भाकपा (माले) के पांचवें अरवल जिला सम्मेलन के अवसर पर करपी में ‘भाजपा भगओ, लोकतंत्र बचाओ’ नारे के साथ विशाल मजदूर-किसान एकता रैली आयोजित हुई. रैली को संबोधित करते हुए पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव का. दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि पुलवामा में आतंकवादियों के द्वारा सीआरपीएफ के जवानों पर हमले की जो दिल दहला देने वाली घटना हुई है, उसकी गहराई से जांच होनी चाहिए. इस बात का पता लगाया जाना चाहिये कि बहुत सारे चेक पोस्ट होने के बावजूद आतंकवादी साढे़ तीन सौ किलो विस्फोटक लदी कार लेकर घटनास्थल तक कैसे पहुंच गये और सीआरपीएफ के इतने बड़े काफिला पर हमले की घटना को अंजाम देने में सफल हुये. उन्होंने कहा कि यह चुनाव का समय है. यह सोचने वाली बात है कि कहीं यह प्रधानमंत्री मोदी द्वारा लोगों का ध्यान मूल मुद्दों से भटकाने की साजिश तो नहीं है.
उन्होंने कहा कि भाकपा(माले) पूरी तरह से शहीद हुए सीआरपीएफ जवानों और उनके परिजनों के साथ है. लेकिन यह सवाल भी है कि जब भारतीय सेना के जवान जब जान देते हैं तो उन्हें शहीद का दर्जा मिलता है. लेकिन अर्धसैनिक बलों के जवानों को शहादत देने के बाद भी शहीद का दर्जा नहीं मिलता. भेदभाव की इस नीति का खात्मा होना चाहिए. हम शहादत के बाद शहीद का दर्जा दिये जाने की अर्धसैनिक बल के जवानों की मांग के साथ खड़े हैं.
का. दीपंकर ने कहा कि यह घटना केंद्र सरकार की नीतियों की विफलता का परिणाम है. भाजपा हमेशा दोहरा मापदंड अपनाती रही है. यह सोचना होगा कि जब हम कश्मीर को स्वर्ग का दर्जा देते हैं, उसे देश का अभिन्न अंग बताते हैं तो हमें कश्मीरियों की समस्याओं को दूर करने का भी गंभीरतापूर्वक प्रयास करना होगा. भाजपा कश्मीर में गठबंधन कर पिछले कई साल सत्ता में रही लेकिन उसकी सरकार ने भी कश्मीरियों के लिए कुछ नहीं किया.
माले महासचिव ने कहा कि नरेन्द्र मोदी ने देश के युवाओं को प्रति वर्ष डेढ़ करोड़ रोजगार देने की घोषणा की थी. लेकिन इसके विपरीत नौजवानों के रोजगार छीने जा रहे हैं. मोदी राज में किसान आत्महत्या कर रहे हैं. किसानों को 6 हजार रु. सालाना देने की घोषणा कर मोदी सरकार ने किसानों को राहत पहुंचाने के बजाय अपमानित करने का काम किया है. 5 सदस्यों वाले किसान परिवार के लिए यह प्रति व्यक्ति प्रति दिन 3 रु. 34 पैसे की इस रकम से तो आजकल एक कप चाय भी नहीं मिलती है. किसानों को इस मामूली रकम से कोई फायदा नहीं होने वाला है.
उन्होंने कहा कि इनका आखिरी बजट में ऐसे ही जुमलों की बौछार है. स्कीम वर्करों को पेंशन देने की घोषणा भी एक जुमला है जिसके जरिये कई वर्षों तक स्कीम वर्करों की जेब से प्रति माह सौ रु. झटकते जाने के बाद 60 साल की उम्र में उन्हें 3 हजार रु. की पेंशन देने का वादा किया गया है. इस जुमलेबाज जेबकतरे प्रधानमंत्री को जो देश के जवानों, किसानों और महिलाओं और छात्रा-नौजवानों की जान व जीविका का दुश्मन बन चुका है, देश की जनता आगामी लोकसभा चुनावों में सत्ता की कुर्सी तक नहीं पहुंचने देगी.
उन्होंने मुजफ्फरपुर में बालिका गृह यौन उत्पीड़न मामले में विशेष पॉक्सो कोर्ट के फैसले पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से इस्तीफा देने की मांग करते हुए कहा कि निष्पक्ष जांच तभी हो पाएगी जब नीतीश कुमार मुख्यमंत्री नहीं रहेंगे. उन्होंने कहा कि किसान मजदूरों की आवाज और महिलाओं के आंदोलन का ही परिणाम था कि सरकार के समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा को इस्तीफा देना पड़ा और वे आज भी जेल में बंद हैं. मुख्यमंत्री ने शराबबंदी से बिहार में अपराध घटने का दावा किया था लेकिन आज बिहार अपराध, सांप्रदायिक दंगा-फसाद और माब लिंचिंग और यौन हिंसा का अड्डा बनता जा रहा है.
उन्होंने गरीबों, मेहनतकश मजदूरों व किसानों का आह्वान करते हुए कहा कि चुनाव के समय केंद्र-राज्य की सरकारें विभिन्न मुद्दों से उनका ध्यान भटकाने के प्रयास में लगी हुई है. सभी लोगों को इस बारे में सतर्क रहते हुए अपनी एकजुटता बढ़ानी होगी और केंद्र की सांप्रदायिक-फासीवादी जनविरोधी मोदी सरकार को जो देश की जनता पर आफत बनकर टूट पड़ी है, गद्दी से बेदखल करना होगा. उन्होंने यह भी कहा कि भाकपा(माले) भाजपा के खिलाफ बनने वाले व्यापक विपक्षी मोर्चा का समर्थन करती है लेकिन इसको जनता की आकांक्षाओं व मुद्दों पर खरा उतरने लायक होना चाहिए. कुछ नेताओं की बैठकों में सीटों का बंटवारा कर तथा भाकपा(माले) जैसी लाल झंडे की जुझारू ताकतों को अलग रखकर बने भाजपा विरोधी गठबंधन की कोई विश्वसनीयता नहीं बचेगी. 2015 के विधानसभा चुनावों में धोखा खा चुकी बिहार की जनता इसे तनिक स्वीकार नहीं करेगी.
उन्होंने जहानाबाद लोकसभा सीट पर भाकपा (माले) की दावेदारी पेश करते हुए कहा कि जहानाबाद का. शाह चांद, मंजू देवी और विरेन्द्र विद्रोही जैसे अनगिनत शहीदों का क्षेत्र है जिन्होंने गरीब मजदूर-किसानों के हक-अधिकार व मान-सम्मान की लड़ाई लड़ते हुए अपनी जान कुर्बान कर दी. यहां लाल झंडे की संसदीय जीत की भी शानदार परंपरा रही है. उन्होंने रैली से भाकपा(माले) की चुनाव तैयारियों को तेज करने का आह्वान किया.
का. महानंद की अध्यक्षता में आयोजित सभा को अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय महासचिव का. राजाराम सिंह, ऐपवा और आशा कार्यकर्ता संघ की राज्य सचिव का. शशि यादव, किसान महासभा के राज्य सचिव डा. रामाधार सिंह, जहानाबाद क्षेत्र की चर्चित महिला नेत्री का. कुंती देवी, मजदूर नेता का. रामबली यादव, खेग्रामस के जिला सचिव का. उपेंद्र पासवान, नौजवान सभा के नेता का. रविंद्र यादव, इंसाफ मंच के नेता का. अनवर हुसैन समेत कई नेताओं ने संबोधित किया. इस अवसर पर पुरैनिया पंचायत के पूर्व मुखिया अजय यादव ने भाकपा(माले) की सदस्यता ली.
रैली से पूर्व करपी-महम्मदपुर रोड स्थित शहीद का. मंजू देवी के स्मारक पर झंडोत्तोलन व माल्यार्पण किया गया. जिले के वरिष्ठ नेता का. कारू मांझी द्वारा झंडोत्तोलन और भाकपा(माले) महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य, वरिष्ठ नेता का. रामजतन शर्मा, राज्य सचिव का. कुणाल, पोलित ब्यूरो सदस्य का. अमर और का. राजाराम सिंह तथा ऐपवा नेत्री का. शशि यादव आदि समेत वहां मौजूद तमाम पार्टी नेताओं द्वारा माल्यार्पण किया गया. सैकड़ों लोगों ने शहीदों को एक मिनट की मौन श्रद्धांजलि दी. रैली मंच पर शहीद का. शाह चांद की पत्नी का. जमीला खातून व का. विरेन्द्र विद्रोही की पत्नी का. सुनीता देवी भी मौजूद थीं.
- शोएब आलम
सामंती-सांप्रदायिक फासीवादी ताकतों के खिलाफ निर्णायक जंग की तैयारी तेज करते हुए आगामी लोकसभा चुनाव में जुमलेबाज नरेंद्र मोदी सरकार को सत्ता से बेदखल कर देने के संकल्प के साथ भाकपा(माले) का दो-दिवसीय अरवल जिला सम्मेलन 16-17 फरवरी 2019) शानदार तरीके से सफलतापूर्वक संपन्न हुआ.
16 फरवरी की शाम को का. वीरेंद्र विद्रोही-कामरेड मंजू देवी नगर (करपी बाजार) के का. शाह चांद सभागार (मुस्कान मैरिज हॉल) में शहीद का. इंदल मेहता मंच से भाकपा माले के पांचवें जिला सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए वरिष्ठ माले नेता का. रामजतन शर्मा ने जिले के हर गांव-टोलों में भाकपा (माले) की राजनीति का जोरदार प्रचार करते हुए निचले स्तर तक पार्टी का विस्तार करने तथा जुमलेबाज नरेन्द्र मोदी तथा गद्दार नीतीश कुमार को सत्ता से बेदखल करने का आह्वान किया.
का. जितेंद्र यादव, का. मधेश्वर प्रसाद, का. महेंद्र प्रसाद, का. सुकांति देवी और का. महेश यादव के 5 सदस्यीय अध्यक्ष मंडल ने सम्मेलन की पूरी कार्यवाही का संचालन किया. का. अनिल वर्मा, का. रामकुमार सिन्हा, का. बादशाह प्रसाद, का. मनोज कुमार व कुमार अमरेंद्र की पांच सदस्यीय टीम ने इस काम में उनकी मदद की.
भाकपा (माले) आंदोलन के नारों, लाल-झंडियों व बैनरों से सजे-धजे सभागार में मौजूद 164 प्रतिनिधियों व दो दर्जन से भी अधिक अतिथियों-पर्यवेक्षकों की मौजूदगी में भाकपा(माले) विदाई जिला कमेटी के सचिव का. महानंद ने जिले में पिछले दो सालों के कामकाज की विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की. इसमें पार्टी द्वारा चलाए गए आंदोलनों, विभिन्न मोर्चों और जनसंगठनों में पार्टी कामकाज की स्थिति की समीक्षा करते हुए अगले दो सालों के लिए कार्यभारों का प्रस्ताव भी शामिल था. दो दर्जन से भी अधिक प्रतिनिधियों ने अपने सुझाव देते हुए अंत में इसे करतल ध्वनि से पारित किया. 29 सदस्यीय जिला कमेटी और पुनः जिला सचिव के रूप में का. महानंद का चुनाव हुआ.
सम्मेलन के समापन सत्रा को पार्टी पोलित ब्यूरो के सदस्य व मगध जोन के प्रभारी का. अमर, लोकयुद्ध के सहसंपादक कामरेड संतोष सहर व राज्य स्थायी समिति के सदस्य का. रामाधार सिंह (जो सम्मेलन के पर्यवेक्षक भी थे) ने भी संबोधित किया. गायन टीम पुकार (औरंगाबाद) तथा जनगायक निर्मोही ने सम्मेलन के दौरान जनगीत गाए.