मंगलेश डबराल की कविताएं


संगतकार

मुख्य गायक के चट्टान जैसे भारी स्वर का साथ देती
वह आवाज सुंदर कमजोर कांपती हुई थी
वह मुख्य गायक का छोटा भाई है
या उसका शिष्य
या पैदल चलकर सीखने आने वाला दूर का कोई रिश्तेदार
मुख्य गायक की गरज में
वह अपनी गूंज मिलाता आया है प्राचीन काल से
गायक जब अंतरे की जटिल तानों के जंगल में
खो चुका होता है
या अपने ही सरगम को लांघकर
चला जाता है भटकता हुआ एक अनहद में
तब संगतकार ही स्थाई को संभाले रहता है
जैसे समेटता हो मुख्य गायक का पीछे छूटा हुआ सामान
जैसे उसे याद दिलाता हो उसका बचपन
जब वह नौसिखिया था

स्मृति दिवस पर का. नागभूषण पटनायक को श्रद्धांजलि दी गई


9 अक्टूबर 2020 को भाकपा(माले) के संस्थापक नेताओं में रहे काॅमरेड नागभूषण पटनायक को उनके 22 वें स्मृति दिवस पर भाकपा(माले) राज्य कार्यालय में श्रद्धांजलि दी गई और उनके विचारों को आगे बढ़ाने व सपने को साकार करने का संकल्प लिया गया.

शहीद द्वार का उद्घाटन व श्रद्धांजलि सभा लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा में भाकपा(माले) हर कुर्बानी देगी

25 सितंबर 2020 को पटना जिला के समकुढ़ा (पुनपुन) में शहीद चंद्रवरदाई दास की 21वीं बरसी पर उनके नाम को समर्पित शहीद गेट का उद्घाटन हुआ. भाकपा(माले) के वरिष्ठ नेता कामरेड अकलू पासवान की अध्यक्षता में हुई स्मृति सभा को संबोधित करते हुए भाकपा(माले) महासचिव कामरेड दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि हमारे साथी चंद्रवरदाई दास और अमर मांझी ने लोकतंत्र की रक्षा में शहादत दी. एक बार फिर दिल्ली और पटना की सरकार जिसके मुखिया नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार हैं संविधान पर हमला कर रहे हैं और जनता को जो न्यूनतम लोकतांत्रिक अधिकार मिला हुआ है उसे भी छीन लेना चाहते हैं.

शहीद दिवस मनाया गया

जहानाबाद के इस्सेबिगहा (मांदे बिगहा पंचायत) में शहीद कामरेड योगेन्द्र राम को उनके शहादत दिवस पर याद करते हुए उनके स्मारक स्थल पर कार्यक्रम आयोजित हुआ. इस मौके पर गांव के वरिष्ठ कामरेड रामानन्द द्वारा झंडोतोलन किया गया और शहीद स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित की गई. इस मौके पर मुखिया निरंजन, ब्रांच सचिव का. रामाधार, संजीत कुमार व अन्य पार्टी सदस्य व ग्रामीण मौजूद थे.

लासाड़ी में लगा शहीद मेला

15 सितंबर 2020 को भोजपुर के लासाड़ी में 1942 के शहीदों की याद में शहीद मेला आयोजित किया गया. मेले में भारी संख्या में क्षेत्र के किसान-मजदूर, महिला व छात्र-नौजवान शामिल हुए. इस मौके पर जिला सचिव का. जवाहरलाल सिंह द्वारा झंडोतोलन किया गया. जिले के वरिष्ठ पार्टी नेताओं – जिला सचिव का. जवाहरलाल सिंह, विधायक सुदामा प्रसाद, पूर्व विधायक चंद्रदीप सिंह, राजू यादव, मनोज मंजिल, क्यामुद्दीन अंसारी, रघुवर पासवान, नवीन कुमार, उपेंद्र भारती और के राष्ट्रीय महासचिव नीरज कुमार ने स्मारक व मूर्तियों पर माल्यार्पण किया.

अलविदा स्वामी अग्निवेश

हम स्वामी अग्निवेश के गुजर जाने से शोकाकुल हैं. वे सामाजिक गुलामी और कट्टरता के विरुद्ध जीवन पर्यंत लड़ने वाले योद्धा थे और सभी प्रकार के जन आंदोलनों के साथी थे.

कामरेड अमरीक सिंह समाओं अमर रहें !

मानसा (पंजाब) के युवा भाकपा(माले) कार्यकर्ता कामरेड अमरीक सिंह समाओं का अचानक दिल की बीमारी से 24 अगस्त की रात में निधन हो गया. वे महज 28 वर्ष के थे. उन्होंने छात्र जीवन से ही क्रांतिकारी आन्दोलन में जी-जान से भाग लेना शुरू कर दिया था. उन्होंने इनौस (आरवाईए) में सक्रिय होने के साथ एक लोकप्रिय युवा नेता के बतौर पहचान बनाई और कई वर्षों तक मानसा स्थित पार्टी के राज्य कार्यालय (बाबा बूझा सिंह भवन) की ज्मिमेवारी में रहे.

अलविदा, कामरेड मोती महतो !

पश्चिम चम्पारण जिला के गौनाहा अंचल के भाकपा(माले) के वरिष्ठ नेता कामरेड मोती महतो नहीं रहे. उनका निधन 21अगस्त की रात में हार्ट अटैक से हो गया. वे करीब 70 वर्ष के थे. अस्सी के दशक में उन्होंने अपने पैतृक गांव नरकटियागंज के मनवा परसी में सामंती उत्पीड़न से जनता की मुक्ति के लिए काफी तीखा संघर्ष किया जिसके चलते उन्हें उम्र कैद की सजा काटनी पड़ी. उनके तीन भाइयों को भी गांव से विस्थापित होना पड़ा. चारों भाइयों की करीब चार एकड़ जमीन पर सामंतों ने कब्जा कर लिया. उनके घरों को मटियामेट कर दिया गया.

प्रसिद्ध झारखण्ड आन्दोलनकारी बशीर अहमद नहीं रहे

बशीर अहमद राइटर भी और फाइटर भी ...

झारखण्ड आन्दोलनकारी, चर्चित आर्टिस्ट और भाकपा(माले) के वरिष्ठ नेता बशीर अहमद जी का 8 अगस्त 2020 को पूर्वाहन 9 बजे हार्टअटैक से निधन हो गया. वे 65 वर्ष के थे. 9 अगस्त को रातू रोड कब्रस्थान में उनके पार्थिव शरीर को दफ्न-ए-खाक किया गया. उनके निधन के दिन ही संध्या 5 बजे उनके आवास परिसर के बाहर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई.

मशहूर शायर राहत इंदौरी को श्रद्धांजलि

कौमी एकता और आम अवाम के जनतांत्रिक संघर्षों की आवाज थे राहत इंदौरी

मशहूर शायर राहत इंदौरी की कोरोना संक्रमण से हुई मौत को जन संस्कृति मंच (जसम) ने देश की साझी संस्कृति और हिंदुस्तानी साहित्य के लिए बहुत बड़ी क्षति बताया है. जसम के राज्य सचिव सुधीर सुमन ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि इस वक्त जब इस मुल्क में सदियों पुराने भाईचारे को धार्मिक-सांप्रदायिक फासीवादी राजनीति लगातार तोड़ रही है, तब उसके खिलाफ राहत साहब अपनी शायरी के जरिए कौमी एकता और आम अवाम के पक्ष में ताकतवर तरीके से आवाज बुलंद कर रहे थे.