कोयंबटूर स्थित ऑटोमोटिव कल-पुर्जों की निर्माता प्रिकोल कंपनी के 300 स्थायी श्रमिकों ने श्रम विभाग के निर्देश पर प्रबंधन द्वारा कुछ मांग मान लेने के बाद अपनी 100 दिनों की हड़ताल खत्म कर दी. लेकिन, उनकी यह जीत जल्द ही समाप्त हो गई, क्योंकि काम पर वापस आने के फौरन बाद लगभग 300 स्थायी श्रमिकों को बर्खास्तगी की नोटिस थमा दी गई.
ऐक्टू से संबद्ध यूनियन में शामिल ये मजदूर प्रबंधन की श्रम-विरोघी दमनात्मक नीतियों का प्रतिवाद कर रहे थे. प्रबंधन के साथ समझौता होने के बाद जब मजदूर लोग काम पर वापस लौटे तो प्रतिवाद में शरीक कोई 302 मजदूरों को आंध्र प्रदेश, उत्तराखंड और महाराष्ट्र में तबादले की नोटिस दे दी गई. प्रबंधन का कहना था कि इस हड़ताल के चलते कंपनी को काफी नुकसान हुआ है, और कंपनी उन श्रमिकों की सेवा बचाने के लिए ही उनका तबादला कर रही है. तबादले के आदेश को लागू करने के लिए इन श्रमिकों को तीन सप्ताह का समय दिया गया. संयोगवश, हड़ताल तभी खत्म की गई थी जब प्रबंधन ने श्रम विभाग के कतिपय निर्देशों को मान लिया था, जैसे कि - इन प्रतिवादकारी श्रमिकों को लाभ में हिस्सेदारी और बोनस के बकाये का भुगतान, बकाया भत्ते का भुगतान और कोई दंडात्मक कार्रवाई न करने का आश्वासन.
ये आश्वासन मिलने के बाद ही श्रम विभाग ने मजदूरों को जल्द से जल्द काम पर वापस लौटने का निर्देश दिया था. श्रमिकों ने तो श्रम विभाग की बात मान ली, लेकिन प्रबंधन अपनी बात से मुकर गया. प्रबंधन ने 12 फरवरी की रात से कोई जांच किए बगैर 294 श्रमिकों को काम से बर्खास्त कर दिया. प्रबंधन ने कहा कि मजदूरों ने तबादले के आदेश का पालन नहीं किया. स्पष्ट है कि प्रिकोल प्रबंधन ने श्रम विभाग और कोयंबटूर कलक्टर के निर्देशों का उल्लंघन किया है, क्योंकि इन दोनों ने साफ कहा था कि कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी. उच्च न्यायालय ने 28 फरवरी तक बर्खास्तगी के आदेश पर अंतरिम स्थगन लगा दिया है.
ऐक्टू ने मांग की है कि तमिलनाडु की सरकार प्रिकोल प्रबंधन को निर्देश दे कि वह इन 294 श्रमिकों की गैरकानूनी बर्खास्तगी को फौरन वापस ले और श्रमिकों के बकाये आर्थिक लाभों का अविलंब भुगतान करे. ऐक्टू ने 15 फरवरी से 15 मार्च तक अखिल भारतीय स्तर पर ‘मोदी हटाओ ! लोकतंत्र बचाओ ! श्रम अधिकारों की रक्षा करो !’ अभियान चलाने का भी फैसला लिया है. 294 श्रमिकों की बर्खास्तगी इस अभियान का एक प्रमुख मुद्दा होगी. ऐक्टू की तमिलनाडु राज्य कमेटी इस मुद्दे पर व्यापक अभियान चलाएगी.
तमाम वामपंथी ट्रेड यूनियनों तथा वामपंथी और प्रगतिशील पार्टियों ने प्रिकोल के संघर्षरत मजदूरों के प्रति अपना समर्थन जाहिर किया है और उन्होंने एक संयुक्त बयान पर भी हस्ताक्षर किए हैं.