इन दिनों लखनऊ का घंटाघर सुर्खियों में है. शाहीनबाग से सीएए, एनआरसी और एनपीआर के विरोध में औरतों ने जिस धरने के शुरूआत की थी, उसने विरोध की एक नयी राह दिखाई. सबसे बड़ी खूबी यह थी कि इसकी पहल औरतों ने की. एक नहीं, कई शाहीनबाग देश में खड़े हो गये. इसने जन आन्दोलन का रूप ले लिया. इस तरह के आन्दोलन का, जिसमें महिलाएं केन्द्र में हों, कोई दूसरा उदाहरण शायद ही मिले.