वर्ष - 27
अंक - 45
27-10-2018

झारखण्ड के मिड-डे-मील कर्मियों के राज्यव्यापी रसोइया-संयोजिका संघ ने अपनी 15-सूत्री मांगों को हासिल करने के लिये भाजपा-नीत रघुवर सरकार के खिलाफ आर पार की लड़ाई छेड़ दी है। उनकी मांगें हैं - बर्खास्त किए गए सभी रसोइया और संयोजिकाओं को काम पर वापस लो, तमिलनाडु की तर्ज पर झारखण्ड में भी रसोइया-संयोजिका को चतुर्थ वर्गीय सरकारी कर्मचारी के रूप में बहाल करो, सभी रसोइया-संयोजिका को न्यूनतम वेतन 18,000 रु. प्रति माह लागू करो, पूर्व में बंद किये गए 350 विद्यालयों को पुनः अविलम्ब चालू करो, 10,000 विद्यालयों को बंद करने का फैसला वापस लो, रसोइयों का 8 माह का बकाया मानदेय जल्द भुगतान करो, रसोइयों का निशुल्क 5 लाख का जीवन बीमा करो, विद्यालयों के शिक्षकों को गैर-शैक्षणिक कार्य में न लगाओ आदि. इन मांगों पर पिछली 25 सितम्बर 2018 को झारखण्ड के राज्यपाल के समक्ष अनिश्चितकालीन ‘घेरा डालो डेरा डालो’ आंदोलन शुरू किया गया था।

दरअसल झारखंड सरकार ने विद्यालय के बच्चों के मध्याह्न भोजन की सरकारी योजना को निजी कंपनियों के हवाले करने की योजना बना ली है। इस योजना के अनुसार एक ही कंपनी एक ही सेंटर में एक लाख बच्चों का मध्याह्न भोजन बनायेगी। एक ही जगह पर एक लाख बच्चों का भोजन बनाने और उसके वितरण में काफी समय लगने की संभावना है, जिसके चलते भोजन की गुणवत्ता प्रभावित होगी. बासी भोजन का ताजापन बरकरार रखने के लिए उसमें केमिकल मिलाया जाएगा, जो बच्चों के शारीरिक-मानसिक स्वास्थ्य के लिये हानिकारक होगा. इस तरह मध्याह्न भोजन कर्मियों के रोजगार का सवाल बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य से जुड़ जाता है. इस वजह से रसोइयों का आंदोलन को और भी अधिक लोकप्रिय व धारदार बना है। 25 सितम्बर से राजभवन पर चल रहे धरने में प्रतिदिन औसत 150 से 200 रसोइया संयोजिका शामिल रहती थीं। लेकिन राजभवन द्वारा इस आंदोलन के प्रति उपेक्षापूर्ण रवैया अपनाये जाने के कारण रसोइयों में आक्रोश बढ़ता गया। पिछले तीन वर्ष से यह आंदोलन लगातार क्रमिक रूप से जारी है, लेकिन रघुबर सरकार ने इन मांगों पर कोई नोटिस ही नहीं लिया है।

इसी पृष्ठभूमि में संघ के निर्णयानुसार 5 से 7 हजार रसोइया व संयोजिकाओं ने 9 अक्टूबर 2018 को रांची के मोरहाबादी मैदान से अपनी मांगों पर नारे लगाते हुए जुलूस के शक्ल में मुख्यमंत्री का आवास घेरने के लिए मार्च शुरू किया। रास्ते पुलिस ने बैरिकेड लगा रखा था। बैरिकेड के पास पुलिस ने जुलूस को रोकने का प्रयास किया। आन्दोलनकारियों से पुलिस की बकझक भी हुई, लेकिन रसोइया नहीं रुकीं, बैरिकेड तोड़ते हुए तेजी से आगे बढ़ गईं। लगभग दौड़ते हुए प्रदर्शनकारी गेस्ट हाउस के सामने रामदयाल मुंडा पार्क के पास पहुंच गईं। तब पुलिस ने भयंकर लाठीचार्ज किया। पुरुष पुलिसकर्मियों ने महिला रसोइयों पर जमकर लाठी भांजी, दौड़ा-दौड़ा कर पीटा। छोटे-छोटे बच्चे गोदी में लिए हुए महिलाओं ने  पुलिस की मार का जमकर प्रतिरोध किया। आंदोलन में डटे रहकर वे जमीन पर लेट गईं। रसोइयों ने गेस्ट हाउस के सामने वाले चौराहा को जाम कर दिया। चार घंटे तक सड़क जाम रही। घटना स्थल पर सदर एसडीओ मौजूद थी लेकिन प्रदर्शनकारियों ने उनका एक न सुनी. दिन के लगभग 2 बजे सीओ धनंजय सिंह आए और संघ के अध्यक्ष सहित 7-सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल को लेकर वार्ता के लिए मुख्यमंत्री आवास गए, लेकिन सरकार के प्रतिनिधि से वार्ता असफल रही। संघ के नेतागण सीधे मुख्यमंत्री से ही वार्ता करने पर अड़ गए तब 12 अक्टूबर को मुख्यमंत्री से वार्ता करने की तिथि निर्धारित की गई। लाठीचार्ज में दर्जनों रसोइया घायल हुए, जिनमें से दो को गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती किया गया। रसोइयों के शांतिपूर्ण प्रदर्शन घेराव पर लाठीचार्ज के विरोध में संघ ने 10 अक्टूबर से झारखण्ड के सभी विद्यालयों में रसोइयों के अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की घोषणा की कि जब तक मांगें पूरी नहीं होगी तब तक तकरीबन 2 लाख रसोइया हड़ताल पर रहेंगे और विद्यालयों में मध्याह्न भोजन नहीं बनेगा। राज्य भर में रसोइया हड़ताल पर चले गए, फिर भी मुख्यमंत्री ने वार्ता के लिए समय नहीं दिया तो 13 अक्टूबर को 9 से 10 हजार रसोइयों ने रांची शहर के मुख्य चौराहों को करीब 3 घंटे से अधिक समय तक जाम किया।

रसोइयों की राज्यव्यापी हड़ताल अभी भी जारी है। संघ के अध्यक्ष के अनुसार 22-23 अक्टूबर को दशहरे की छुट्टी के बाद स्कूल खुलने पर रसोइयों की हड़ताल जोर पकड़ने का संभावना है। उन्होंने यह भी कहा कि पारा शिक्षक संगठन तथा सरकारी विद्यालयों के शिक्षक संगठनों की ओर से हड़ताल को समर्थन देने का आश्वासन दिया गया है। आंदोलन का संचालन झारखण्ड प्रदेश विद्यालय रसोइया संयोजिका अध्यक्ष संघ के पदाधिकारियों अजित प्रजापति, प्रेमनाथ विश्वकर्मा और अनिता देवी आदि ने किया।

झारखंड में रसोइयों द्वारा मुख्यमंत्री का घेराव कार्यक्रम के दरम्यान पुलिस लाठी चार्ज के खिलाफ राजधानी रांची, धनबाद शहर और निरसा के कोयलांचल में एआईसीसीटीयू के बैनर से मुख्यमंत्री का पुतला दहन कार्यक्रम आयोजित किया गया तथा रसोइयों के मांगों के साथ एकजुटता प्रदर्शित की गई. रांची में ऐक्टू महासचिव शुभेंदु सेन और ऐक्टू राज्य सचिव भुवनेश्वर केवट के नेतृत्व में प्रतिवाद मार्च निकाला गया और अल्बर्ट एक्का चौक पर प्रतिवाद सभा की गई. वहां मुख्यमंत्री रघुवर दास का पुतला दहन किया गया. धनबाद शहर के रणधीर वर्मा चौक पर ऐक्टू के बैनर तले प्रतिवाद मार्च करते हुए मुख्यमंत्री रघुवर दास का पुतला दहन किया गया। कार्यक्रम में ऐक्टू के जिला सचिव कार्तिक प्रसाद, माले के जिला सचिव नकुलदेव सिंह, रसोइया संघ की जिला सचिव सुमित्रा दास, सरोज देवी, मुन्ना खान, सिद्धेश्वर प्रसाद समेत दर्जनों महिला पुरुष शामिल हुए। भाकपा(माले) की निरसा प्रखंड कमिटी ने बेलचढ़ी निरसा में रघुवर दास का पुतला दहन किया। वक्ताओं ने कहा कि आने वाले चुनाव में मानदेयकर्मी मोदी-रघुवर सरकार को सबक सिखायेंगे. कार्यक्रम का नेतृत्व माले नेता नागेन्द्र कुमार, कृष्णा सिंह, हरेन्द्र सिंह, जगदीश शर्मा, ओमप्रकाश पाण्डेय, शमीमा खातून, काशी कोयरी, बुद्धिराम हरिजन, बाबूलाल हेम्ब्रम, मो. मुख्तार आदि ने किया।

- सुखदेव प्रसाद