उत्तर प्रदेश में योगी शासन में आये दिन महिलाओं व बच्चियों के साथ यौन हिंसा की घटनाएं हो रही हैं. “बेटी बचाओ” की बातें करने वाली योगी की पुलिस ऐसे मामलों में या तो अभियुक्तों के साथ खड़ी दिखाई देती है या फिर इस तरह की घटनाओं पर पर्दा डालने का काम करती है. ऐसी ही एक घटना कुशीनगर जिले के थाना अहिरौली के गांव बंगरादेउर में घटित हुई. भाकपा(माले) की तरफ से राज्य कमेटी सदस्य राजेश साहनी के नेतृत्व में एक टीम ने इस घटना की जांच किया. जांच रिपोर्ट के मुताबिक इस गांव में दलित समुदाय के 60-65 घर हैं जिसमें दो-चार पढ़े लोगों को छोड़कर सभी निरक्षर हैं. गांव के अधिकांश लोग बाहर दिहाड़ी मजदूरी करते हैं. इसी गांव में कक्षा पांच में पढ़ने वाली, 12 साल की एक दलित बच्ची के साथ नृशंस घटना घटित हुई. जिसमें पुलिस की भूमिका बेहद शर्मनाक व निंदनीय रही. घटनानुसार पीड़ित लड़की के परिवार का पड़ोसी दलित परिवार के बीच रास्ते और नाली का विवाद था. पीड़ित लड़की के पिता रेलवे में वेंडर हैं और अक्सर काम से बाहर रहते हैं.
विगत 7 जून 2019 को बच्ची के पिता की अनुपस्थिति में विवादित पड़ोसी दो लड़के और उसके दोस्त वीरेंद्र यादव सहित 7-8 अन्य लोग रात आठ बजे आते हैं और लड़की की मां, बहन को मारते पीटते हैं तथा पीड़ित 12 वर्षीया बच्ची को उठाकर ले गये. अभियुक्तों के भय से गांव का कोई भी आदमी बचाव के लिए आगे नहीं आया. पुनः अभियुक्तगण रात ग्यारह बजे लड़की को नग्न व बेहोशी की हालत में पीड़ित के दरवाजे पर लड़की को फेंक कर चले गए.
घटना के बाद लड़की के घर वालों ने 100 नंबर पर फोन कर पुलिस को सूचना दी. पुलिस ने आने पर बच्ची को पिपराइच पीएचसी भेजा, जहां के डाक्टरों ने बच्ची को गोरखपुर मेडिकल काॅलेज रेफर कर दिया. लेकिन मेडिकल कालेज में उसको भर्ती ही नहीं किया गया. तब घर वाले लड़की को अहिरौली थाना ले गए. जहां पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई करने के बजाय पुनः लड़की को इलाज कराने की सलाह देकर वापस लौटा दिया. ऐसी स्थिति में गांव के ही एक दलित, जो बलरामपुर जिले में बतौर दरोगा तैनात हैं, ने अहिरौली थानेदार व सीओ को घटना की गम्भीरता से अवगत कराया. उन्होंने लड़की को पुनः पीएचसी इलाज के लिए भेज दिया, लेकिन एक बार फिर लड़की का बेमन से इलाज करके उसे बेहोशी की हालत में घर भेज दिया गया.
अंततः 9 जून को संबंधित सीओ पीड़िता के घर पर आये और उन्होंने पीड़ित लड़की को एंबुलेंस से जिला चिकित्सालय को इलाज के लिए भेजा. बच्ची का अभी भी गंभीर हालत में इलाज चल रहा है. चूंकि इस बीच प्रदेश भर में दर्जनों इस तरह की घटनाएं मीडिया में उजागर हुई हैं इसलिये अबकी पुलिस भी हरकत में आई और 10 जून को कुशीनगर जिले के एसपी पीड़िता के घर पर आये. इसके बाद ही जाकर नामजद अभियुक्तों की गिरफ्तारी हुई.