इंकलाबी नौजवान सभा का पहला गिरीडीह जिला सम्मेलन राजधनवार में पूरे उत्साह के साथ संपन्न हुआ. सम्मेलन के पहले जिले के अलग-अलग प्रखण्डों से आये एक हजार से अधिक नौजवानों ने धनवार में ‘जुमला नहीं जवाब दो, पांच साल का हिसाब दो’ और ‘नफरत नहीं अधिकार चाहिए, शिक्षा और रोजगार चाहिए’ तथा ‘छात्रा-नौजवान विरोधी भाजपा की झारखण्ड सरकार गद्दी छोड़ो’ के नारे के साथ रैली निकाली जो बस स्टैंड से शुरू होकर समूचे बाजार में चली. रैली के समापन पर इंकलाबी नौजवान सभा के केंद्रीय नेताओं ने संविधान निर्माता डा. भीमराव अंबेडकर की मूर्ति पर माल्यार्पण किया.
सम्मेलन की शुरूआत में पुलवामा में शहीद जवानों की स्मृति में एक मिनट का मौन रखा गया. इंकलाबी नौजवान सभा के प्रदेश अध्यक्ष रामेश्वर चौधरी ने जिले में इंनौस की पहलकदमियों और सांगठनिक स्थिति पर एक संक्षिप्त रिपोर्ट पेश की और कहा कि केंद्र और राज्य की नौजवान विरोधी सरकारों के खिलाफ जिले भर में इंनौस की पहलकदमियां संतोषजनक रही हैं और आगामी लोकसभा चुनाव में रोजगार विरोधी-नौजवान विरोधी मोदी-रघुवर सरकार के खिलाफ जिले में बैरिकेडिंग किया जाएगा.
सम्मेलन का उद्घाटन बगोदर के पूर्व विधायक और माले के केन्द्रीय कमिटी सदस्य विनोद कुमार सिंह ने किया. अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि अलग राज्य के 18 सालों में झारखण्ड में सबसे ज्यादा शासन भाजपा ने किया है. राज्य के कोने-कोने से नौजवान पलायन को मजबूर हैं, इसके लिए सबसे ज्यादा दोषी भाजपा की सरकारें रही हैं. उन्होंने कहा कि रघुवर सरकार की गलत स्थानीय नीति और दोषपूर्ण नियोजन नीति की सबसे अधिक मार नौजवान झेल रहे हैं. यही वजह रही कि हालिया $2 और हाई स्कूल शिक्षकों की नियुक्तियों में 80 प्रतिशत से अधिक राज्य के बाहर के अभ्यर्थियों की बहालियां हुई हैं. उन्होंने कहा कि गिरिडीह जिले में आये दिन देश-विदेश में काम करने गए प्रवासी मजदूर नौजवानों की मौतें हो रही हैं, लेकिन रघुवर सरकार बेहद शर्मनाक तरीके से उनकी संरक्षा को लेकर असंवेदनशील बनी हुई है. लगभग 10 महीने से चार झारखंडी सहित सात भारतीय नौजवान मजदूर अफगानिस्तान से अपहृत हैं, उनकी रिहाई की कोई कोशिश करना तो दूर, सरकार कोई आधिकारिक बयान देने को तैयार नहीं है कि अपहृत मजदूरों की क्या स्थिति है और वे कहां हैं. उन्होंने नौजवान विरोधी केंद्र और राज्य की भाजपा सरकारों को सत्ता से उखाड़ फेंकने के लिए नौजवानों को संगठित होने और आगे आने की अपील की.
सम्मेलन के मुख्य अतिथि इनौस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नीरज कुमार ने अपने संबोधन में कहा कि पुलवामा की आतंकी घटना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है. इस घटना ने मोदी के तथाकथित सक्षम सरकार और चौकस खुफिया तंत्र की पोल खोल दी है. उन्होंने कहा कि भाजपा जवानों की शहादत पर चुनावी राजनीति कर रही है. मोदी राज में बेरोजगारी दर पिछले 20 साल के रिकॉर्ड को तोड़ते हुए 6 प्रतिशत से अधिक हो गई है. उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अपने हालिया फैसले में 13 लाख से अधिक आदिवासियों से उनके जल, जंगल, जमीन का अधिकार छीन लेने के खिलाफ नौजवानों को आगे आने की अपील की.
इनौस के राष्ट्रीय सचिव संदीप जायसवाल ने कहा कि अलग राज्य के 18वें साल में हम जिले का पहला सम्मेलन कर रहे हैं, यह हमारे लिए उपलब्धि है और यह चुनौती भी है कि आनेवाले दिनों में इंकलाबी नौजवान सभा झारखण्ड नवनिर्माण के संघर्षों में सबसे आगे रहे. उन्होंने कहा कि 2016 के अगस्त में इंनौस ने स्थानीय सांसद और विधायक के निकम्मेपन के खिलाफ सरिया में ओवरब्रिज निर्माण के सवाल पर ऐतिहासिक आंदोलन किया था और शासन-प्रशासन का ध्यान आकृष्ट किया था, इसके बावजूद आज तक ओवरब्रिज का निर्माण नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि आगामी लोक सभा चुनाव में जुमलेबाज सांसद-विधायक के खिलाफ नौजवान अपने-अपने इलाके में मोर्चाबंदी करें.
सम्मेलन को संबोधित करते धनवार से माले विधायक राजकुमार यादव ने कहा कि प्रति वर्ष दो करोड़ नौजवानों को रोजगार देने का वादा छलावा साबित हुआ है. उल्टे नौजवानों को पकौड़ा बेचने की नसीहत दी जा रही है. उन्होंने नौजवानों को बड़े आंदोलन का भागीदार बनने और मोदी राज की फासीवादी-साम्प्रदायिक नीतियों के खात्मे के लिए बढ़-चढ़ कर आगे आने की बात कही.
सम्मेलन की कार्यवाही 6-सदस्यीय अध्यक्षमंडल की देख-रेख में सम्पन्न हुई. सम्मेलन के जरिये 51-सदस्यीय जिला कमेटी और 15-सदस्यीय कार्यकारिणी का चुनाव किया गया. संतोष कुमार अध्यक्ष और विनय सन्थलिया सचिव के बतौर निर्वाचित किए गए.
सम्मेलन के अंत में जिले के देवरी प्रखण्ड में सन्त रैदास जयंती के जुलूस पर हमला करनेवाले सामंती तत्वों को गिरफ्तार करने, जेपीएससी को भ्रष्टाचार-मुक्त करने, गलत स्थानीय नीति और नियोजन नीति को वापस लेने, कालेजों में बहाली में 13 प्वाइंट रोस्टर को वापस कर पुराने 200 प्वाइंट पर आरक्षण देने तथा 13 लाख से अधिक आदिवासियों को वन भूमि से बेदखल करने के फैसले के खिलाफ संघर्ष तेज करने समेत 9-सूत्री राजनीतिक प्रस्ताव भी लिया गया.