उत्तर प्रदेश की बदलती राजनीति: बसपा के इर्द-गिर्द उठते सवाल


डा. अम्बेडकर के समतामूलक व जातिविहीन समाज के निर्माण के सपने को कांशीराम ने दलित मुख्यमंत्री-दलित प्रधानमंत्री बनाने व दलितों को अधिकारी बनने के लिए प्रेरित करके एक नये राजनीतिक जागरण को पैदा किया था. मगर कांशीराम की राजनीति के केन्द्र में हमेशा दलित ही थे.

भाजपा के उम्मीदवार शुभेन्दु अधिकारी द्वारा खुल्लमखुल्ला साम्प्रदायिक घृणा प्रचार पर भारतीय निर्वाचन आयोग को पत्र


प्रेषित,
मुख्य निर्वाचन आयुक्त, भारतीय निर्वाचन आयोग

विषय: भाजपा उम्मीदवार शुभेन्दु अधिकारी द्वारा खुल्लमखुल्ला साम्प्रदायिक घृणा प्रचार

महोदय,

हमें यकीन है कि आपने पश्चिम बंगाल के नंदीग्राम चुनाव क्षेत्र से भाजपा के उम्मीदवार शुभेन्दु अधिकारी द्वारा दिये जा रहे भाषणों में खुल्लमखुल्ला घृणा प्रचार को अवश्य ही संज्ञान में लिया होगा, जिसकी मीडिया में व्यापक रूप से रिपोर्ट की गई है.

उन्नाव की घटना संदिग्ध, सीबीआई जांच हो – माले

 

भाकपा(माले) के दो सदस्यीय जांच दल ने विगत 19 फरवरी को उन्नाव के असोहा थानांतर्गत बबुरहा गांव का दौरा कर उस पीड़ित दलित परिवार से भेंट की, जिसकी तीन नाबालिग बेटियां 17 फरवरी की देर शाम निकट के खेत में पड़ी मिली थीं और जिनमें से दो की मौत हो गई थी जबकि तीसरी गंभीर हालत में कानपुर के अस्पताल में भर्ती है.

आदिवासी समाज-संस्कृति में दखल देना बंद करे भाजपा

भाकपा(माले) के वरिष्ठ नेता गौतम लाल मोरीला और शंकरलाल मीणा ने भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व ग्रहमंत्री गुलाबचंद कटारिया के उस वक्तव्य की आलोचना की है जिसमें उन्होंने आदिवासी समाज के लोगों द्वारा ‘जय जोहार’ कहकर अभिवादन किये जाने को आपत्तिजनक व खतरनाक बताया है. हाल ही में स्थानीय इलेक्ट्राॅनिक मीडिया में पूर्व गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया का एक आये वीडियो फुटेज सामने आया है जिसमें वे जिला कलेक्टर, उदयपुर से ‘जय जोहार’ के संबोधन पर अपने विचार साझा कर रहे हैं.

एनआईए व यूएपीए कानूनों में कठोर संशोधन लाने और आरटीआई कानून को शिथिल करने का प्रतिवाद करो

भाकपा(माले) महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य ने 26 जुलाई को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि मोदी सरकार द्वारा एनआईए (राष्ट्रीय जांच एजेन्सी), यूएपीए (गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम) एवं आरटीआई (सूचनाधिकार) कानूनों में संशोधन लाया जाना और लोकसभा द्वारा उनको पारित किया जाना भारतीय लोकतंत्र एवं भारत के नागरिकों की नागरिक स्वतंत्रताओं एवं अधिकारों पर घातक चोट है.