उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ के टप्पल समेत पूरे प्रदेश में बच्चियों और महिलाओं पर बढ़ रही हिंसा, बलात्कार, हत्या की घटनाओं के खिलाफ राजधानी लखनऊ के प्रमुख महिला संगठनों, सांस्कृतिक संगठनों तथा सामाजिक कार्यकर्ताओं ने लखनऊ के जीपीओ स्थित गांधी प्रतिमा पर बीते 10 जून को धरना दिया.
धरने को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि अलीगढ़ में कर्ज के विवाद में ढाई साल की बच्ची की हुई निर्मम हत्या ने हम सबको विचलित कर दिया है. हम अभी इस सदमे से उबर भी नहीं पाए थे कि हमीरपुर, जालौन, कुशीनगर समेत प्रदेश के तमाम जिलों से आ रही ऐसी ही रपटों ने हमें झकझोर कर रख दिया है. वक्ताओं ने सरकार के तमाम दावों पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि सच्चाई यह है कि घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रहीं हैं और अपराधियों के हौसले बुलंद होते जा रहे हैं.
वक्ताओं ने उन ताकतों के खिलाफ लोगों को आगाह किया जो ऐसे मामलों को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश कर रहे हैं और उनके खिलाफ सख्त दंडात्मक कार्रवाई की मांग की.
महिला नेताओं ने मांग की कि बच्चों के खिलाफ बढ़ती हिंसा पर रोक के लिए ठोस उपाय किये जायें. लापता बच्चों की रिपोर्ट अविलंब दर्ज हो. बच्चों के खिलाफ अपराधों का नियंत्रण करने वाले कानून पोस्को के लिए स्पेशल कोर्ट गठित हों, समय सीमा में चार्जशीट दाखिल हो. जाति-मजहब के आधार पर अपराध को देखने वालों और तनाव फैलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो.
प्रतिवाद धरने में शामिल लोगों में प्रमुख थे - ऐडवा की प्रदेश अध्यक्ष मधु गर्ग, महिला फेडरेशन की प्रदेश अध्यक्ष आशा मिश्रा, ऐपवा से कामरेड मीना, इप्टा से राकेश वेदा, जसम से कौशल किशोर, सामाजिक कार्यकर्ता नाइस हसन, कवयित्राी विमल किशोर, शशि मिश्रा, आइसा के प्रदेश सचिव शिवा रजवार, नितिन राज, आरवाईए से राजीव गुप्ता आदि.
इसके पहले 9 जून को, उपरोक्त मुद्दे पर देवरिया में ऐपवा ने जिला सचिव गीता पांडे के नेतृत्व में जुलूस निकाला और महिलाओं पर हमले रोक पाने में फेल योगी सरकार का पुतला फूंका.