भाकपा(माले) ने सोनभद्र के उभ्भा आदिवासी जनसंहार के खिलाफ विगत 22 जुलाई को राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन आयोजित किया. पार्टी के राज्य सचिव का. सुधाकर यादव ने मिर्जापुर, ऐपवा की राज्य अध्यक्ष का. कृष्णा अधिकारी ने लखीमपुर खीरी और अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय सचिव का. ईश्वरी प्रसाद कुशवाहा ने गाजीपुर में प्रदर्शन का नेतृत्व किया. प्रदेशव्यापी विरोध के तहत बलिया, देवरिया, मऊ, महराजगंज, इलाहाबाद, रायबरेली, वाराणसी, चंदौली, फैजाबाद, सीतापुर, पीलीभीत, मथुरा, मुरादाबाद समेत विभिन्न जिलों में धरना-प्रदर्शन हुए.
भाकपा(माले) ने सोनभद्र जनसंहार के लिए कांग्रेस, सपा व बसपा को जिम्मेदार ठहराने के लिए मुख्यमंत्री योगी को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि दूसरों पर तोहमत लगाकर मुख्यमंत्री अपनी सरकार की जवाबदेही से बच नहीं सकते। सोनभद्र में जिला कचहरी के समीप जुलूस को रोकने और केंद्रीय समिति सदस्य व अखिल भारतीय खेत व ग्रामीण मजदूर सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष का. श्रीराम चौधरी समेत अन्य कई माले नेताओं को गिरफ्तार कर हवालात में डालने की कड़ी निंदा की है. इसे दमनकारी और विरोध के लोकतांत्रिक अधिकार पर योगी सरकार का हमला बताया है.
इस मौके पर जिला प्रशासन के माध्यम से राज्यपाल को मांग पत्र देकर योगी सरकार के जरिए हत्याकांड की लीपापोती करने व इसके असली गुनाहगारों को बचाने की कोशिशों की आलोचना करते हुए मांग की गई कि सोनभद्र के जिलाधिकारी व पुलिस अधीक्षक को अविलंब मुअत्तल किया जाये, आदिवासियों-वनवासियों-गरीबों की बेदखली तत्काल प्रभाव से रोकी जाए और उन्हें भूमि का पट्टा दिया जाए, उभ्भा गांव के पीड़ित परिवारों को उनकी खेती की जमीन का मालिकाना अधिकार दिया जाए, मृतकों के आश्रितों को 25 लाख व घायलों को 5 लाख रु. का मुआवजा दिया जाए और जनसंहार के दोषियों को ऐसी सजा मिले जो मिशाल बने.
सोनभद्र के जिला मुख्यालय राॅबर्ट्सगंज में धारा 144 तोड़कर जुलूस निकाला. यहां वक्ताओं ने कहा कि सोनभद्र जिले से एक-एक वन माफिया को बाहर किया जाना चाहिए. वन विभाग व अन्य सरकारी जमीनों पर आदिवासियों-गरीबों के कब्जे को विनियमित करने के बजाए सरकार उन्हें उजाड़ रही है. उन्होंने कहा कि बंजर, परती, भूदान, सीलिंग, वन भूमि, सिंचाई विभाग की जमीन समेत जहां भी गरीब बसे हैं, कब्जेदार हैं, उस पर उनको मालिकाना हक मिलना चाहिए. सोनभद्र जिले में बाहरी नेता, मंत्री, सांसद, विधायक व अफसरों ने अवैध रूप से हजारों हेक्टेयर जमीन कब्जा किया हुआ है. उन सभी जमीनों का अधिग्रहण कर गरीबों में बांट देना चाहिए.
कचहरी के समीप जुलूस के पहुंचने पर पुलिस ने उसे रोका और प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के बाद नेताओं को गिरफ्तार करके राॅबर्ट्सगंज कोतवाली की हवालात में डाल दिया. गिरफ्तार नेताओं में केंद्रीय समिति सदस्य व अखिल भारतीय खेत मजदूर सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीराम चौधरी, राज्य स्थायी समिति सदस्य शशिकांत कुशवाहा, ओमप्रकाश सिंह, जिला सचिव शंकर कोल व अन्य चार लोग शामिल थे. पुलिस इस कार्रवाई को दमनकारी और विरोध के लोकतांत्रिक अधिकार पर हमला बताते हुए प्रदर्शनकारियों ने उनकी बिना शर्त रिहाई की मांग की. बाद में वे रिहा कर दिए गए.
गाजीपुर के जमानिया में अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय सचिव ईश्वरी प्रसाद कुशवाहा ने प्रदर्शन का नेतृत्व किया. जखनिया में पार्टी कार्यकर्ताओं ने जखनिया पार्टी कार्यालय से जुलूस निकाला और तहसील मुख्यालय पहुंचकर धरना दिया. रामवृक्ष संयोगी की अध्यक्षता व लालबहादुर बागी के संचालन में आयोजित धरना को संबोधित करते हुए भाकपा(माले) के जिला सचिव का. रामप्यारे राम ने कहा कि योगी राज में पूरे प्रदेश ने दिन दहाड़े इतना बड़ा जनसंहार देखा. जंगल राज के खात्मे के नाम पर आये योगी राज में आदिवासियों की सामूहिक हत्या हो रही है. भूमाफियाओं के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाए योगी सरकार आदिवासियों-गरीबों को उजाड़ रही है. गुलाब सिंह, अनिल कुमार, उजागिर राम, मिलन कुमार, योगेन्द्र यादव, तुलसी राम, सुरेश कुशवाहा, बालकिशुन राम, रीता निर्मला, आदि माले नेताओं ने संबोधित किया. जिले में सैदपुर तहसील व जिला मुख्यालय पर भी प्रतिवाद कार्यक्रम हुए.
मिर्जापुर में राज्य सचिव का. सुधाकर ने प्रदर्शन का नेतृत्व किया। जिलाधिकारी कार्यालय के सामने विरोध सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि उभ्भा गांव जनसंहार आदिवासी-गरीबों के प्रति योगी सरकार की उपेक्षात्मक और दमनकारी नीतियों का परिणाम है. इस सरकार में आदिवासी समाज की जमीनें कब्जा की जा रही हैं और सरकार मौन है. योगी सरकार विपक्षी दलों पर तोहमत लगाकर सोनभद्र में हुए जनसंहार की जिम्मेदारी से बच नहीं सकती. सभा में खेग्रामस नेता जीरा भारती, जिला सचिव नंदलाल, राज्य समिति सदस्य सुरेश कोल व बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी मौजूद रहे। लखीमपुर खीरी में केंद्रीय समिति सदस्य व ऐपवा राज्याध्यक्ष कृष्णा अधिकारी ने प्रदर्शन की अगुवाई की. इस जिले के पलिया तहसील मुख्यालय पर भी राज्य समिति सदस्य रामदरस व किसान महासभा नेता कमलेश राय के नेतृत्व में धरना दिया गया.
सीतापुर जिले की हरगांव प्रखंड कार्यालय के समक्ष आयोजित धरना-प्रदर्शन को संबोधित करते हुए जिला सचिव का. अर्जुन लाल ने कहा कि सोनभद्र के घोरावल तहसील के उम्भा गांव की यह घटना इसका ताजा उदाहरण है कि उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के संरक्षण में दलितों, मुसलमानों और बंचित समाज के लोगों पर भगवा आतंकवाद का हमला किस तरह से लगातार बढ़ रहा है.
बनारस में केंद्रीय कमेटी सदस्य का. मनीष शर्मा, ऐपवा राज्य सचिव का. कुसुम वर्मा सहित कई संगठनों के लोगों ने धरना दिया. इलाहाबाद में इंनौस के राज्य सचिव सुनील मौर्य व आइसा के प्रदेश अध्यक्ष शैलेश पासवान के नेतृत्व में जिलाधिकारी कार्यालय पर प्रदर्शन हुआ. देवरिया में राज्य कमेटी सदस्य कामरेड रामकिशोर शर्मा, प्रेमलता पांडे, ऐपवा नेता गीता पांडे तथा जिला सचिव श्री राम कुशवाहा के नेतृत्व में धरना दिया गया. बलिया में राज्य स्थायी समिति के सदस्य लाल साहब के नेतृत्व में जिलाधिकारी कार्यालय पर और चंदौली में राज्य कमेटी सदस्य अनिल पासवान के नेतृत्व में प्रदर्शन हुआ.
मऊ में माले समेत वामदलों का संयुक्त प्रदर्शन हुआ. फैजाबाद में जिलाधिकारी कार्यालय पर जिला प्रभारी अतीक अहमद, राज्य कमेटी सदस्य रामभरोस व खेग्रामस नेता अखिलेश चतुर्वेदी के नेतृत्व में प्रदर्शन हुआ. रायबरेली में जिला प्रभारी अफरोज आलम व मजदूर नेता विजय विद्रोही ने जिलाधिकारी कार्यालय पर प्रदर्शन का नेतृत्व किया. मथुरा में राज्य कमेटी सदस्य एडवोकेट नसीर शाह, महराजगंज में जिला सचिव का. हरीश जायसवाल, पीलीभीत में जिला सचिव का. देवाशीष तथा तहसील पूरनपुर पर का. सईद के नेतृत्व में प्रदर्शन हुए.
मुरादाबाद में जिलाधिकारी के समक्ष जोरदार प्रदर्शन को संबोधित करते हुए जिला प्रभारी रोहतास राजपूत ने कहा कि सोनभद्र जनसंहार पूर्व नियोजित था और उत्तर प्रदेश की योगी सरकार इसके लिए पूरी तरह से जिम्मेदार है. पूरे प्रदेश में सत्ता का संरक्षण प्राप्त भू-माफिया गरीबों व आदिवासियों की जमीनें छीन रहे हैं. पूरा प्रदेश दलितों पर दमन, महिलाओं के साथ रेप और मुस्लिम समुदाय पर हमलों की प्रयोगशाला बना हुआ है. संभल में दो सिपाहियों की अपराधियों द्वारा दिनदहाड़े हत्या बताती है कि अपराधी बेखौफ हो चुके हैं. कानून का कोई राज नहीं रहा, कानून-व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है और आम आदमी बिल्कुल असुरक्षित है. प्रदर्शन में राजा कुरैशी, सूरज, नेत्रपाल यादव, मो. आलम, बहादुर अली, संध्या आदि मौजूद थे.
सोनभद्र के घोरावल थाना क्षेत्र में मुर्तिया ग्रामसभा के उभ्भा गांव में बीती 17 जुलाई को ग्राम प्रधान यज्ञ दत्त और उसके हथियारबंद गुंडों ने पुश्तों से जोत-बो रहे आदिवासियों की जमीन को जबरिया कब्जाने का विरोध करने वाले निहत्थे ग्रामवासियों पर फायरिंग कर तीन महिलाओं समेत 10 आदिवासियों की नृशंस हत्या कर दी. हमले में दो दर्जन से ऊपर गांव वाले घायल हुए. यह जनसंहार पूर्व नियोजित था और प्रशासन ने पूरी तरह से भू-माफियाओं के साथ खड़े होकर इसे घटित होने दिया. यहां तक कि घटना के दौरान भी पीड़ितों ने जिला पुलिस और प्रशासन को सूचना देने का प्रयास किया लेकिन किसी भी अधिकारी ने उनका फोन नहीं उठाया.
घटना की खबर मिलते ही 18 जुलाई को भाकपा(माले) का एक आठ सदस्यीय जांच दल राज्य सचिव का. सुधाकर यादव के नेतृत्व में उभ्भा गांव पहुंचा. जांच दल ने मृतकों व घायलों के परिवार वालों से मिलकर संवेदना व्यक्त करने के साथ ही अगले दो दिनों तक घटना की पूरी जानकारी हासिल की. जांच दल में राज्य सचिव के अलावा पार्टी की राज्य स्थायी समिति के सदस्य शशिकांत कुशवाहा, सोनभद्र जिला सचिव शंकर कोल, ऐपवा नेत्री जीरा भारती, राज्य समिति सदस्य बिगन गोंड़ व घोरावल क्षेत्र के पार्टी नेता विजय कोल प्रमुख रूप से शामिल थे.
घायल महेंद्र (पुत्र-गुलाब) की माता संतीपा देवी ने बताया कि जिस जमीन को लेकर घटना हुई है, पहले वहां पुराना जंगल था. उस जमीन पर हम लोग चार पीढ़ियों से बसे हुए हैं और तब से लगातार खेती करते आ रहे हैं. घायल राजिंदर (पुत्र-रामसिंह) की माता भगवंती देवी ने बताया कि घटना के दिन हम लोगों को कुछ भी नहीं पता था. अचानक मालूम हुआ कि जमीन कब्जाने के लिए ग्राम प्रधान यज्ञ दत्त लगभग 32 ट्रैक्टरों, सौ से अधिक लोगों और बंदूक, राइफल व धारदार हथियारों के साथ पहुंचकर खेत जोतना शुरू कर दिया है. जब गांव के लोग इकट्ठा होने लगे तो उन लोगों ने गोलियां बरसानी शुरू कर दी. गोली से घायल होकर जो लोग गिरते थे, उन्हें वह लोग लाठी-डंडों से पीट-पीट कर मार डालते थे.
मृतक जवाहर के पुत्र राजपति ने बताया कि छह सौ बीघा जमीन पुराने कोआॅपरेटिव के नाम पर है. उक्त जमीन में पूर्व जिलाधिकारी प्रभात मिश्र ने सौ-सौ बीघा अपनी पत्नी, बहू और पुत्री के नाम करा लिया था और बाद में 2017 में ग्राम प्रधान को बेंच दिया. इस जमीन पर अब भी कोर्ट में मुकदमा चल रहा है. मृतक बसमतिया की बहू अनीता व मृतक रामचंद्र के पुत्र पिंटू ने बताया कि पूरी घटना पर प्रशासन की तरफ से पीड़ितों के लिए कुछ भी नहीं किया गया है. न तो मुआवजा मिला है, न ही जमीन का निस्तारण किया गया है. जिला प्रशासन पूरी तरह से भू-माफिया के साथ खड़ा है।
मृतक अशोक के पुत्र राजू ने बताया कि जिस समय गोली चल रही थी, उस समय हम लोगों ने कोतवाली, सीओ, डीएम और एसपी को फोन किया, किन्तु किसी ने भी फोन नहीं उठाया. अपराधी जब तक हमला करते रहे पुलिस तब तक नहीं पहुंची. जब सब चले गए, तब पुलिस पहुंची.
जांच दल ने बताया कि यह पूरा मामला शुरूआत से ही प्रशासन की जानकारी में था, लेकिन न तो घटना से पहले और न ही उसके दौरान, इसको रोकने के कोई उपाय किये गये. हमलावरों को एकतरह से खुली छूट दे दी गई थी. यह इसका पुख्ता सबूत है कि किस तरह से योगी राज में भूमि पर से अवैध कब्जा हटाने की कार्रवाई की आड़ में आदिवासियों की उनके जमीन से बेदखली की जा रही है और उनकी पुश्तैनी जमीनें हड़प कर भू-माफियाओं को सौंपी जा रही हैं.
पूरे घटनाक्रम पर गौर करते हुए जांच दल ने सोनभद्र के डीएम और एसपी को फौरन निलंबित करने, मृतकों के परिजनों को घोषित मुआवजा राशि 5 लाख से बढ़ाकर 25 लाख करने, उक्त जमीन को पीड़ित आदिवासी परिवारों के नाम करने, आदिवासियों-वनवासियों की बेदखली तत्काल प्रभाव से रोकने और जनसंहार रचाने वालों को सख्त सजा देने की मांग की गई है. घटना का प्रतिवाद करने और योगी सरकार से जवाब मांगने तथा उपरोक्त मांगों पर जोर देने के लिए 22 जुलाई को सोनभद्र समेत राज्य भर में जिला मुख्यालयों पर विरोध प्रदर्शन करेगी.