प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से नाबालिग छात्रा खुशी पिछले कई महीनों से लापता है. खुशी पाल (उम्र 17 साल) राघवराम गर्ल्स इंटर कालेज में कक्ष 11 की छात्रा है और ग्राम दनियालपुर, थाना शिवपुर की निवासी है. वह 12 अप्रैल 2024 से लापता हैं. बहुत हीला-हवाली के बाद 22 अप्रैल 2024 को इस घटना की प्राथमिकी दर्ज की गई थी. लेकिन, पुलिस आज तक उसे खोज नहीं पाई.
26 जुलाई को दखल और महिला संगठन ऐपवा के संयुक्त प्रतिनिधि मंडल इस संबंध में जिलाधिकारी और पुलिस कमिश्नर से मुलाकात की.
खुशी की मां अभिलाषा ने बताया कि तीन माह से ऊपर हो चुके है लेकिन अभी तक पुलिस इस बारे में जांच नहीं कर सकी है उन्होंने बताया, ‘खुशी 12 अप्रैल को सुबह 5 बजे शौच के लिए निकली लेकिन उसके बाद वापस नहीं आई. उन्होंने कहा की आज तक खुशी पाल का पुलिस कुछ भी पता नहीं लगा पाई है.’
महिला प्रतिनिधिमंडल ने जब जिलाधिकारी और कमिश्नर से मिलने का कार्यकम बनाया तो इस दबाव में पिछली रात शिवपुर थाने की पुलिस जांच-पड़ताल की खानापूरी करने पहुंची.
ऐपवा राज्य सचिव कुसुम वर्मा ने कहा कि प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में घटना के तीन माह से ऊपर होने के बावजूद ‘खुशी’ का न मिलना क्षेत्र में महिला सुरक्षा पर पुलिस प्रशासन की कार्यशैली पर गंभीर प्रश्न चिन्ह लगाता है. उन्होंने कहा कि तय समय सीमा में यदि खुशी का पता नहीं लगता है तो हम महिलाएं न्याय के लिए सड़क पर आने के लिए मजबूर हो जाएंगी.
दखल से इंदु पांडे ने कहा कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के राज में बेटियों का लापता होना और उनका कोई सुराख न मिलना पुलिस की असंवेदनशीलता को दर्शाता है.
प्रशासनिक अधिकारियों मिलने गये प्रतिनिधिमंडल में दखल से नीति, शालिनी और दीक्षा और ऐपवा से विभा वाही और डा. नूर फातिमा के साथ ही अमरनाथ राजभर व संगीता धनपद शामिल थे. उनके साथ खुशी पाल की माता अभिलाषा पाल और पिता संतोष पाल भी शामिल थे. ज्ञापन जिलाधिकारी और संयुक्त कमिश्नर को दिया गया.
जिलाधिकारी ने खुशी पाल मामले को संज्ञान में लेते हुए पुलिस कमिश्नर को सौंप दिया. संयुक्त पुलिस कमिश्नर ने 15 दिन के अंदर कार्रवाई करने के आदेश दिए.
लापता खुशी को अभी भी क्यों नहीं खोज पा रही है पुलिस? इस सवाल पर महिला संगठनों ने 2 अगस्त को पीएमओ कार्यालय को पत्र भेजा और साथ ही बनारस कैंट के सीओ विदुष सक्सेना से मुलाकात की.
महिला संगठनों के प्रतिनिधियों ने कहा कि तीन माह हो चुके है खुशी को खोजने के मामले में शिवपुर थाने की पुलिस विफल साबित हुई है. इस मामले में अबतक कोई कारगर जांच-पड़ताल भी अभी तक नहीं हुई है. महज शिवपुर थाना प्रभारी का निलंबन ही हुआ है.
खुशी के न्याय के लिए अब आंदोलन ही अंतिम विकल्प बचा है. बनारस के तमाम न्यायपसंद लोग लापता खुशी मामले में शीघ्र आंदोलन में शामिल होंगे.