16 जुलाई 1972 को कलकत्ते के एक आश्रय स्थल से का. चारु मजुमदार गिरफ्तार किए गए. गिरफ्तारी के बाद लाल बाजार के सेन्ट्रल लाॅक अप में 12 दिनों तक उन्हें घोर शारीरिक व मानसिक प्रताड़ना दी जिनमें उनके लिए जरूरी पैथिड्रीन इंजेक्शन व अन्य दवाइयों को बन्द कर देना भी था, उन्हें मौत के घाट उतार दिया गया. 28 जुलाई 1972 को का. चारु मजुमदार ने आखिरी सांस ली. लेकिन, उनकी शहादत के बाद भी न तो नक्सलबाड़ी आंदोलन को खत्म किया जा सका और न ही उसकी ताप व ऊर्जा से पैदा हुई उस नई पार्टी को, जिसे हम सभी भाकपा-माले के रूप में जानते हैं.