते हुए कहा कि डेढ़ महीने पहले गांधी मैदान क्षेत्र से लापता हुई 11 वर्षीय बच्ची तन्वी के मामले में अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है. यही हाल दलित, अल्पसंख्यक और कमजोर वर्ग की महिलाओं पर हुए अत्याचार के मामलों का है. बेगूसराय के भगवानपुर क्षेत्र में एक महिला के साथ बलात्कार और समस्तीपुर में एक महादलित महिला के साथ राह चलते सामूहिक बलात्कार करने और फिर उसका वीडियो बनाकर वायरल करने के मामले में नामजद आरोपियों व दोषियों की गिरफ्तारी नहीं हुई है. इसी वजह से बलात्कारियों का मनोबल आज इस कदर बढ़ चुका है.
डाकबंगला चौराहे पर आयोजित सभा को भाकपा(माले) विधायक सत्येदव राम व सुदामा प्रसाद ने भी संबोधित किया. विधायकों ने आज इसी सवाल पर विधानसभा के अंदर सरकार का घेराव किया. उन्होंने कहा कि महिलाओं पर उत्पीड़न की बाढ़ सी आ गई है लेकिन नीतीश जी को फिर भी बिहार में सुशासन की सरकार दिख रही है. यह आज की सबसे बड़ी विडंबना है.
प्रदर्शन के जरिए संस्थागत यौन उत्पीड़न के मामले में संबंधित अधिकारियों को जवाबदेह बनाने, पुलिस कांस्टेबल स्नेहा मंडल की संदिग्ध मौत मामले में उसके उच्च अधिकारियों पर कार्रवाई करने और स्नेहा के परिजनों की मांग को स्वीकार कर पूरे मामले की सीबीआई जांच कराने, ट्रैफिकिंग रोकने के लिए तत्काल कदम उठाने, लड़कियों को गायब करनेवाले दलाल-पुलिस गठजोड़ को खत्म करने के लिए ठोस उपाय करने, 11-वर्षीय तन्वी को तत्काल बरामद करने, शेल्टर होम कांड में शीघ्र जांच रिपोर्ट सौंपने और बच्चियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की गई.
साथ ही, समस्तीपुर में महादलित महिला के साथ सामूहिक बलात्कार के सभी आरोपियों को अविलंब गिरफ्तार करने, डीका हत्याकांड की सीआईडी जांच शीघ्र पूरी करने व उसके परिजनों को मुआवजे की राशि का पूरा भुगतान करने, बिहार में महिलाओं पर हिंसा रोकने के लिए ठोस कदम उठाने और धार्मिक आयोजनों के नाम पर आरएसएस द्वारा तलवार बांटने, लाठी बांटने या शाखा में बंदूक चलाने का प्रशिक्षण देने पर सख्ती से रोक लगाने की मांग की गई.