डीटीसी वर्कर्स यूनिटी सेंटर (ऐक्टू) द्वारा 22 अक्टूबर को डीटीसी मुख्यालय (आई.पी. डिपो) पर ‘नमक-मिर्च-रोटी धरना’ किया गया, जिसमें हजारों की संख्या में डीटीसी कमर्चारियों ने भागीदारी की।
सभी कान्ट्रैक्ट कर्मचारियों को समान काम के लिये समान वेतन लागू करने, डीटीसी प्रबंधन द्वारा जारी वेतन कटौती का सर्कुलर वापस लेने तथा डीटीसी में सरकारी बसों की खरीद की मांग को लेकर डीटीसी के कर्मचारी लगातार आन्दोलन में हैं। इसी दिशा में 29 अक्टूबर 2018 को डीटीसी कर्मचारियों द्वारा हड़ताल की घोषणा की गई है। इसी क्रम में आज 22 अक्टूबर को डीटीसी के कर्मचारी हजारों को संख्या में डीटीसी मुख्यालय के सामने जमा हुए और उन्होंने अपने वास्तविक हालात को बयान किया कि आज सरकार ने उनकी ये हालत कर कर दी है कि नमक-रोटी पर भी गुजारा मुश्किल है।
ऐक्टू, दिल्ली राज्य के महासचिव का. अभिषेक ने कहा कि दिल्ली सरकार सबको पक्का करने का वादा लेकर सरकार में आयी थी पर आज हालात ये है कि पक्का करने की बात तो छोड़ दीजिए, दिल्ली के मजदूर को न्यूनतम वेतन भी नहीं मिल रहा है। दिल्ली सरकार ने हाई कोर्ट के ऑर्डर का बहाना बनाकर वेतन में तो कटौती कर दी पर सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर ‘समान काम का समान वेतन’ लागू करने पर लगातार चुप्पी साधे हुए हैं। डीटीसी के कर्मचारी इसके भुक्तभोगी हैं। मजदूर-वर्ग के सवाल को लेकर दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार दोनों का ही एक समान रवैया है। एक तरफ दिल्ली सरकार वेतन में कटौती कर रही है और दूसरी तरफ डीटीसी का निजीकरण कर दिल्ली की आम जनता को जनपरिवहन से महरूम कर रही है। सरकार का ये कदम पूरी तरह से जनविरोधी है और इस जनविरोधी फैसले के खिलाफ डीटीसी के कर्मचारी 29 अक्टूबर को हड़ताल पर जाएंगे।
ऐक्टू के अध्यक्ष का. संतोष राय ने दिल्ली की आम जनता से अपील की कि वो डीटीसी कर्मचारियों के आंदोलन के साथ खड़े हों और एक सुरक्षित व सस्ते जनपरिवहन की मांग का साथ दें। इसी क्रम में डीटीसी वर्कर्स यूनिटी सेंटर के महासचिव का. राजेश ने कहा कि आज सरकार ने डीटीसी कर्मचारियों को आत्महत्या की हालत पर लाकर खड़ा कर दिया है। इतने कम वेतन में आखिर कैसे डीटीसी का कर्मचारी अपने परिवार का गुजारा करे? आज डीटीसी में नयी बसों की जरूरत है। पर सरकार नयी बसों को खरीदने के बजाय उसको निजी कंपनियों के हाथों बेचने पर तुली है। डीटीसी कर्मचारियों का आंदोलन दिल्ली की आम जनता के पक्ष में है। उन्होंने कहा कि 29 अक्टूबर को होने वाली हड़ताल सरकार को एक खुली चेतावनी है कि सरकार सम्हल जाए और वेतन कटौती का सर्कुलर वापस ले, वरना ये लड़ाई और आगे जाएगी और डीटीसी के पक्के तथा कान्ट्रैक्ट कर्मचारी इस लड़ाई को मिलकर अंतिम दम तक लड़ेंगे।
22 अक्टूबर के नमक मिर्च रोटी धरना-प्रदर्शन में हरियाणा रोडवेज के साथियों ने भी भाग लिया और डीटीसी कर्मचारियों के आंदोलन के साथ अपनी एकजुटता व्यक्त की। हरियाणा रोडवेज के साथी सुमेश कौशिक ने धरना-प्रदर्शन को संबोधित करते हुए कहा कि आज सभी सरकारों की हालत एक जैसी है, वो जनपरिवहन को आम जनता से दूरकर कुछ निजी कंपनियों के साथ में सौंपना चाहती हैं। उन्होंने बताया कि किस प्रकार भाजपा सरकार हरियाणा के अंदर एस्मा लगाकर उनके आंदोलन को कुचलना चाहती है। उनके यूनियन के दफ्रतरों की सीलिंग कर दी गयी, कर्मचारियों की गिरफ्तारियां की गईं, लेकिन हरियाणा रोजवेज के कर्मचारी लगातार लड़ रहे हैं और किसी भी दम पर नहीं झुकेंगे। उन्होंने हजारों की संख्या में डीटीसी मुख्यालय पहुंचे डीटीसी कमर्चारियों को संबोधित करते हुए अंत में कहा कि हरियाणा रोजवेज के कर्मचारी पूरी तरह से डीटीसी कर्मचारियों के आंदोलन के साथ खड़े हैं।
धरने को समर्थन देते हुए, केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों ऐक्टू, सीटू, एटक, इंटक के राष्ट्रीय नेताओं ने भी संबोधित किया। 22 अक्टूबर के नमक-मिर्च-रोटी धरना में हजारों की संख्या में भाग लेते हुए आने आने वाली 29 अक्टूबर की हड़ताल की घोषणा की।