वर्ष - 28
अंक - 49
23-11-2019

अखिल भारतीय किसान महासभा के एक जांच दल ने गत 19 नवम्बर 2019 को उन्नाव के ट्रांस गंगा परियोजना से प्रभावित किसानों से मुलाकात की. जांच दल ने पाया कि उन्नाव में कानूनों का उल्लंघन करते हुए उचित मुआवजा दिये बिना ही जबरन भूमि अधिग्रहण हो रहा है. किसानों की भूमि का चार गुना मुआवजा देने की मांग कानूनन जायज है. किसान महासभा ने गिरफ्तार किसानों को तुरन्त रिहा करने व पुलिस के दमनचक्र पर रोक लगाने की मांग की है.

20 नवम्बर को लखनऊ में अपनी जांच रिपोर्ट जारी करते हुए जांच दल ने कहा कि भूमि अधिग्रहण की इस पूरी प्रक्रिया में किसानों से कोई सहमति नहीं ली गयी. किसानों से प्रभावित परिवार को नौकरी देने व विकसित जमीन पर 16 प्रतिशत भूमि देने का जो वायदा किया गया था, अब सरकार उससे इनकार कर रही है. सरकार झूठ बोल रही है कि वह किसानों को 12.51 लाख प्रति बीघा मुआवजा दे रही है. किसानों का कहना है कि सरकार सिर्फ 5.51 लाख रुपये बीघा मुआवजा दे रही है, जबकि वहां जमीन का बाजार मूल्य 50 लाख रुपये बीघा है.

सरकार ने किसानों को योजना में 16 प्रतिशत विकसित जमीन देने का जो वायदा किया गया था, उसमें से 10 प्रतिशत भूमि नहीं देने के बदले सरकार ने 7 लाख रुपया प्रति बीघा किसानों को दिया है. बाकी 6 प्रतिशत भूमि नहीं दी जा रही है. ऊपर से सरकार विकसित जमीन के बदले दी गई राशि को भी मुआवजा बता कर झूठा प्रचार कर रही है.

जांच दल ने पाया कि इस पूरे प्रकरण में जिलाधिकारी उन्नाव की भूमिका बेहद किसान विरोधी थी और वे वहां हालात बिगाड़ने के लिए पूरी तरह से जिम्मेवार हैं. पूरी घटना को देखकर लगता है कि योगी सरकार से जिला प्रसाशन को छूट थी कि वो किसानों को सबक सिखाए. उन्नाव की घटना ने योगी सरकार के किसान विरोधी चेहरे को उजागर कर दिया है. किसान कह रहे थे कि हमने इस सरकार को बनाया था, अब हम इसे सबक भी सिखाएंगे.

किसान नेताओं ने बताया कि घटना के समय एक प्रोफेसर डा. वीएम पाल को बेरहमी से पिटते हुए ‘पुलिस की जय’ बुलवाया गया, 60 साल से ऊपर उम्र के विकलांग किसान सुशील त्रिवेदी को भी बेरहमी से पीटा गया, किसानों की 100 से अधिक मोटर साइकिलों को जेसीबी से रौंद कर बर्बाद किया गया, 40 से ज्यादा किसान घायल हैं, 15 से ज्यादा किसान गिरफ्तार हैं – ये सारे तथ्य पुलिसिया बर्बरता को दिखाते हैं. किसान शंकर सराय में पिछले ढाई साल से धरने पर बैठे हैं. मगर योगी सरकार के पास किसानों से बात करने की फुरसत नहीं है. जांच टीम में किसान महासभा के प्रदेश उपाध्यक्ष राजीव कुशवाहा, सह सचिव अफरोज आलम, कानपुर जिला संयोजक अजय कुमार व राणा प्रताप सिंह शामिल थे.

– अफरोज आलम

किसान महासभा व भाकपा(माले) ने निंदा की

अखिल भारतीय किसान महासभा और भाकपा(माले) ने घटना के लिए जिम्मेदार मानते हुए उन्नाव के जिलाधिकारी को तुरन्त हटाने, गिरफ्तार किसानों को रिहा करने, वहां जारी दमनचक्र पर रोक लगाने तथा किसानों से वार्ता करके उनको कानून सम्मत मुआवजा देने की मांग की है. भाकपा(माले) की राज्य इकाई ने उन्नाव में शनिवार को किसानों पर हुए बर्बर लाठीचार्ज की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि किसानों की जमीन के मुआवजे की मांग को योगी सरकार दमन के बल पर दबाना चाहती है. कृषि संकट से परेशान, कर्जों के बोझ से लदे और बेमौसम की बारिश से लुटे-पिटे किसान एक तरफ आत्महत्याएं कर रहे हैं, वहीं उनकी आजीविका के एकमात्र स्रोत खेती की जमीन भी सरकारें औने-पौने दामों पर अधिग्रहित कर लेती हैं और जब किसान बाजार दर पर मुआवजे की मांग करते हैं, तो उन्हें लाठियां मिल रही हैं. संवेदनहीनता की भी हद है.