वर्ष - 32
अंक - 2
07-01-2023

ऑल इंडिया पीपुल्स फोरम (एआईपीएफ) छत्तीसगढ़ तथा ऑल इंडिया लायर्स एसोसिएशन फाॅर जस्टिस (आइलाज) छत्तीसगढ़ की एक संयुक्त जांच टीम ने बृजेन्द्र तिवारी के नेतृत्व में पिछले दिनों 22 से 24 दिसंबर तक बस्तर संभाग, खासकर कोंडागांव व नारायणपुर जिला में ईसाई आदिवासी समुदाय पर बड़े पैमाने पर हुए हमले व गांवों से भगाने के मामलों की जांच पड़ताल की.

जांच में आइलाज के वकीलों का सहयोग मिला. जांच टीम ने पीड़ितों व प्रभावित गांवों और नागरिक समाज के लोगों से मिलकर बातचीत की. टीम ने घायलों से भी मुलाकात की व राहत शिविरों का दौरा किया.

जांच टीम को जानकारी मिली कि इन गांवों में ईसाई आदिवासियों के चर्चों (प्रार्थना स्थलों) में कई जगहों पर तोड़फोड़ की गई है तथा लोगों से मारपीट कर, डराकर व आंतकित कर घर से भगाया गया है. घरों को भी नुकसान पहुंचाया गया है. लोगों के साथ लाठियों व लात-घूसों से मारपीट की गई है, जिसके कारण कम से कम 10 लोगों को अस्पताल में भर्ती होना पड़ा है.

कोंडागांव जिला पंचायत भवन में 200 से अधिक तथा नारायणपुर के इनडोर स्टेडियम में 400 से अधिक तथा कई अन्य जगहों पर भी कई लोग महिलाओं-बच्चों के साथ मुश्किल स्थिति में रह रहे हैं. बच्चों की पढ़ाई ठप्प हो गई है. राहत शिविरों में शासन व निजी लोगों द्वारा मदद की जा रही है. तमाम पीड़ितों की एफआईआर तक दर्ज नहीं की जा रही है.

जांच टीम ने यह अनुभव किया कि आदिवासियों और ईसाई आदिवासियों के बीच दक्षिणपंथी संगठनों के द्वारा सचेत व संगठित ढंग से मतभेदों को बढ़ाने की कोशिश लगातार चल रही है. इस दौरान पुलिस व प्रशासन की भूमिका मूकदर्शक की बनी रही है. पुलिस दोषियों पर कार्यवाही करने से बचती रही है.

जांच टीम ने राज्य सरकार से ये मांग की है कि -

(1) धर्म के नाम पर आदिवासियों के बीच मतभेद को भड़काने वालों दक्षिणपंथी संगठनों व लोगों पर तत्काल कार्यवाही की जाए.

(2) उक्त घटना के दोषियों पर तत्काल कठोर कानूनी कार्रवाई की जाए.

(3) पीड़ितों को उनके घरों में अविलंब सम्मानजनक व सुरक्षित ढंग से वापस पहुंचाया जाए तथा समुचित मुआवजा दिया जाए और गांव में शांति, सुरक्षा व सौहार्द कायम करने की गारंटी की जाए.

(4) पीड़ितों को डराने, धमकाने व आंतकित करने पर रोक लगायी जाए.

(5) पूरे घटनाक्रम की उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की अध्यक्षता मे उच्चस्तरीय जांच कराई जाए.

(6) घायलों का उचित इलाज कराया जाए.

(7) गांव से भगाए गये सभी लोगों को राहत शिविरों में रखा जाए तथा तमाम जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाए. दबावपूर्वक लोगों को गांव में नहीं छोड़ा जाए.

जांच टीम इस बाबत एक ज्ञापन छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री, गृहमंत्री, पुलिस महानिदेशक व राज्य अल्पसंख्यक आयोग को सौंपेगी. इसके साथ ही उपरोक्त मांगों को लेकर नागरिक प्रतिवाद भी खड़ा किया जायेगा.