वर्ष - 28
अंक - 47
09-11-2019

असम में छह स्थानों पर डिटेंशन कैम्प खोले गये हैं जो जिला कारागारों में बने कामचलाऊ किस्म के घर हैं. पिछले 9 वर्षों में इन कैम्पों में गिरफ्तार लोगों में से 27 लोगों की मृत्यु हो चुकी है.

‘सिटीजन्स फाॅर जस्टिस एंड पीस’ (सीजेपी) नामक एक मानवाधिकार संगठन ने सबसे पहले उन तमाम लोगों के बारे में जानकारी एकत्र की है जिनकी मौत असम के डिटेंशन कैम्पों में हुई है. इस सूची में, जो जुलाई 2019 में प्रकाशित हुई थी, हमें पता चला कि ग्वालपाड़ा डिटेंशन कैम्प सबसे ज्यादा भयावना साबित हुआ है जिसमें सर्वाधिक 10 लोगों की मौत हुई है. इसके ठीक बाद तेजपुर डिटेंशन कैम्प का स्थान है, जहां बंदी बनाये गये नौ लोगों की मौत हो चुकी है. इसी बीच कछार जिले में सिलचर डिटेंशन कैम्प में तीन लोगों की मौत हो चुकी है, एक महिला समेत दो लोगों की जान कोकराझाड़ डिटेंशन कैम्प में हुई है और एक व्यक्ति की मृत्यु जोरहाट डिटेंशन कैम्प में हुई है. मारे गये लोगों में 14 मुस्लिम हैं, 10 हिंदू हैं और एक चाय जनजाति समुदाय के सदस्य हैं.

असम राज्य विधानसभा के समक्ष एक चौंका देने वाले खुलासे में राज्य सरकार ने स्वीकार किया कि राज्य के छह डिटेंशन कैम्पों में बंदी स्थिति में अब तक 25 लोगों की जानें जा चुकी हैं. राज्य सरकार का दावा है कि ये सारी की सारी मौतें “बीमारी” से हुई हैं.

मारे गये इन लोगों में सुब्रत दे, जब्बार अली और अमृत दास भी शामिल हैं, जिनकी दिल दहला देने वाली कथाएं पहले भी सामने आ चुकी हैं. रोचक बात यह है कि दे और अली की मृत्यु संदेहजनक स्थितियों में हुई है और उन दोनों के परिवारों को आशंका है कि इसके पीछे कुछ साजिश है. अधिकारी लोग दावा करते हैं कि ये मौतें “बीमारी” से हुई हैं.

मौजूदा समय में असम में छह डिटेंशन कैम्प हैं. ये कैम्प ग्वालपाड़ा, कोकराझाड़, सिलचर, जोरहाट, तेजपुर और डिब्रूगढ़ जिलों की जेलों में कामचलाऊ किस्म के घरों में बनाये गये हैं. ऐसी खबर है कि राज्य के अन्य भागों में भी इस तरह के नये डिटेंशन कैम्प कायम करने की योजना है. असम की जेलों में जान गंवाने वाले लोगों का विवरण इस प्रकार है:

detention

2011

  1. नजरुल इस्लाम: डिटेंशन कैम्प में मारा जाने वाला सबसे कम उम्र का बच्चा नजरुल इस्लाम मात्र 45 दिन का था, जिसकी मां शाहिदा बीबी को 2011 में बंदी बनाकर कोकराझाड़ के डिटेंशन कैम्प में रखे जाने के बाद उसकी मौत हुई थी.

2016

  1. भूलू सदाकर: 68 वर्षीय वृद्ध हाइलाकांदी के निवासी, जिन्हें कछार जिले के डिटेंशन कैम्प में बंदी बनाकर रखे जाने के पांच महीने बाद 17 मार्च 2016 को उनकी मृत्यु हो गई थी.3. अमीर अली: बरपेटा जिले के निवासी, जिनकी मौत ग्वालपाड़ा के डिटेंशन कैम्प में मात्र एक दिन रखे जाने के बाद ही 24 मई 2016 को हो गई.
  2. दुलाल मियां: 35 वर्षीय दुलाल समरगंज के निवासी थे जिनकी ग्वालपाड़ा डिटेंशन कैम्प में मात्रा 4 दिन रखे जाने के बाद 16 जून 2016 को हो गई.
  3. प्रभा राय: 70 वर्षीय प्रभा राय बरपेटा के निवासी थे और कोकराझाड़ के डिटेंशन कैम्प में 9 महीने कैद रहने के बाद 29 सितम्बर 2016 को उनकी मृत्यु हो गई.

2017

  1. संतोष बिश्वास: 75 वर्षीय वृद्ध संतोष नगांव जिले के निवासी थे और ग्वालपाड़ा के डिटेंशन कैम्प में डेढ़ साल की अवधि तक कैद रहने के बाद 2 मार्च 2017 को उनकी मृत्यु हो गई.
  2. अब्दुल कुद्दुस अली: लखीमपुर जिले के 60 वर्षीय अब्दुल तेजपुर के डिटेंशन कैम्प में 2 साल तक कैद में रहने के बाद 16 जुलाई 2017 को मारे गये.
  3. हुसैन अली: 45 वर्षीय शोणितपुर के निवासी हुसैन अली की मौत तेजपुर डिटेंशन कैम्प में लगभग एक साल कैद काटने के बाद 28 अगस्त 2017 को हुई.
  4. कबूतर बासफोर: 65 वर्षीय वृद्ध शोणितपुर के निवासी थे जो दो वर्ष तक तेजपुर डिटेंशन कैम्प में काटने के बाद 6 सितम्बर 2017 को मौत के मुंह में समा गये.
  5. अबू शहीद: इनकी मौत ग्वालपाड़ा के डिटेंशन कैम्प में सात महीने बिताने के बाद 22 अक्टूबर 2017 को हुई.
  6. तजीमुद्दीन: लखीमपुर के निवासी तजीमुद्दीन की मृत्यु लगभग एक साल तक तेजपुर डिटेंशन कैम्प में बिताने के बाद 30 अक्टूबर 2017 को हुई.
  7. राशिद अली: 86 वर्ष के वृद्ध गोलाघाट के निवासी थे जो जोरहाट के डिटेंशन कैम्प में लगभग दो वर्ष बिताने के बाद 22 नवम्बर 2017 को मारे गये.

2018

  1. सुंदर मणि राय: 75 वर्षीय वृद्ध हाइलाकांदी के निवासी सुंदर मणि की मौत कछार के डिटेंशन कैम्प में लगभग डेढ़ वर्ष की कैद काटने के बाद 4 मार्च 2018 को हुई.
  2. सुब्रत डे: 37 वर्षीय सुब्रत डे ग्वालपाड़ा के निवासी थे जिनकी ग्वालपाड़ा डिटेंशन कैम्प में मात्र दो महीने कैद में काटने के बाद मौत हो गई. उनके पिता एवं दादा के नाम 1951 के राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) में मौजूद पाये गये, फिर भी उन्हें विदेशी घोषित कर दिया गया. उनकी मौत के दो दिन पहले उनकी मां ने डिटेंशन कैम्प में उनसे मुलाकात की थी, और तब उन्होंने शारीरिक स्वास्थ्य सम्बंधी कोई शिकायत नहीं बताई थी. फिर भी “बीमारी” के चलते मर गये!
  3. नगेन दास: बांग्लादेश के मयमनसिंह जिला के निवासी नगेन दास की मौत तेजपुर डिटेंशन कैम्प में दो वर्ष की कैद काटने के बाद 1 जून 2018 को हो गई.
  4. सिद्दीकी अली: कामरूप जिले के निवासी 65 वर्षीय सिद्दीकी की मौत ग्वालपाड़ा डिटेंशन कैम्प में दो वर्ष कैद में काटने के बाद 26 जून 2018 को हो गई.
  5. जब्बर अली: उदालगिरि के निवासी जब्बर अली तेजपुर के डिटेंशन कैम्प में लगभग एक वर्ष बिताने के बाद 4 अक्टूबर 2018 को मौत के मुंह में समा गये. उनके पास तमाम वैध दस्तावेज थे, फिर भी उन्हें विदेशी घोषित कर दिया गया, जबकि फाॅरेनर्स ट्राइब्यूनल ने उनके बड़े बेटे को भारतीय घोषित कर दिया और विडम्बना यह है कि उन्हें उनके पिता एवं दादा के दस्तावेजों के आधार पर भारतीय घोषित किया गया.
  6. खोकन मंडल: 68 वर्षीय वृद्ध खोकन चिरांग के निवासी थे, जिनकी मृत्यु ग्वालपाड़ा के डिटेंशन कैम्प में लगभग डेढ़ वर्ष की जेल काटने के बाद 8 अक्टूबर 2018 को हुई.
  7. शशि मोहन सरकार: 85 वर्षीय वृद्ध चिरांग निवासी शशि मोहन की मौत विदेशी घोषित किये जाने और ग्वालपाड़ा के डिटेंशन कैम्प में लगभग डेढ़ साल की कैद काटने के बाद 9 दिसम्बर 2018 को हुई. मगर उनकी मौत से ठीक एक दिन पहले उनके पुत्र संजित सरकार को इस आधार पर भारतीय घोषित किया गया कि उनका जन्म भारतीय माता-पिता से हुआ है.

2019

  1. जाकिर हुसैन: 41 वर्षीय जाकिर हुसैन शोणितपुर के निवासी थे जिनकी मौत तेजपुर डिटेंशन कैम्प में लगभग 2.5 वर्ष की कैद काटने के बाद 25 जनवरी 2019 को हुई.
  2. इस्माइल अली तालुकदार: दिमा ह्साओ के निवासी जिनकी मृत्यु कछार के डिटेंशन कैम्प में लगभग 2.5 वर्ष काटने के बाद 30 मार्च 2019 को हुई.
  3. अमृत दास: 67 वर्षीय वृद्ध एवं बरपेटा निवासी अमृत दास की मृत्यु ग्वालपाड़ा के डिटेंशन कैम्प में लगभग दो वर्ष काटने के बाद 6 अप्रैल 2019 को हुई. उन्होंने सीने में दर्द की शिकायत की थी और अस्पताल ले जाने के बाद उनकी मृत्यु हो गई. उनके परिवार ने पहले तो उनका शव लेने से इन्कार कर दिया था, और अमृत दास को न्याय देने की मांग पर सड़क पर प्रतिवाद भी संगठित किया गया था.
  4. बासुदेव बिश्वास: 55 वर्षीय बासुदेव बिश्वास बांग्लादेश के सिराजगंज के निवासी थे जिनकी 4 वर्षों तक तेजपुर के डिटेंशन कैम्प में कैद काटने के बाद 11 मई 2019 को मौत हो गई.
  5. सुरुज अली: 70 वर्षीय वृद्ध सुरुज अली नगांव जिले के निवासी थे जिनकी मौत तेजपुर डिटेंशन कैम्प में एक वर्ष की कैद काटने के बाद 6 जून 2019 को हुई.
  6. श्री पूना मुंडा: 65 वर्षीय वृद्ध पूना मुंडा ग्वालपाड़ा जिले के निवासी थे जिनका निधन ग्वालपाड़ा के डिटेंशन कैम्प में साढ़े तीन वर्ष की कैद काटने के बाद 10 जून 2019 को हो गया.
  7. फालू दास: नलबाड़ी के निवासी 70 वर्षीय वृद्ध फालू दास की मौत ग्वालपाड़ा डिटेंशन कैम्प में लगभग दो वर्ष की कैद काटने के बाद हाल ही में 24 अक्टूबर 2019 को हुई.
  8. दुलाल चंद्र पाॅल: हाल ही में शोणितपुर जिले के निवासी 65 वर्षीय वृद्ध दुलाल चंद्र की मौत तेजपुर के डिटेंशन कैम्प में दो वर्षों तक कैद रखे जाने के बाद अक्टूबर 2019 में गुवाहाटी अस्पताल में हो गई. कहा जा रहा है कि वे मानसिक रूप से विक्षिप्त थे और 2017 में चले मुकदमे में फारेनर्स ट्राइब्यूनल ने उन्हें एकतरफा तौर पर विदेशी घोषित कर दिया गया था, लेकिन अंततः असम के मुख्यमंत्री की अपील पर उनकी नागरिकता को मान लिया गया था.