वर्ष - 33
अंक - 32
03-08-2024

(31 जुलाई - 1 अगस्त, दिल्ली)

मार्क्सिस्ट को-ऑर्डिनेशन का भाकपा(माले) में विलय

कामरेड ए. के. राय एवम अन्य नेताओं द्वारा 1972 में स्थापित मार्क्सिस्ट को-ऑर्डिनेशन की केंद्रीय कमेटी के भाकपा(माले) में विलय के निर्णय का भाकपा(माले) की केंद्रीय कमेटी का पोलित ब्यूरो हार्दिक स्वागत करता है. कामरेड ए. के. राय के नेतृत्व में मार्क्सिस्ट को-ऑर्डिनेशन का झारखंड आंदोलन और भारत के कोयला उद्योग के राष्ट्रीयकरण के संघर्ष में प्रेरणास्पद योगदान रहा है. झारखंड में अन्याय, लूट और दमन के खिलाफ संघर्षों की गौरवशाली विरासत वाली कम्युनिस्ट आंदोलन की इस महत्वपूर्ण धारा का भाकपा(माले) के साथ एकीकरण आज के समय में महत्वपूर्ण है। इससे मोदी सरकार और संघ परिवार के फासीवादी हमलों व कॉरपोरेट लूट के विरुद्ध चल रहे संघर्षों में झारखंड के मजदूर वर्ग, दलित व आदिवासी-मूलवासी समुदायों एवम झारखंड के शोषित-वंचितों के अधिकारों के लिए प्रतिबद्ध झारखंड की संघर्षशील ताकतों को नई ऊर्जा मिलेगी. एकीकरण की प्रक्रिया को संपन्न करने के लिए पोलित ब्यूरो आवश्यक कदम उठाने और मार्क्सिस्ट को-ऑर्डिनेशन के सभी सदस्यों को पूरे सम्मान के साथ पार्टी में सम्मिलित करने का झारखंड राज्य कमेटी का आह्वान करता है.

सुप्रीम कोर्ट द्वारा एससी आरक्षण के कोटे के भीतर कोटा देने के फैसले पर

सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है कि अनुसूचित जातियों (एससी) के लिए आरक्षण के भीतर अलग-अलग श्रेणियां होना ठीक है, जो वास्तविक आंकड़ों पर आधारित हों और यह दर्शाये कि वे कितने हाशिए पर हैं. इसका मतलब है कि हमें विभिन्न जातियों की जनगणना करने की जरूरत है ताकि यह सटीक रूप से पता लगाया जा सके कि वे कितने वंचित हैं. जातीय जनगणना करना और फिर उसके आधार पर आरक्षण कोटा निर्धारित करना सभी हाशिए पर पड़े समूहों के लिए उचित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करेगा. यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण बात है जिसे अभी करने की तत्काल जरूरत है.

इसके अलावा, इस फैसले ने राज्य सरकारों को उप-कोटा बनाने का अधिकार दिया है और इस मुकदमे के दायरे से बाहर जा कर अनुसूचित जाति आरक्षण के भीतर 'क्रीमी लेयर' की अवधारणा के उपयोग का सुझाव दे दिया है. यह प्रस्ताव भी पेश किया गया है कि आरक्षण केवल एक पीढ़ी तक सीमित होना चाहिए.

एक सकारात्मक कार्रवाई के बतौर एससी आरक्षण का उद्देश्य भारत की दलित-आदिवासी आबादी द्वारा सामना किए जा रहे सामाजिक बहिष्कार और हाशिए पर रहने की निरंतर वास्तविकता का मुकाबला करना और उसे कम करना है. यह दावा करना गलत है कि यह भेदभाव केवल ग्रामीण क्षेत्रों में प्रचलित है और शहरीकरण इस भेदभाव को कम करता है. यह भारतीय वास्तविकता का बिलकुल गलत चित्रण है, क्योंकि यहां एससी छात्रों और विद्वानों को प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षा के अन्य केंद्रों जैसे आईआईटी, आईआईएम और मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेजों में भी उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है.

सबसे वंचित लोगों को अधिक न्याय दिलाने के बहाने आरक्षण के संवैधानिक आधार को कमजोर करना स्वीकार्य नहीं है.

ऐसे दौर में जब आरक्षण प्रणाली, जिसका उद्देश्य सामाजिक न्याय और समानता को बढ़ावा देना है, को चुनौती दी जा रही है और यहां तक कि संविधान पर भी लगातार हमले हो रहे हैं, तब हमें समाज के सभी वंचित वर्गों के बीच और भी अधिक एकता और एकजुटता की जरूरत है. हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से उत्पीड़ित और वंचितों के बीच और अधिक विभाजन और प्रतिद्वंद्विता न बढ़े, जिससे अपने सामाजिक और आर्थिक प्रभुत्व को बनाए रखने के लिए ताकतवर और विशेषाधिकार प्राप्त लोगों की फूट डालो और राज करो की रणनीति को मजबूती मिल जाय.

लोकसभा 2024 चुनाव में कुल पड़े एवं गिने गये वोटों की संख्या में पाये गये अन्तर पर आयी रिपोर्ट

वोट फॉर डेमोक्रेसी ने 22 जुलाई को 'कन्डक्ट ऑफ़ लोकसभा इलेक्शंस 2024' रिपोर्ट प्रकाशित की है. इसमें लोकसभा चुनाव 2024 में कुल डाले गये एवं कुल गिने गये मतों की संख्याओं में अंतर पाया गया है. रिपोर्ट कहती है कि सभी लोकसभा क्षेत्रों में कुल मिला कर 4,65,46,885 वोटों का अंतर है. रिपोर्ट में यह भी आशंका व्यक्त की गई है कि इस गड़बड़ी के कारण भाजपा/एनडीए को 15 राज्यों की 79 सीटों पर फायदा हो सकता है, जहां जीत का अंतर प्रति लोकसभा क्षेत्र में पड़े अतिरिक्त वोटों की औसत संख्या से कम था. केन्द्रीय चुनाव आयोग को इस पर स्पष्टीकरण देना चाहिए, उसकी चुप्पी से चुनावों में गड़बड़ी को लेकर बन रही आशंकाओं को और ज्यादा बल मिलेगा.

पश्चिम बंगाल को विभाजित करने के भाजपा नेताओं के बयानों पर

पिछले दिनों कई भाजपा नेताओं ने पश्चिम बंगाल को विभाजित करने के संबंध में साजिशाना बयानबाजी की है. ऐसे एक बयान में पश्चिम बंगाल भाजपा अध्यक्ष और सांसद सुकांत मजूमदार ने उत्तरी बंगाल को उत्तर—पूर्व भारत के साथ जोड़ देने की बात कही है. एक अन्य भाजपा सांसद अनानत महाराज ने कूचबिहार को लोअर असम के जिलों से जोड़ कर अलग ग्रेटर कूचबिहार राज्य बनाने का प्रस्ताव दिया है. कुरसियोंग के भाजपा सांसद विष्णु प्रसाद शर्मा ने पूरे उत्तर बंगाल के इलाकों को जोड़ कर पृथक गोरखालैण्ड केन्द्र शासित राज्य की मांग की है. वहीं झारखण्ड से भाजपा सांसद निशीकांत दुबे ने उत्तर बंगाल के मालदा, मुर्शिदाबाद आदि जिलों को बिहार के किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, अररिया आदि सीमांचल जिलों से मिला कर एक पृथक राज्य या केन्द्र शासित प्रदेश बनाने की वकालत की है. हमें मोदी सरकार की इस बांटो और राज करो वाली नीति को शिकस्त देनी होगी और अति—केन्द्रीकृत केन्द्र की बाहरी चौकी के रूप में राज्यों को  कमजोर बना देने की साजिशों से भारत के संघीय ढांचे को कमजोर करने वाली ऐसी कोशिशों को रोकना होगा.

दिल्ली के कोचिंग सेन्टर में बरसाती जलभराव से हुई त्रासदी

दिल्ली में राउ आईएएस इन्स्टीट्यूट की बेसमेण्ट स्थित लाइब्रेरी में जलभराव से 27 जुलाई को तीन यूपीएससी की तैयारी करने वाले छात्रों की मौत हो गई. इस घटना ने बगैर किसी जवाबदेही और सुरक्षा मानकों के चलने वाली कोचिंग इण्डस्ट्री के निकम्मेपन को उजागर कर दिया है. छात्र पुलिस पर भी त्रासदी की भयावहता और परिमाण को छुपाने का आरोप लगा रहे हैं. मोदी सरकार द्वारा दिल्ली सरकार के अधिकार क्षेत्रों पर एक के बाद एक हमले और मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को बदले की भावना से गिरफ्तार करवाने ने दिल्ली को भारी अराजकता में धकेल दिया है. मोदी सरकार की इन गन्दी राजनीतिक चालबाजियों की दिल्ली के नागरिकों को भारी कीमत चुकानी पड़ रही है. राजेन्द्र नगर में हुई इस त्रासदी की पूरी जिम्मेदारी दिल्ली के लेफ्टीनेण्ट गवर्नर और केन्द्रीय गृह मंत्री के गठजोड़ को लेनी होगी, इन्हें इस घटना पर एक विस्तृत रिपोर्ट जारी करनी चाहिए और राउ इन्स्टीट्यूट के मालिक एवं इस आपराधिक लापरवाही में संलिप्त अन्य सभी को तुरंत गिरफ्तार करना चाहिए. दिल्ली में उन सभी आवासीय इलाकों जहां छात्र रहते हैं, का सेफ्टी ऑडिट होना चाहिए और आवश्यक सुरक्षा मानकों, पर्याप्त चेकिंग और संबंधित ​अधिकारियों द्वारा प्रमाणन के नियमों का पूरी तरह से पालन होना चाहिए.

बजट 2024

मोदी सरकार की तीसरी पारी के पहले पूर्ण बजट ने इस शासन के मध्यमवर्गीय समर्थन आधार के और भी बड़े हिस्से को काफी हद तक भ्रममुक्त और आक्रोशित कर दिया है. यह बजट ऐसे चुनाव के बाद आया है जिसमें आर्थिक संकट की लंबी छाया स्पष्ट दिख रही थी और शासक पर्टी ने अपना बहुमत खो दिया है. इसीलिए चुनाव बाद आये बजट से यह आशा नहीं थी कि वह देश में व्याप्त चिंताओं के प्रति खामोश रहेगा. लेकिन बजट में आसमान छूती कीमतों, खासकर खाद्य पदार्थों की बढ़ते मूल्यों के बारे में कुछ भी नहीं कहा गया है. आर्थिक सर्वेक्षण ने भी स्पष्ट किया है कि टैक्स कटौती से मिले भारी मुनाफे के बावजूद कॉरपोरेट सेक्टर नयी नौकरियां सृजित नहीं कर रहा है. इसलिये सरकार को रोजगार सृजन के मामले में आगे आना होगा और साथ ही कॉरपोरेट सेक्टर को उसके प्रदर्शन के लिए जवाबदेह बनाना होगा. लेकिन बजट की दिशा इसके अनुरूप नहीं है.

भारी कर्ज में फंसे किसान और बेरोजगार नौजवान 2024 के जनादेश के पीछे मुख्य सामाजिक शक्तियां रही हैं. बजट में इन दोनों शक्तियों के साथ एक बार फिर गद्दारी की गई है. किसान आन्दोलन को आश्वासन देने के बावजूद सरकार स्वामीनाथन आयोग की अनुशंसा के अनुसार एमएसपी की कानूनी गारंटी देने की किसानों की चिरलंबित मांग से अभी भी कतरा रही है. किसानों की जारी आत्महत्याओं के बावजूद कर्ज से राहत देने का प्रश्न भी अनुत्तरित है. नीति-पुननिर्धारण और दिशा-सुधार के बगैर आर्थिक संकट के कतिपय लक्षणों की आंशिक स्वीकृति से कुछ नहीं होने वाला है. क्रोनी पूंजीवाद से साफ तौर पर नाता तोड़े बगैर भारत के करोड़ों मेहनतकश अवाम को कोई आर्थिक न्याय नहीं दिलाया जा सकता है.

मोदी सरकार उल्टी दिशा में चल रही है, कि गरीबों और मध्य वर्ग पर टैक्स बढ़ा कर राजस्व बढ़ाया जाय, और सामाजिक क्षेत्र एवं जनकल्याण पर खर्च में कटौती कर बजट घाटे को नियंत्रण में रखा जाये. मोदी परिवार का 5000 करोड़ का विवाह समारोह मोदी के भारत में सालाना बजट की गरीबों और मिडिल क्लास की कीमत पर अतिधनाड्यों के अंतहीन ​उत्सव वाली असल तस्वीर पेश कर रहा है. इस कीचड़ से जनता को बाहर निकालने के लिए भारत को तत्काल दिशा-सुधार की जरूरत है.

वायनाड में त्रासद भूस्खलन

हम भूस्खलन और इसके कारण हुई मौतों से प्रभावित वायनाड की जनता के दुख में शामिल हैं. वहां अभी तक 185 से ज्यादा जानें जा चुकी हैं और सैकड़ों मलबे में दबे हुए हैं. हजारों बेघर हो चुके हैं, उनकी जिन्दगी भर की कमाई बाढ़ में बह गई है. इस हृदय विदारक आपदा से हम सभी दुखी हैं. भाकपा(माले) इस विपत्ति के समय वायनाड और केरल की जनता के साथ एकजुट है.

हमारी मांग है कि वायनाड भूस्खलन त्रासदी को राष्ट्रीय आपदा घोषित किया जाय और मोदी की केन्द्र सरकार वहां बिना देरी किये केन्द्रीय सहायता भेजे. हमारी राज्य एवं केन्द्र की संबंधित ऐजेन्सियों से भी अपील है कि ऐसी त्रासदियों और भूस्खलन के पीछे के कारणों का अध्ययन एवं अन्वेषण कर इस क्षेत्र में जान-माल की हानि को रोकने के लिए उपयुक्त रणनीति बनायें.

बंग्लादेश के हालात पर

भाकपा(माले) पोलित ब्यूरो छात्रों और नागरिकों के लोकप्रिय जनउभार का बंग्लोदश की शेख हसीना सरकार द्वारा भारी दमन की कड़ी निन्दा करता है. वहां आरक्षण कोटा में सुधार की छात्रों की मांग का शांतिपूर्ण वार्ता के जरिए हल निकालने की जगह आवामी लीग सरकार ने राज्य और राज्य प्रायोजित निजी मिलीशिया के माध्यम से आन्दोलन के चौतरफा दमन का रास्ता चुना जिसके कारण भारी संख्या में जानें जा चुकी हैं. पोलित ब्यूरो वहां की संघर्षरत जनता और प्रगतिशील धर्मनिपेक्ष लोकतांत्रिक ताकतों के न्याय एवं लोकतंत्र के लिए संघर्ष के साथ अपनी एकजुटता व्यक्त करता है और हसीना सरकार से दमन रोकने और दोषियों को दण्डित करने का आह्वान करता है. हम आशा करते हैं कि बांग्लादेश लिबरेशन युद्ध की धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक विरासत अशांति व विक्षोभ के इस समय में सही समाधान तक पहुंचने में वहां की जनता का मार्गदर्शन करेगी.

फिलिस्तीन के हालात पर

फिलिस्तीन के ग़ाजा और वेस्ट बैंक में इजरायल का अमेरिका समर्थित नरसंहारी युद्ध अभी तक चालीस हजार से ज्यादा जानें ले चुका है, जिसमें 16,314 बच्चे भी शामिल हैं. ग़ाजा में व्यापक बमबारी से ही तबाही नहीं हो रही बल्कि वहां इजरायली सेना नागरिकों को जबरन भूखा रख कर भी मार रही है. मदद के लिए पहु्ंचाये जा रहे सामानों की गाड़ियों पर हमला कर इजरायल ने वहां भयानक मानवीय संकट और मेडिकल सुविधाओं का अभाव बना दिया है. वहीं इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू जिसके खिलाफ उसके देश में भारी पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, सत्ता पर अपनी पकड़ बनाये रखने की कोशिश में उस पूरे क्षेत्र में युद्ध को फैलाना चाहता है. हमास के पोलित ब्यूरो प्रमुख इस्माइल हानिये की ईरान में की गई हत्या, लेबनान में लक्षित कर कराई गई हत्यायें और युद्धबंदी एवं बंधकों की रिहाई के समझौते के रास्ते में नेतन्याहू शासन द्वारा खड़ी की जा रही अड़चनों के चलते उस पूरे क्षेत्र में युद्ध फैलने का खतरा बन गया है.

भाकपा(माले) फिलिस्तीन की जनता और उसके मुक्ति संघर्ष के साथ एकजुटता व्यक्त करते हुए गाजा पर इजरायली युद्ध को तत्काल रोकने की मांग करती है.

फ्रांस में सम्पन्न चुनाव

फ्रांस में हाल ही में सम्पन्न चुनावों में फासीवादियों को सत्ता में आने से रोकने के लिए भाकपा(माले) वहां की जनता को बधाई देती है. जिस फ्रांस ने 1789 में ही स्वतंत्रता, बराबरी और भाईचारे का बिगुल फूंका और जहां से 1871 में ऐतिहासिक पेरिस कम्यून के माध्यम से समाजवाद की पहली झलक दुनियां को दिखी, वह एक बार फिर वामपंथ की केन्द्रीय भूमिका के साथ फासीवाद विरोधी प्रतिरोध के प्रमुख केन्द्र के रूप में उभर रहा है.

वेनेजुएला में सम्पन्न चुनाव

भाकपा(माले) पोलित ब्यूरो 28 जुलाई को सम्पन्न राष्ट्रपति चुनाव के बाद वेनेजुएला में अमेरिका समर्थित अतिदक्षिणपंथी ताकतों द्वारा की जा रही हिंसा के बरखिलाफ समाजवादी बोलिवारियन क्रांति को बचाने के लिए संघर्षरत वेनेजुएला की जनता के साथ पूर्ण एकजुटता व्यक्त करता है. कॉरपोरेट परस्त, साम्राज्यवाद परस्त अंतर्राष्ट्रीय मीडिया और अतिदक्षिणपंथी विपक्ष ने चुनाव परिणाम आने से पहले ही वहां के जनादेश को नकारना शुरू कर बोलिवारियन लोकतांत्रिक व्यवस्था तथा राष्ट्रपति निकोलस मादुरो की हार की घोषणा कर दी थी, ताकि चुनाव बाद हिंसा व अराजकता फैलाने के लिए पर्याप्त माहौल बन जाय. वहां सम्पन्न राष्ट्रपति चुनावों ने अमेरिकी साम्राज्यवाद के प्रबल आक्रमण, आर्थिक घेराबंदी और उस देश एवं उसकी बोलिवारियन क्रांतिकारी विरासत को अस्थिर बनाने वाले नव-मोनरो सिद्धांत के खिलाफ वेने​जुएला की जनता के जनवादी जनादेश को अभिव्यक्त किया है.