जन विरोधी, संविधान विरोधी, क्रूर नए आपराधिक कानून (2023) के खिलाफ जंतर-मंतर, नई दिल्ली में वकीलों के विरोध प्रदर्शन की एकजुटता में 29 जुलाई 2024 को पटना, नालंदा और आरा में भी कार्यक्रम आयोजित हुए. पटना में वकीलों ने प्रदर्शन किया और साथ ही, बिहार राज्य बार काउंसिल, पटना के अध्यक्ष को उक्त क्रूर कानूनों को निरस्त करने के संबंध में एक ज्ञापन भी सौंपा. आइलाज की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मंजू शर्मा, राज्य संयोजन समिति के सदस्य राजाराम राय, मणिलाल, रामजीवन प्रसाद सिंह, नीरज कुमार, शंभू शरण, इंद्रजीत कुमार, अशोक कुमार यादव, संजय मंडल और पटना उच्च न्यायालय के अन्य अधिवक्ता इस एकजुटता विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए.
आइलाज की नालंदा जिला शाखा द्वारा अधिवक्ता संघ हिलसा के प्रांगण में धरना दिया गया. धरना को सम्बोधित करते हुए अधिवक्ता कृष्णा प्रसाद ने कहा कि भारत सरकार द्वारा 1 जुलाई 2024 से जो तीन अपराधिक कानून लागू किया गया है, वह लोकतंत्र के लिए खतरा है. धरना में अवधेश कुमार, विश्वनाथ शरण सिन्हा, मणिशंकर झा, धर्मवीर कुमार, श्यामनंदन प्रसाद, कुमार चंद्रकांत, श्यामजी प्रसाद और मनोज कुमार सहित दर्जनों अधिवक्ताओं ने भाग लिया.
आइलाज, भोजपुर द्वारा सिविल कोर्ट, आरा के गेट पर प्रदर्शन किया गया. आइलाज केंद्रीय कमेटी के सदस्य अधिवक्ता अमित कुमार गुप्ता उर्फ बंटी ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार के द्वारा भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम में बदलाव बाबा भीमराव अंबेडकर के संविधान और लोकतंत्र पर हमला है. हम मांग करते हैं कि तीनों अपराधिक कानूनों को तत्काल वापस लिया जाए. प्रदर्शन में अधिवक्ता कामेश्वर यादव, निर्मल कुमार राम, वरिष्ठ अधिवक्ता सुरेंद्र राय, ज्योति कलश, मो. मुख्तार, सुभाष यादव, श्याम बिहारी चौधरी, कामता यादव, दशरथ साहु आदि दर्जनों अधिवक्ता शामिल थे.