वर्ष - 28
अंक - 10
02-03-2019

18 फरवरी को बिहार की राजधानी पटना में अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के बैनर से राज्य के तकरीबन 40 मजदूर-किसान संगठनों के बैनर तले बीसियों हजार मजदूर-किसानों ने विधानसभा मार्च किया. पटना का ऐतिहासिक गांधी मैदान भाजपा-जदयू सरकार के खिलाफ मजदूर-किसानों की ऐतिहासिक जुटान का गवाह बना. गांधी मैदान से लेकर डाकंबगला चौराहा का पूरा इलाका मजदूर-किसानों की मांगों व नारों से गुंजायमान था.

पुलवामा आतंकी हमले में सीआरपीएफ जवानों की शहादत को अपनी सांप्रदायिक नफरत और उन्माद-उत्पात की राजनीति को नया उभार देते हुए संघी-भाजपाई ताकतों द्वारा देश के कई शहरों में कश्मीरी छात्रों, व्यापारियों व नागरिकों पर हमला करने, अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदायों को डराने-धमकाने तथा पाकिस्तान के साथ युद्धोन्माद पैदा करने में इस्तेमाल करने के घिनौने प्रयासों को धता बताते हुए मजदूर-किसानों ने आज विधानसभा मार्च के जरिए किसानों के सभी प्रकार के कर्जों की माफी, फसल बीमा, फसलों की अनिवार्य खरीद, बिना वैकल्पिक व्यवस्था के दलित-गरीबों को उजाड़ने पर रोक, नया बटाईदारी कानून लागू करने, नया आवास कानून बनाने, चीनी-कागज-जूट-सूता आदि मिलों को चालू करने, जमीन-आवास की गारंटी करने, मनरेगा समेत सभी स्कीम वर्करों को न्यूनतम मजदूरी की गारंटी, वृद्धावस्था पेंशन की राशि न्यूनतम 3000 करने सहित 25 सूत्री मांगों के साथ देश की जनता के असली मुद्दों को सामने लाने का साहसिक प्रयास किया. विधानसभा मार्च में अपनी मांगों से संबंधित तख्तियां लिए और जोरदार नारे बुलंद करते हजारों मजदूर-किसानों का उमड़ा जनसैलाब देखने लायक था.

मार्च में शामिल होने के लिए मजदूर-किसानों का जत्था पिछली शाम से ही पटना में आने लगा था. सुबह होते-होते गांधी मैदान में कई हजार मजदूर-किसान जिनमें महिलाओं की तादाद भी काफी थी, जमा हो चुके थे. अखिल भारतीय ग्रामीण खेत मजदूर सभा, अखिल भारतीय किसान महासभा, अखिल भारतीय किसान सभा समेत कई संगठनों के बैनर तले जुटे मजदूर-किसानों ने अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के एकल बैनर तले अपना विशाल जुलूस निकाला. बीसियों हजार किसानों के इस काफिले का नेतृत्व  अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय महासचिव तथा किसान संघर्ष समन्वय समिति के बिहार-झारखंड राज्य प्रभारी का. राजाराम सिंह, किसान सभा के नेता का. नंदकिशोर शुक्ला, अखिल भारतीय खेत व ग्रामीण मजदूर सभा के राष्ट्रीय महासचिव का. धीरेन्द्र झा, किसान सभा (भाकपा) के राज्य सचिव अशोक कुमार सिंह, किसान सभा ;माकपाद्ध के नेता विनोद सिंह, प्रगतिशील क्रातिकारी किसान सभा के नृपेन्द्र कृष्ण महतो, अग्रगामी किसान सभा के अमरीका महतो, भारतीय क्रांतिकारी किसान संघ के अध्यक्ष राजेन्द्र प्रसाद, अखिल भारतीय मजदूर किसान संगठन के अनिल सिंह, प्रगतिशील किसान संघ के महेन्द्र गिरी, अखिल भारतीय किसान मजदूर सभा के रामवृक्ष राय, भारतीय किसान बचाओ आंदोलन के नेता वैद्यनाथ सिंह, अखिल भारतीय किसान महासभा के राज्य अध्यक्ष विशेश्वर प्रसाद यादव व राज्य सचिव डॉ. रामाधार सिंह, खेग्रामस के राज्य सचिव गोपाल रविदास, बिहार राज्य खेत मजदूर यूनियन के नेता जानकी पासवान, अखिल भारतीय खेत मजदूर यूनियन के नेता सारंगध्र पासवान, ललन चौधरी, भाकपा(माले) विधायक सुदामा प्रसाद व सत्येदव राम तथा जय किसान आंदोलन के नेता मुकेश कुमार ने की.

डाकबंगला चौराहे पर मजदूर-किसानों के जनसैलाब को संबोधित करते हुए का. राजाराम सिंह ने कहा कि अंबानी-अडानी परस्त मोदी सरकार में किसान और जवान सुरिक्षत नहीं है. 2019 में इन्हें भगाकर ही दम लेना होगा. तभी देश सुरक्षित रहेगा. आतंकी गतिविधियों पर लगाम लगेगी और किसानों को अपने ही देश में कर्ज माफी, फसल बीमा, लाभकारी मूल्य और अनिवार्य फसल खरीद की गारंटी होगी. उन्होंने कहा कि नीतीश राज में किसानी की हालत चौपट हो गई है. कृषि आधारित सारे उद्योग बंद पड़े हुए हैं और फसलों की खरीद में यह सरकार फिसड्डी साबित हुई है. किसान-मजदूरों का यह ऐतिहासिक मार्च इसका ऐलान कर रहा है कि मोदी को भगायेंगे और पलटू राम नीतीश कुमार को कड़वा सबक सिखायेंगे.

अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय मंत्री नंदकिशोर शुक्ला ने कहा कि महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ आदि राज्यों में उठ खड़े हुए किसान आंदोलन ने मोदी सरकार की झूठ और जुमलेबाजी को जमीन पर ला पटका है, बिहार के मजदूर-किसानों की यह विराट रैली इन्हें गंगा में डूबो देगी. उन्होंने कहा कि मजदूर-किसानों पर लगातार हमले हो रहे हैं. हजारों जवान मारे जा रहे हैं, उसकी जिम्मेवारी सरकार को लेनी होगी. जिम्मेवारी लेने के बजाए मोदी सरकार पूरे देश में उन्माद फैला रही है. वह देश की आंतरिक एकता को खंडित कर रही है. एकताबद्ध राष्ट्र ही किसी हमले का मुकाबला कर सकता है और दुश्मन की साजिश को चकनाचूर कर सकता है. किसानों को मजबूत किए बिना देश को मजबूत नहीं किया जा सकता है.

अखिल भारतीय खेत व ग्रामीण मजदूर सभा के राष्ट्रीय महासचिव धीरेन्द्र झा ने कहा क मोदी सरकार के हाथों न देश सुरक्षित है और न ही जवान. वे उन्माद की खेती कर चुनाव की वैतरणी पार करना चाहते हैं. जवानों की शहादत के बाद देश में मौजूद गम व गुस्से के बीच हुई सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री की अनुपस्थिति व चुनाव दौरे पर निकल जाना देश व सेना का अपमान है. आगे कहा कि 10 लाख दलित-गरीबों को नीतीश सरकार ने उजाड़ने को ठान लिया है. बिहार सहित देश के दलित-आदिवासी-गरीब-मजदूर वास-आवास को मौलिक अधिकार में शामिल करने की मांग कर रहे हैं. दलित-गरीबों को जो सरकार उजाड़ेगी, वैकल्पिक आवास की व्यवस्था नहीं करेगी, उस सरकार को जनता उखाड़ फेंककर बदला लेगी.

अखिल भारतीय किसान सभा (भाकपा) के राज्य महासचिव अशोक कुमार सिंह ने कहा कि बिहार की सरकार किसान विरोधी सरकार है. इसने किसान बीमा योजना को बंद कर दिया है और फसल का तय मूल्य पर खरीद से इंकार कर दिया है. किसानों-बटाईदारों की कर्ज मुक्ति के सवाल पर सरकार चुप है. 2014 में खाद कारखाना को चालू करने की घोषणा नरेन्द्र मोदी ने की थी और अब एक बार फिर बेगूसराय में जुमलेबाजी कर रहे हैं. संगठित किसान आंदोलन से इन्हें मुंहतोड़ जवाब देना है.

बिहार विधानसभा में मुख्यमंत्री से इस्तीफे की मांग को उठाते हुए भाकपा(माले) के तीनों विधायकों ने मजदूर-किसानों की एकजुटता रैली में हिस्सा लिया. डाकबंगला पर सभा को संबोधित करते हुए माले विधायक सत्यदेव राम ने कहा कि जीएसटी को लेकर आधी रात में बैठक होती है लेकिन किसानों-मजदूरों की बदहाली पर सदन में कोई चर्चा नहीं होती है. करोड़पतियों-अरबपतियों को नीतीश सरकार महिमामंडित कर रही है और दलित-गरीबों को उजाड़ने में लगी है. - राजेन्द्र पटेल

विधानसभा मार्च की कुछ झलकियां

बीसियों हजार महिला-पुरूषों का जनसैलाब जब विधानसभा की ओर मार्च किया तो पुलिस द्वारा इसे मौर्या होटल के नजदीक रोकने का असफल प्रयास किया गया. जुलूस के डाकबंगला चौराहे पर पहुंचने तक पुलिस-प्रशासन की चाक-चौबंद व्यवस्था पूरी तरह से ढीली पड़ गई.

प्रदशनकारियों की ओर से धीरेन्द्र झा ने प्रशासन को हजारों प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार करने की चुनौती देते हुए कहा कि अन्यथा बैरीकेड तोड़ दिया जाएगा. प्रशासन ने डाकबंगला चौराहे पर ध्वनिविस्तारक यंत्र से गिरफ्तारी लेने की घोषणा की. उसके बाद रोड को ही जाम कर दिया गया और वहां सभा की शुरूआत कर दी गई.

बिहार के कोने-कोने से बड़ी संख्या में मार्च में अपने परंपरागत हथियारों के साथ शामिल आदिवासी, जिनमें बड़ी संख्या महिलाओं की थी, इस बात को स्थापित कर रहे थे कि मोदी-नीतीश के खिलाफ जनाक्रोश चरम पर है.

मजदूर-किसानों के इस विधानसभा मार्च में राज्य के वाम दलों से जुड़े मजदूर-किसान संगठनों के अलावा अन्य दर्जनों किसान संगठन शामिल हुए. दिसंबर में आयोजित किसान संसद की तर्ज पर यह मार्च राजधानी पटना में आयोजित किया गया था. इस संयुक्त मार्च को 11 सदस्यीय संयोजन समिति ने संचालित किया.

मजदूर-किसानों के विधानसभा मार्च में का. कृष्णदेव यादव, का. शिवसागर शर्मा, पूर्व विधयक चंद्रदीप सिंह, अरूण सिंह व अमरनाथ यादव, राजू यादव, कृपानारायण सिंह, आदि समेत भाकपा;मालेद्ध, अखिल भारतीय किसान महासभा व अखिल भारतीय खेत ग्रामीण मजदूर सभा के कई वरिष्ठ नेता भी शामिल थे.