वर्ष - 28
अंक - 49
23-11-2019
(15 नवंबर 2019 को केंद्र शासित दमन में बेरहमी से मछुआरों की पुश्तैनी गांव को उजाड़ देने की घटना की पड़ताल करने पहुँचे भाकपा माले के राज्य प्रभारी कामरेड रंजन गांगुली व गुजरात राज्य लीडिंग टीम सदस्य कामरेड लक्ष्मण भाई वाडिया की रिपोर्ट)

30,000 वर्ग मीटर में फैले ‘मोटीदमन किले’ को 1559 ईस्वी में अबीसिनियन मुस्लिम सरदारों से पुर्तगाली लोगों ने जीत लिया। तब से 1961 में भारत में विलय तक केंद्र शासित दमन व दीव पर पुर्तगाली शासन था.

तीन तरफ समुद्र से घिरा व दमनगंगा नदी के तट पर स्थित केन्द्र शासित दमन में भारी तादाद में मत्स्यजीवी लोग रहते है. स्थानीय भाषा में उन्हें ‘माछी समाज’ के रूप में जाना जाता है. गुजरात में, जहां अन्य राज्यों की तुलना में पूंजीवाद का अच्छा-खासा विकास हुआ है, वहां वर्षाे से ‘पूर्ण नशाबंदी’ लागू है और दमन तथा दीव गुजराती व्यापारी व कुलीन वर्ग की ऐशो-आराम का डेस्टिनेशन बना हुआ है. देशी-विदेशी ब्रांड की शराबें यहां टैक्स-फ्री मिलती हैं. और इसी स्थिति का फायदा उठाकर खेमानी ग्रुप की शराब कम्पनी आज देश की सबसे बड़ी शराब उत्पादक कम्पनी बन गई है.

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यहां स्थानीय लोग मानते है कि दमन को ‘आकर्षक’ पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने की पेशकश खेमानी ग्रुप ने सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से की, जिसे उन्होंने ‘सहर्ष’ स्वीकार भी कर लिया.

19 जनवरी 2019 को मोदीजी के ‘कर कमलों’ से मोटीदमन किले के विकास व सौंदयीकरण का शिलान्यास हुआ. इस मामले को आगे बढाने के लिए दमन-दीव और दादरा-नगर हवेली के प्रशासक प्रफुल्ल पटेल व दमन की भाजपा सांसद लालूभाई बी पटेल को विशेष जिम्मेवार दी गई.

लगभग 8 माह पहले खेमानी ग्रुप ने दमनवासियों में ‘राष्ट 'भक्ति’ जागृत करने के  उद्देश्य से मोटीदमन किले के मुख्य द्वार की लाॅन पर एक पुराना टी-55 टैंक रखवा दिया और साथ ही वहां पर ‘कांसेप्चुअलाइज्ड बाई खेमानी ग्रुप’ का एक शिला पट्ट भी लगवा दिया. दमन के माछी समाज पर दमन व दीव प्रशासन के दमन की दास्तान यहीं से शुरू होती है.

इस महीने की शुरूआत में प्रशासन ने पुनर्वास की व्यवस्था या मुआवजा देने की घोषणा के बिना ही भारी पुलिसिया बंदोबस्ती के साथ मोटीदमन किले से सटे लाइट-हाउस से जम्पर बीच तक फैले ‘इस्कटी शेरी-माछीवाड़’ गांव पर धावा बोल दिया. मोटीदमन के कलेक्टर राकेश मिन्हास वहां खुद खड़े होकर डेमोलिशन करवा रहे थे और विरोध पर उतरे स्थानीय माछी समाज के लोगों पर पुलिस से लाठियां बरसवा रहे थे. महिलाओं-पुरुषों, बच्चों-बूढ़ों किसी को बख्शा नही गया. महिलाओं ने बताया कि स्थानीय मामलतदार  (एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट) सागर ठक्कर खुद लाठियां भांज रहे थे.

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पुर्तगाल काल से खड़े 135 पक्के मकानों को गिरा दिया गया. माछी समाज के आम लोग प्रशासक और कलेक्टर के कार्यालय पर विरोध जताने गए तो उन्हें लाठियां भांजकर व पानी की बौछार कर तितर-बितर कर दिया गया. गुजरात और दमन में तथाकथित ‘जन वेदना’ कार्यक्रम चला रही देश की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस को भी माछी समाज की ‘वेदना’ नजर नहीं आई.

विगत 9 नवंबर को लंदन के लेस्टर शहर में रहनेवाले माछी समाज के नागरिकों ने ऐक बैठक आयोजित कर दमन की घटनाओं पर भारी रोष जताया और वहां के गरीब माछी समाज को न्याय दिलाने के लिए भारतीय हाई कमीशन को अर्जी देने का प्रस्ताव लिया.  स्थानीय जन प्रतिनिधियों के निकम्मेपन पर अफसोस जाहिर करते हुए नागरिकों ने निवासियों से अपनी लड़ाई खुद ही लड़ने का आह्वान किया और भारत सरकार से यह मांग किया कि वह अविलम्ब तमाम बेघर लोगों को उचित वैकल्पिक आवास मुहैया कराए.