वर्ष - 28
अंक - 32
27-07-2019

[भाकपा(माले) के स्थापना की 50वीं और संस्थापक नेता व प्रथम महासचिव का. चारु मजुमदार की जन्मशती के अवसर पर आगामी 30 जुलाई 2019 को कोलकाता में जनकन्वेंशन आयोजित है. इसी पृष्ठभूमि में पिछले दिनों देश के विभिन्न राज्यों में कार्यकर्ता कन्वेंशन आयोजित हुए. पिछले अंकों में हमने बिहार, झरखंड और उत्तरप्रदेश के कैडर कन्वेंशनों की रिपोर्ट प्रकाशित की. इस बार प्रस्तुत है तमिलनाडु, महाराष्ट्र व राजस्थान राज्यों के कैडर कन्वेंशन की रिपोर्ट – सं ]

सैलम में तमिलनाडु का कैडर कन्वेंशन

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भाकपा(माले) की तमिलनाडु राज्य कमेटी ने “एकताबद्ध हो, प्रतिरोध करो” की थीम पर 21 जुलाई 2019 को सैलम में एक राज्यस्तरीय कार्यकर्ता कन्वेंशन आयोजित किया. यह आयोजन पार्टी की स्थापना की पचासवीं वर्षगांठ और पार्टी के संस्थापक महासचिव कामरेड चारु मजुमदार की जन्मशती मनाने के क्रम में किया गया था. केन्द्रीय कमेटी सदस्य कामरेड अभिजित मजुमदार इस कन्वेंशन के मुख्य अतिथि थे. कुल मिलाकर 270 कार्यकर्ताओं एवं सक्रिय तत्वों ने, जो राज्य के 21 जिलों एवं विभिन्न जन संगठनों का प्रतिनिधित्व कर रहे थे, इस कन्वेंशन में भाग लिया.

सर्वप्रथम सैलम के पार्टी जिला कमेटी सचिव का.  मोहनसुंदरम ने हाॅल के सामने पार्टी का झंडा फहराया. हाॅल का नामकरण पिछले वर्ष गुजरे कामरेड डी.पी. बक्शी के नाम पर किया गया था. कन्वेंशन में राज्य सचिव का. एन.के. नटराजन द्वारा प्रस्तावित किये जाने पर सात सदस्यीय अध्यक्षमंडल ने सदन की कार्यवाही का संचालन किया. हमारी पार्टी तथा अन्य वामपंथी पार्टियों के शहीदों एवं गुजरे पार्टी नेताओं की स्मृति में, तथा कारपोरेट-विरोधी, सामंत-विरोधी संघर्षों, पुलिस व सेना द्वारा किये गये हमलों तथा साम्प्रदायिक हिंसा और उन्माद में मारे गये लोगों और विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं में अपनी जान से हाथ धो बैठे लोगों की स्मृति में का. चन्द्रमोहन द्वारा एक शोक प्रस्ताव का पाठ किया गया और उसके बाद दो मिनट का मौन रखा गया. का. ए के राॅय की मृत्यु का दुखद समाचार मिलने पर इस किंवदंती नायक कम्युनिस्ट नेता के सम्मान में सदन ने दो मिनट खड़े होकर मौन धारण किया.

का. अभिजित मजुमदार ने कन्वेंशन का उद्घाटन करते हुए कहा कि भाकपा(माले) के निर्माण के प्रयास में का. चारु मजुमदार ने इसी सैलम शहर का दौरा किया था, और आज वह स्मृति मुझे अत्यंत हर्ष और ऊर्जा प्रदान कर रही है. हाल में तमिलनाडु में हुए लोकसभा चुनावों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि तमिलनाडु एक ऐसा राज्य है जहां भाजपा और मोदी को स्पष्ट तौर पर खारिज कर दिया गया है. यह जनता के संघर्षों की विजय का नतीजा है. उन्होंने तमिलनाडु की जनता की जुझारू भावना को सलाम करते हुए पार्टी नेतृत्व और कतारों का आह्वान किया कि फासीवादी हमलों का मुकाबला करने और अपनी प्रिय मातृभूमि की रक्षा करने के लिये एक जीवंत और सशक्त पार्टी का निर्माण करें. उन्होंने कोलकाता में 30 जुलाई को अखिल भारतीय “एकताबद्ध हो, प्रतिरोध करो” जन-कन्वेंशन को तथा उसके बाद आयोजित दो-दिवसीय अखिल भारतीय कैडर वर्कशाॅप को जबर्दस्त सफलता दिलाने के लिये भरपूर प्रयास करने का आह्वान किया. उन्होंने पार्टी के दसवें महाधिवेशन द्वारा जारी किये गये जनता के भारत के निर्माण के आह्वान को भी दुहराया. उन्होंने कहा कि एक ऐसे वक्त जब हम देश की जनता, लोकतंत्र और संविधान के एक नम्बर के दुश्मन का मुकाबला कर रहे हैं, तो हमें अम्बेडकर के शब्दों “शिक्षित हो, संगठित हो और आंदोलन करो” को याद रखना होगा. उनके अंग्रेजी में दिये गये भाषण को राज्य कमेटी सदस्य का. देसिगन ने तमिल में अनुवाद करके सदन को सुनाया. का. असैतम्बी ने केन्द्रीय कमेटी द्वारा पार्टी सदस्यों को संबोधित पत्र को पढ़कर सुनाया. कन्वेंशन के सभी भागीदारों के बीच इस पत्र का वितरण भी किया गया. जिला सचिवों और जिला प्रभारियों ने भी सदन को सम्बोधित किया.

अपने भाषण में केन्द्रीय कमेटी सदस्य का. बालसुंदरम ने जिला स्तर से लेकर ब्रांच तक पार्टी संगठन का विस्तार करने और उसको सुदृढ़ करने के महत्व पर जोर दिया. फासीवाद का प्रतिरोध करने के लिये जीवंत जन संगठनों का निर्माण और हमारे अपने नेतृत्व में जन-संघर्ष छेड़ने के साथ-साथ विभिन्न अन्य विचारों वाली संघर्षशील शक्तियों के साथ मजबूत सम्पर्क कायम करना हमारा लक्ष्य होना चाहिये. उन्होंने कहा कि “एकताबद्ध हो, प्रतिरोध करो” के राष्ट्रीय आह्वान को हमें टोला स्तर पर ग्रामीण गरीबों एवं अन्य तबकों की सशक्त कार्यवाही के रूप में साकार करना होगा. तिरुचिरापल्ली लोकसभा क्षेत्र में स्थानीय बूथ-स्तरीय जांच-पड़ताल के परिणामों को साझा करते हुए उन्होंने कहा कि हमें वहीं बेहतर चुनावी परिणाम हासिल होते हैं जहां हम पंचायत और ग्राम-स्तरीय ढांचों का निर्माण कर पाते हैं, जो हमें जन-सक्रियता और जन-पहलकदमी छेड़ने में मददगार होते हैं. केन्द्रीय कमेटी सदस्य आर. विद्यासागर ने जन-जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में किये जा रहे फासीवादी हमलों के विरोध में पार्टी द्वारा ग्रहण की गई विभिन्न जन-पहलकदमियों पर प्रकाश डाला.

राज्य सचिव एन.के. नटराजन ने कहा कि यह कैडर कन्वेंशन राज्य में हुआ सबसे बड़ा कार्यक्रम है. उन्होंने कहा कि राज्य में जनता के आंदोलनों की भावना ही हाल के लोकसभा चुनावों में प्रतिबिम्बित हुई थी, और उस भावना को अपने काम में लगाते हुए ही हमें फासीवादी शक्तियों को पराजित करने की दिशा में आगे बढ़ना होगा.

कैडर कन्वेंशन के बाद एक खुले सत्र का आयोजन हुआ जिसमें ग्रीन काॅरिडोर (चेन्नई से सैलम जाने वाला आठ लेन वाला एक्सप्रेसवे) के निर्माण के खिलाफ चले संघर्ष के योद्धाओं और नेताओं को सम्मानित किया गया. इन सभी को का. अभिजित ने एक शाल, चारु मजुमदार की एक तस्वीर तथा चारु मजुमदार पर तमिल में एक किताब भेंट दी. इन योद्धाओं एवं नेताओं का परिचय का. चन्द्रमोहन ने करवाया. प्रतिवादकर्ताओं (इस कार्यक्रम में वे 25 से अधिक संख्या में मौजूद थे) की ओर से सम्मान ग्रहण करते हुए सिवगामी ने सदन को सम्बोधित किया. साथ ही प्रतिवादकर्ताओं ने का. अभिजित को भी सम्मानित किया. पार्टी की विल्लुपुरम जिला कमेटी ने भी का. अभिजित को एक स्मृति-चिन्ह भेंट किया.

खुले सत्र में का. अभिजित ने कामरेड चारु मजुमदार पर लिखित एक पुस्तक, जिसका शीर्षक था कामरेड चारु मजुमदार एवं उनकी विरासत (लेखों का संग्रह) का लोकार्पण किया, जिसको पार्टी के सबसे वरिष्ठ नेता का. ए.एस. कुमार ने ग्रहण किया. जिला कमेटी सदस्य का. अय्यनादुरै ने प्रस्तावों का पाठ किया जिसे सर्वसम्मति से पारित किया गया. खुले सत्र में पोलितब्यूरो सदस्य का. कुमारसामी भी मौजूद थे. कन्वेंशन की समाप्ति जोशीले क्रांतिकारी नारों के साथ हुई.

 

दादर में महाराष्ट्र का कैडर कन्वेंशन

21 जुलाई 2019 को दादर श्रमिक कार्यालय में महाराष्ट्र के पार्टी कार्यकर्ताओं का एक कन्वेंशन आयोजित किया गया. कन्वेंशन में पार्टी के पोलित ब्यूरो सदस्य का. प्रभात कुमार चौधरी, का. श्याम गोहिल, का. अजित पाटिल, का. घीरज, का. बुद्विनाथ बड़ाल, का. अशोक तांडेल, का. हरेन्द्र श्रीवास्तव आदि नेताओं समेत महाराष्ट्र के औरंगाबाद, पालघर, ठाणे व मुंबई से 30 से ज्यादा साथियों ने भाग लिया.

मौजूदा परिस्थिति में संघ-भाजपा के फासीवाद विरोधी आंदोलन खड़ा करने की दिशा में अपने कार्यभारों को निर्धारित करने के लिए पार्टी के 50 साल पूरे होने और का. चारु मजुमदार की जन्मशती के अवसर पर आगामी 30 जुलाई को कोलकाता में आयोजित हो रहे ‘एकताबद्ध हो, प्रतिरोध करो’ कन्वेंशन पर चर्चा के साथ बैठक की शुरूआत हुई. सबसे पहले मार्क्सवादी कोआर्डिनेशन कमेटी के संस्थापक नेता का. एके राय व इस बीच शहीद हुए तमाम साथियों को मौन श्रद्धांजलि दी गई.

का. गोहिल ने सभा की शुरूआत करते हुए पार्टी के 50 साल के इतिहास पर रोशनी डाली और मौजूदा फासीवादी दौर में कामरेड चारु मजुमदार को याद करते हुए उनके वक्तव्य ‘जनता का स्वार्थ ही हमारा स्वार्थ है’ के महत्व को समझाया. का. गोहिल ने वर्तमान परिस्थिति में जनता को संगठित कर उसे प्रतिरोध संघर्ष में उतारने में पार्टी सदस्यों की भूमिका पर जोर डालते हुए कहा कि इस संगठित जनप्रतिरोध के जरिये ही हमें फासीवादी सत्ता से मुक्ति मिलेगी.

का. अजीत ने कहा कि देश की जनता अकाल से जूझ रही है और देश की सरकार कमजोर वर्ग के लोगों की जमीन हड़प कर कारपोरेट के हवाले करने व प्राईवेट शहरों का निर्माण करने में लगी हुई है. का. बरल ने कहा कि मजदूरों के लंबे संघर्ष का अनुभव सामने लाते हुए बताया कि हमारा संघर्ष ही दुश्मन के अंदर भय पैदा कर उसे पीछे धकेल सकता है. उन्होंने जनता के सवालों पर लगातार व धारावाहिक संघर्ष चलाने पर जोर दिया. बैठक में प्रतिमा, झरीन, विकल, गिरीश, सदरुल आदि ने भी अपने विचार रखे.

कन्वेंशन को संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता का. प्रभात कुमार चौधरी ने कहा कि देश के 190 किसान संगठनों ने मिलकर लोकसभा चुनाव से पहले देश भर में कई बड़े आंदोलन खड़े किये.  दलितों व छात्र-युवाओं के भी कई जबरदस्त प्रतिरोध आंदोलन हुए. लेकिन इन आंदोलनों को एक राजनीतिक आंदोलन में तब्दील नहीं किया जा सका. कारपोरेटपरस्त व सांप्रदायिक मोदी सरकार ने मीडिया और आरएसएस की मदद से उज्जवला योजना, विधवा पेंशन  राशि में वृद्धि, किसान सम्मान जैसी योजनाओं का झूठा प्रचार किया और पुलवामा घटना की आड़ में अंधराष्ट्रवादी उन्माद और सांप्रदायिक नफरत फैलाकर दुबारा सत्ता हथिया ली है. हमें अपनी कमजोरियों पर भी गहराई से विचार करना है और आनेवाले दिनों में उसे दूर करते हुए और भी बड़ा व व्यापक संघर्ष खड़ा करना है.

उन्होंने कहा कि सोनभद्र में आदिवासियों का जनसंहार यह साबित करता है कि मोदी के नेतृत्व में देश की सरकार व शासक वर्ग दबे-कुचले गरीबों व कमजोर लोगों की जमीन और देश के अन्य संसाधनों का हड़पने के लिए किस हद तक जा सकता है. उन्होंने कहा कि गरीबों की पार्टी भाकपा(माले) को भी अपनी ताकत बढ़ानी होगी और आनेवाले विधानसभा चुनाव में कारगर हस्तक्षेप करने हेतु पालघर व औरंगाबाद में चुनाव लड़ने की तैयारी तेज कर देनी होगी. हमें पालघर में अन्य लोकतांत्रिक व आदिवासी संगठनों को साथ मिलकर वनाधिकार कानून को लागू करवाने के सवाल पर आंदोलन तेज करना होगा, औरंगाबाद व नागपुर में नेतृत्त्वकारी टीम का गठन करने तथा तमाम संघर्षशील ताकतों को एक साथ लाने के लिए एक कन्वेंशन बुलाने की दिशा में पहल करनी होगी. कन्वेंशन ने इन तमाम कार्यभारों को स्वीकार किया. साथ ही, संगठन को नई दिशा देने, उसे मजबुत बनाने तथा जिला संम्मेलन आयोजित करने के लिए का. अजीत, का. श्याम, का. धीरज, का. अशोक, का. विकल, का. विनीता और का. प्रतिमा को शामिल करते हुए एक कोआर्डिनेशन कमेटी का गठन किया गया.

 

जयपुर में राजस्थान का कैडर कन्वेंशन

21 जुलाई को राजस्थान में भाकपा(माले) का राज्यस्तरीय कन्वेंशन जयपुर में पार्टी कार्यालय में संपन्न हुआ. राज्य सचिव का. महेंद्र चौधरी ने कन्वेंशन को मुख्य वक्ता के बतौर संबोधित किया. कन्वेंशन में अजमेर सहित 5 जिलों से 22 चुनिंदा कार्यकर्ताओं ने भागीदारी की. कन्वेंशन लोकसभा चुनावों में भाजपा की अप्रत्याशित जीत और मोदी सरकार के पहले से भी मजबूती के साथ केंद्रीय सत्ता में वापसी तथा भाजपा-संघ की उन्मादी हिंदुत्व की राजनीति और राज्य में सत्तारूढ़ दल कांग्रेस द्वारा भाजपा के एजेंडा का विरोध न कर घुटनेटेक नीति और काॅरपोरेट हितों के पोषण में भाजपा से होड़ कर आगे निकल जाने की पृष्ठभूमि में राज्य में अन्य वाम जनवादी ताकतों को साथ लेकर वैकल्पिक एजेंडे के साथ सशक्त विरोध खड़ा करने के एजेंडे के साथ आयोजित हुआ.

सम्मेलन को संबोधित करते हुए का. महेंद्र चौधरी ने कहा कि मोदी शासन का दूसरा दौर प्राइवेट सेक्टर को निजी कंपनियों के हाथों औने-पौने दामों में सौंपने पर केंद्रित होकर शुरू हुआ है. रेलवे, बीएसएनएल, आॅयल कंपनियों को जो मुनाफे में चल रही हैं बेचा जा रहा है. उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी इस तरह के अभियान के तहत सार्वजनिक कंपनियों के बेचे जाने के विरोध में इन कंपनियों के कर्मचारियों के आंदोलन का पुरजोर समर्थन करती है और राजनीतिक स्तर पर इसका पुरजोर विरोध करती है. उन्होंने कहा कि भाजपा-संघ देश के लोकतंत्र को पूरी तरह खत्म करने पर तुले हैं और देश में सत्ता की नीतियों के विरोध को कुचल देने में लगे हैं. तमाम लोकतांत्रिक संस्थाओं का गला घोंटा जा रहा है. यहां तक कि चुनाव प्रक्रिया को भी अविश्वसनीय बना दिया गया है. झूठ और सुनियोजित सांप्रदायिक घृणा तथा अंधराष्ट्रवाद का जहर फैलाकर मीडिया के इकतरफा प्रचार और धन-बल से चुनाव जीता गया और अब नागरिक अधिकारों पर तीखा हमला हो रहा है. एक कांतिकारी कम्युनिस्ट पार्टी होने के नाते इसके खिलाफ जनवादी एवं लोकतांत्रिक ताकतों को साथ लेकर इसका विरोध करना हमारे सामने एक अहम का कार्यभार है.

केंद्रीय कमेटी के सदस्य का. फूलचंद ढेवा ने कहा कि देश भर में संघी भाजपाई हत्यारी ताकतों द्वारा माॅब लिंचिंग की घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है. राजस्थान अल्पसंख्यक समुदाय पर हमले का केंद्र बन गया है. अफसोस की बात है कि राज्य के कांग्रेस की सत्ता होने के बावजूद पहलू खान की हत्या के मामले में सभी दोषी छूट गए हैं. और पहलू खान के घर के सदस्यों को मुकदमों का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि राज्य की कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार भाजपा के सांप्रदायिक नीतियों और हमलों का विरोध करने की कोई इच्छा शक्ति नहीं दिखा  रही है. ऐसी स्थिति में हमारा कार्यभार और बढ़ जाता है.

का. सुधा चौधरी ने कहा कि राज्य में मनुवादी ताकतों का मनोबल बहुत बढ़ गया है और प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बन जाने के बाद भी महिलाओं, यहां तक कि अबोध बच्चियों पर बलात्कार और सामूहिक बलात्कार की बाढ़-सी आ गई है. अलवर में दलित महिला के साथ गैंगरेप के मामले भाजपा-कांग्रेस दोनों द्वारा की गई लीपापोती ने यह दिखा दिया है कि बिना सशक्त जन प्रतिरोध विकसित किए राज्य में महिलाओं की सुरक्षा पर कोई विश्वसनीय विकल्प खड़ा नहीं हो सकता है. पार्टी और ऐपवा के साथियों को दलित और अन्य महिलाओं पर बलात्कार की बढ़ती घटनाओं पर एकजुट प्रतिरोध की पहलकदमियां लेना अहम जिम्मेवारी है.

सम्मेलन में बात रखते हुए प्रतापगढ़ जिला सचिव का. शंकर लाल चौधरी ने कहा कि आदिवासी किसानों की उनकी पीढ़ियों से काश्त की बिना पट्टे की जमीनें खाली करवाने में राज्य की कांग्रेस सरकार भाजपा की ही नीतियों का अनुसरण कर रही है. दक्षिणी आदिवासी जिलों में इसके चलते हजारों आदिवासियों के सामने अपनी जमीनों से बेदखली का खतरा पैदा हो गया है. हम वहां बेदखली की हर घटना का विरोध करते हुए सभी आदिवासी किसानों को उनकी जमीनों के पट्टे अविलंब दिए जाने और किसी की भी बेदखली नहीं करने की मांग कर रहे हैं.

का. चंद्रदेव ओला ने कहा कि राज्य में बेरोजगारी का भयावह आलम है. उदयपुर प्रतापगढ़ बांसवाड़ा और डुंगरपुर जिलों से बड़े पैमाने पर मजदूरों को गुजरात और महाराष्ट्र में पलायन करना पड़ रहा है. का. भंवरी ने कहा कि भाजपा के पांच साल के राज में राज्य में दलित बहुत असुरक्षित थे और अब कांग्रेस के राज में भी दलितों के मान-मर्दन में कोई कमी नहीं आई है. राज्य के दलित हमारी पार्टी को आशा भरी नजरों से देख रहे हैं इसलिए हमें इस मामले में पुरजोर दखल देनी होगी.

इससे पूर्व का. रामचंद्र कुलहरि ने कन्वेंशन का विषय प्रवेश रखा उन्होंने कहा कि जब लोकसभा चुनावों की घोषणा हुई तब लग रहा था कि मोदी सरकार की 5 साल की जनविरोधी नीतियों के कारण भाजपा का सत्ता में लौटना संदिग्ध ही रहेगा. परंतु जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आए आरएसएस और भाजपा ने पूरे चुनावी डिसकोर्स को सांप्रदायिक रंग में रंग दिया. पुलवामा-बालाकोट के बाद तो उन्होंने ग्रासरूट स्तर पर अपने नेटवर्क के जरिए चुनाव को पूरी तरह ध्रुवीकृत ही कर दिया और इसे विपक्ष के असंगठित प्रचार अभियान बनाम सशक्त मोदी नेतृत्व में बदल कर पासा पलट दिया. उन्होंने कहा कि पार्टी को राज्य में भाजपा-संघ परिवार के घृणा अभियान और काॅरपोरेट नीतियों के खिलाफ मजबूती और सक्रियता से अभियान चलाना चाहिए.

का. सौरभ नरूका ने कहा कि भाजपा के काॅरपोरेट पोषक, मजदूर विरोधी नीतियों का मुकाबला हम मजदूर वर्ग पर आधारित सांगठनिक मजबूती के आधार पर ही कर सकेंगे. पार्टी को राज्य में ग्रामीण मजदूरों के अलावा खनन क्षेत्र के मजदूरों के बीच भी  संगठन खड़ा करना चाहिए. कन्वेंशन में जयपुर जिले की का. मंजू लता और का. राहुल ने भी विचार रखे. अंत में प्रदेश में पार्टी को चाक-चौबंद कर पूरी सक्रियता से फासिस्ट भाजपा निजाम और ढुलमुल कांग्रेस की नीतियों व उनके हर जनविरोधी कदम का जोरदार विरोध की योजना के आह्वान के साथ कन्वेंशन संपन्न हुआ.