लोकसभा में 30 जुलाई 2024 को केंद्रीय बजट पर चर्चा में बोलते हुए आरा से भाकपा(माले) सांसद का. सुदामा प्रसाद ने भरतीय रेलवे की दुर्दशा की जीवंत तस्वीर पेश करते हुए यात्रियों, रेल कर्मियों और देश के बेरोजगारों के हित को मजबूती से सामने लाया.
उन्होंने कहा कि,
रेलवे का अलग बजट पेश किया जाना चाहिए.
रेलवे के अंधाधुंध निजीकरण पर रोक लगाया जाना चाहिए.
पूंजीपतियों की दिलचस्पी मुनाफे में है, रेल यात्रियों की सुरक्षा और उनकी सुविधा बढ़ाने में नहीं है.
ट्रेन में जनरल बोगियों की संख्या कम की जा रही है. इसके चलते जनरल बोगियों में भेड़-बकरियों की तरह लोग यात्रा कर रहे हैं.
रेल बजट बढ़ाने के बड़े बड़े दावे किये जाते हैं. लेकिन उस बढ़े हुए बजट का क्या फायदा जब आम यात्रा भेड़ बकरियों की तरह यात्रा करें?.
रेल में जनरल बोगियों बढ़ाई जाए और यात्रियों की सुरक्षा के उपाय किए जाएं, सुविधाएं बढ़ाई जाए
रेलवे में तीन-तीन महीने का टिकट वेटिंग मिलता है लेकिन ब्रोकर को सुबह कहिये तो शाम का टिकट कंफर्म करवा देगा. ट्रेन में चढ़ने के बाद देखते हैं कि सीट खाली है, हज़ार-पांच सौ रुपया दीजिये सीट भी मिल जायेगी. इस पर सख्ती से ध्यान देने की जरूरत है.
रेलवे लाइफलाइन है तो किसकी इलीट क्लास की या आम आदमी की? रेलवे को आम आदमी की लाइफलाइन बनाया जाए.
रेलवे के निजीकरण पर रोक लगेगी तभी नौकरियां भी मिलेगी. रेलवे में जो रिक्त पद हैं, उनको सरकार जल्दी से जल्दी भरे.
सीनियर सिटीजन को मिलने वाली 30 प्रतिशत छूट बहाल की जाए.
ट्रैक मेंटेनर की 4200 ग्रेड पे तक पदोन्नति हो और गेट मैन की ड्यूटी आठ घंटे की हो.
कोरोना काल में बंद ट्रेनें या खत्म किये गए स्टॉपेज फिर से शुरू हों.
आरा में प्रस्तावित फुटओवर जल्दी से जल्दी बने.
आरा-सासाराम रेल लाइन का दोहरीकरण किया जाए.
आरा में राजधानी एक्सप्रेस का स्टॉपेज हो.
आरा-भभुआ रोड से मुंडेश्वरी स्थान तक रेलवे लाइन का सर्वे हो चुका है, उसे शीघ्र बनवाया जाए.