वर्ष - 33
अंक - 30
20-07-2024

पिछले शनिवार को, जब पूरी दुनिया की मीडिया पूर्व अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की हत्या की कोशिश की सुर्खियों से भरी थी और चिल्ला-चिल्ला कर एलान कर रही थी कि लोकतंत्र में हिंसा के लिए कोई जगह नहीं है, ठीक उसी दिन इजरायल ने अमेरिका निर्मित 500 पौंड के बमों से सेंट्रल गाजा के नागरिकों के लिए सुरक्षित घोषित अल-मवासी इलाके पर हवाई हमले किए, जिसमें 100 से ज्यादा फिलिस्तीनी मारे गए और कम से कम 300 घायल हो गए. पर इजरायल द्वारा अकल्पनीय बर्बर उपनिवेशवादी नरसंहारी हिंसा को आत्मरक्षा के नाम पर जायज ठहराया जा रहा है.

न्यूयाॅर्क टाइम्स सहित पश्चिमी मीडिया की संपादकीय हेडलाइन केे जरिये डोनाल्ड ट्रंप पर हमला को अमेरिका के लिए विरोधाभासी और अमेरिकन भावना के खिलाफ बताना न केवल भ्रामक है बल्कि अमेरिका जनित निरंतर नरसंहारों के साथ गाजा के लोगों के खिलाफ इजरायल द्वारा किए जा रहे नरसंहार को अनदेखा करता है. अमेरिकन और यूरोपियन राजनेताओं का इस घटना पर दिया गया बयान घोर पाखण्ड से भरा है, क्योंकि  जिस हिंसा की वे अमेरिकी धरती पर निंदा करते हैं, वही हिंसा अमेरिका बाकी दुनिया में निर्यात करता है. अमेरिकियों द्वारा वैश्विक स्तर पर की जाने वाली हिंसा के प्रति रोगात्मक अंधता आश्चर्यजनक है. ट्रम्प पर हमले की निंदा करने वाले वही राजनेता और संपादकीय बोर्ड हैं जो अमेरिका द्वारा आपूर्ति किए गए हथियारों से लैस इजरायली सेना के हाथों हजारों फिलिस्तीनियों के जनसंहार को आत्मरक्षा के नाम पर जायज करार देते  हैं और उसका जश्न भी मनाते हैं.

इजरायल द्वारा जारी गाजा जनसंहार के नौ महीने बीत चुके हैं, और प्रत्येक दिन इजरायल द्वारा फिलिस्तीनियों का भयावह सन्नाटे से भरा जनसंहार किया जा रहा है जिसे पूरी दुनिया देख रही है. गाजा, दुनिया की सबसे बड़ी जेल, बूचड़खाने में तब्दील हो गयी है. नौ महीने से दिन-रात बमबारी, फास्फोरस बम, मोर्टार, मशीनगनों के गोले इजरायली सेना द्वारा गाजा की नागरिक आबादी के खिलाफ हवा, समुद्र और जमीन से दागे जा रहे हैं.

इजरायल द्वारा गाजा नरसंहार अमेरिका के पूर्ण समर्थन से किया जा रहा है. पिछले हफ्ते सैकड़ों फिलिस्तीनी निर्धारित सुरक्षित घोषित इलाकों में मारे गए क्योंकि इजरायली सेना जानबूझकर उन जगहों पर हमला कर रही है जहां उसने फिलिस्तीनियों को भागने पर मजबूर किया है. गाजा में कोई भी जगह इजरायली बमों से सुरक्षित नहीं है.

पिछले बुधवार को, इजरायली सरकार ने गाजा शहर के पूरे इलाके को खाली करने के आदेश जारी किए. निवासियों को दक्षिण की ओर जाने का आदेश दिया गया. ज्यादातर लोगों के लिए, यह लगातार विस्थापन की कड़ी में फिर से विस्थापन है. 20 लाख से अधिक फिलिस्तीनी विस्थापित हो चुके हैं (आबादी का 85%) और कई लोगों को कई बार विस्थापित होने के लिए मजबूर होना पड़ा है. इस नोटिस को जारी करने के सिर्फ दो दिन बाद इजरायली सेना ने उन सुरक्षित क्षेत्रों पर बमबारी शुरू कर दी जिन्हें उन्होंने सुरक्षित बताया था. पिछले आठ दिनों में, इजरायली सेना ने पांच स्कूलों पर बमबारी की है जहां विस्थापित फिलिस्तीनियों ने शरण ली थी. इसमें सैकड़ों लोग मारे गए.

भले ही गाजा में फिलिस्तीनियों का अमेरिका समर्थित इजरायली नरसंहार कल बंद हो जाए, लेकिन गाजा में मरने वालों की संख्या में वृद्धि होगी. इतिहास ने बार-बार दिखाया है कि नरसंहार के दौरान, अपराधी न केवल प्रत्यक्ष हिंसा से हत्या करते हैं, बल्कि जीवन को अमानवीय बनाने के लिए परिस्थितियां भी बनाते हैं. ठीक यही इजरायली सेना अभी गाजा में फिलिस्तीनियों के साथ कर रही है. इजरायली सरकार अकाल, कुपोषण, स्वास्थ्य सेवा को ध्वस्त कर गाजा में बमबारी से बचे लोगों के लिए भयानक स्थिति पैदा कर रही है. ब्रिटिश मेडिकल जर्नल लैंसेट की नई रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि गाजा में मरने वालों की वास्तविक संख्या अंततः 186,000 या उससे भी अधिक हो सकती है जो गाजा की आबादी का लगभग 8% है. अगर जबरन भुखमरी और स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित करना जारी रहा, तो मरने वालों की संख्या इससे भी ज्यादा हो सकती है.

अभी पिछले हफ्ते अमेरिकी सरकार ने इजरायली सेना को 500 पाउंड के बम भेजना फिर से शुरू कर दिया है और आगामी 24 जुलाई को दुनिया की सबसे बड़ी अदालत द्वारा घोषित युद्ध अपराधी नेतन्याहू का अमेरिकन संसद में राष्ट्रपति बिडेन द्वारा स्वागत किया जा रहा है. बिडेन यह कह रहे हैं कि ‘हम हिंसा को कायदा नहीं बना सकते’, जबकि यह उनका प्रशासन ही है जो बिना शर्त इजरायल को  बम मुहैया करा रहा है जिससे रोजाना गाजा में नरसंहार को अंजाम दिया जा रहा है और उन्हें अपंग बनाया जा रहा  है. 20 लाख की आबादी में करीब 8% फिलिस्तीनियों का खात्मा कर देने वाले गाजा जनसंहार का हर किस्म से समर्थन कर अमरीकी राष्ट्रपति बिडेन इस समय दुनिया में सबसे घातक जनसंहार को सक्षम कर रहे हैं.

बेशक, अमेरिका का निर्माण राजनीतिक हिंसा के ज़रिए हुआ था – स्थानीय रेड इंडियंस के नरसंहार और काले गुलामों के चुराए गए श्रम के जरिए. और बेशक इस देश ने दुनिया भर में शासन परिवर्तन की राजनीतिक हिंसा को भड़काकर अपनी साम्राज्यवादी ताकत का प्रभाव का सक्रिय रूप से विस्तार किया. आज अमेरिकन राष्ट्रपति की सरपरस्ती में इजरायल द्वारा फिलस्तीनियों के जातीय सफाया को अंजाम दिया जा रहा है. यह भूलें नही कि यह मानवता के खिलाफ अपराध है. कृपया गाजा के बारे में अपनी आवाज उठाना बंद न करें. गाजा नरसंहार को आम न होने दें. यह विनाश है जिसकी भयावहता को व्यक्त करने के लिए कोई शब्द नहीं बचा है. इस गाजा नरसंहार को रोकने की जवाबदेही सबकी है. पुनर्निर्माण के लिए और मुक्ति के लिए दृढ़ रहने और आगे बढ़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं होता. यह उम्मीद की लड़ाई है, और यह उम्मीद ही वह आखिरी चीज है जो हमारे पास है.

– मनमोहन कुमार