‘जाति व्यवस्था भारत के एकीकरण का कारक है और जो कोई जाति व्यवस्था पर हमला करता है, वो भारत का दुश्मन है’ – राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के हिंदी मुखपत्र पांचजन्य ने ऐसा एक संपादकीय टिप्पणी में कहा है. हाल के वर्षों में जाति व्यवस्था का ऐसा खुलमखुल्ला महिमामंडन संभवतः नहीं हुआ है. यह संपादकीय भारत की आजादी की 77वीं वर्षगांठ की पूर्व बेला पर आया है. आरएसएस, जो अगले साल अपना शताब्दी वर्ष मनाएगा, जो आजकल भारत की ‘आधिकारिक (सरकारी) विचारधारा’ का संरक्षक है, की इस टिप्पणी को एक अलग-थलग दक्षिणपंथी प्रतिगामी शेखी मानकर हल्के में नहीं लिया जा सकता.