वर्ष - 32
अंक - 21
20-05-2023

आदिवासियों की जल-जंगल-जमीन पर कारपोरेट लूट एवं राज्य दमन के खिलाफ आदिवासी संघर्ष मोर्चा के देशव्यापी प्रतिरोध के आह्नान के तहत विगत 6 मई 2023 को झारखंड के कई जगहों में प्रतिरोध मार्च निकाला गया.

संताल परगना के कुण्डहित शहर के मेन रोड में आदिवासी संघर्ष मोर्चा के प्रखंड सचिव सर्वेश्वर टुडू के नेतृत्व में  तपन हंसदा, आनन्द मुर्मु, सावित्री किस्कू, सुनीता हंसदा, सुनील मुर्मु, फूलो टुडू, सोमलाल हेम्ब्रम, आशा मिर्धा समेत अन्य दर्जनों लोगों ने एक प्रतिवाद मार्च निकाल कर सभा की और राष्ट्रपति के नाम मांग पत्र भेजा.

राजधानी रांची में आदिवासी संघर्ष मोर्चा के राज्य संयोजक जगरनाथ उरांव, शिवशंकर उरांव, अलमा खलखो, रीता लिंडा, महावीर मुंडा, सुदामा खलखो के नेतृत्व में परन मुंडा, राजेश लिंडा, मेवा उरांव, अनिल बांडों, बबीता देवी, ढोरे उरांव, दीपक बांडों, सुखदेव मुंडा समेत अन्य दर्जनों लोगों ने राज्यपाल भवन के समक्ष झंडा-बैनर के साथ एकत्रित होकर नारे लगाए गए और राज्यपाल के माध्यम से राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन भेजा. फिर वहां से प्रतिवाद मार्च करते हुए अलबर्ट एक्का चौक पहुंचकर सभा आयोजित की गई. सभा को संबोधित करते हुए जगरनाथ उरांव ने कहा कि आदिवासियों का प्रांत झारखंड है लेकिन उनका सबसे ज्यादा दोहन और दमन इसी राज्य में हो रहा है. कारपोरेट घरानों को जल, जंगल, जमीन, व खनिज समेत सभी प्राकृतिक संसाधनों की लूट की युली छूट मिली हुई है. राजधानी रांची में भी हर रोज आदिवासियों की जमीन लूटी जा रही है और वे पलायन करने को मजबूर हो रहे हैं.

रामगढ़ व हजारीबाग में परचा वितरण किया गया और कई गांवों में बैठक आयोजित की गई. 6 मई 2023 को आदिवासी संघर्ष मोर्चा रामगढ़-हजारीबाग के नेता नरेश बडाईक व सोहराय किस्कू के नेतृत्व में रामगढ़ शहर के मेन रोड में एक प्रतिरोध मार्च निकाला गया जिसमें मनाराम हेम्ब्रम, जुनू किस्कू, चंद्रदेव सोरेन, गोपाल टुडू, धनीराम टुडू, रामबृक्ष बेदिया, छोटेलाल करमाली, भुवनेश्वर बेदिया, नागेश्वर मुंडा व हेमंत मुंडा समेत अन्य दर्जनों आदिवासियों ने अपने हाथों में तीर-धनुष व झंडा-बैनर के साथ आक्रोशपूर्ण नारा लगाते हुए मार्च निकाल कर सुभाष चौक के पास एक सभा की. सभा को संबोधित करते हुए आदिवासी संघर्ष मोर्चा के राष्ट्रीय संयोजक देवकीनंदन बेदिया ने कहा कि आदिवासीे पुरखों तिलका मांझी, सिद्धू-कान्हू, चांद-भैरव, फूलो-झानो, नीलाबंर-पीताबंर, वीर वुद्धू भगत, जीतराम बेदिया, टिकैत उमराव सिंह, शेख भिखारी और वीर बिरसा मुंडा ने ब्रिटिश उपनिवेश के खिलाफ अनवरत संघर्ष व विद्रोह करते हुए सर्वस्व न्यौछावर कर दिए. आज फिर भाजपा की फासीवादी सत्ता आदिवासियों को जल-जंगल-जमीन से बेदखल करने पर उतारू है. आदिवासियों के ऊपर राज्य दमन बढ़ रहा है और उनके संवैधानिक अधिकारों को छीना जा रहा है.

नरेश बडाईक द्वारा राष्ट्रपति महोदया के नाम प्रेषित मांग पत्र के पाठ के बाद एक प्रतिनिधिमंडल ने एसडीओ, रामगढ़ को यह मांग पत्र सौंपा.

– देवकीनंदन बेदिया


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आदिवासी संगठनों ने भू-माफिया के कब्जे में पड़ी जमीन मुक्त कराई

झारखंड जमीन लूट का ‘हब’ बन चुका है. झारखंड के मूलनिवासी आदिवासियों को कभी डरा कर तो कभी धमका कर और कभी मारपीट कर जबरन उनकी जमीनों को छीन लेने और जमीन दलालों द्वारा उस पर कब्जा लिए जाने की घटनाएं प्रायः आम हो गई. ऐसे मामलों में प्रशासन की भूमिका बहुत ही नकारात्मक रहती है. प्रशासन ऐसे मामलों से बखूबी वाकिफ रहता है लेकिन कई बार सूचना देने और यहां तक कि 144 धारा लागू होने के बावजूद भी वह निष्क्रिय बना रहता है. भूमि दलाल बिना बेखौफ होकर आदिवासियों की जमीन पर ढांचा खड़ा करने में लगे रहते हैं. ऐसी घटनाओं का प्रतिरोध करने के लिए आदिवासियों और अन्य लोगों को एकजुट कर इसके खिलाफ आंदोलन करने के लिए प्रेरित करना बहुत जरूरी हो गया है.

विगत 12 मई 2023 को आदिवासी संघर्ष मोर्चा और अन्य आदिवासी संगठनों के कार्यकर्त्ताओं ने पिस्का मोड़ स्थित टंगरा टोली में हिंदुवा तिर्की व पुतुल तिर्की की खतियानी जमीन पर अवैध रूप से कब्जा किए भूमि दलालों द्वारा निर्मित चारदीवारी को तोड़ डाला और उस जमीन को बड़ी कंपनियों को बेच देने की साजिश को विफल कर दिया. आदिवासी संघर्ष मोर्चा और अन्य आदिवासी संगठनों से जुड़े सैंकड़ो लोग लाल झंडा व सरना झंडा लिए मार्च करते हुए उक्त जमीन पर पहुंचे और आदिवासियों की जमीन की लूट के खिलाफ नारे लगाते हुए महज एक घंटे में ही दो एकड़ ज़मीन पर बनी मजबूत चारदीवारी को तोड़ डाला. आदिवासियों के उग्र अक्रोश को देखते हुए वहां पहुंची सुखदेव नगर पुलिस बैरंग वापस लौट गई.

जमीन मालिक पुतुल तिर्की ने बताया, ‘धारा 144 लागू होने के बावजूद दलालों ने मेरी जमीन पर निर्माण कार्य कराया. पुलिस मुझे संरक्षण देने की जगह जमीन हड़पने वालों दलालों व भू-माफियाओं के पक्ष में ही खड़ी रही.’

घटनास्थल पर सभा को संबोधित करते हुए आदिवासी नेता राजेश लिंडा ने कहा कि सीएनटी एक्ट रहने के बावजूद आदिवासियों की जमीन की लूट जारी है. पूरे रांची शहर में जमीन लूट के खिलाफ आंदोलन तेज होगा.

आदीवासी संघर्ष मोर्चा की नेत्री अलमा खलखो ने कहा कि आदिवासी शहादत देगें, लेकिन जमीन लूटने नही देगें. आदिवासी संघर्ष मोर्चा समूचे झारखंड में जमीन, आदिवासी पहचान और झारखंडी संस्कृति की रक्षा के लिए संघर्ष तेज करेगा. भाकपा(माले)के राज्य कमिटी सदस्य भूवनेश्वर केवट ने कहा कि झारखंड के अलग राज्य और रांची के राजधानी बनने के बाद से भूमि माफिया, पुलिस और दलालों का काफी मजबूत गठजोड़ बना है जो फर्जी कागजात बनवाकर विवाद खड़ा करता है और पैसों के बल पर जमीन की लूट करता है. उनके जरिये आदिवासियों की सामाजिक व सामूहिक भूमि – अखड़ा, मसाना, डाली, कतारी ओर पहनाई जमीन को भी हड़पा जा रहा है. सरकार व उसकी संस्थायें जमीन की इस लूट पर लगाम कसने में पूरी तरह विफल है. झारखंड ‘लूटखंड’ और कारपोरेट कंपनियों का का ‘चारागाह’ बनते जा रहा है. सरकार को विधानसभा को एक विशेष कमिटी बनाकर इस पर रोक लगाना चाहिए. यहां की जनता, खासकर आदिवासियों को इस जमीन लूट के खिलाफ एक बड़ा आन्दोलन खड़ा करना होगा.

आंदोलन में जमीन मालिकों के अलावे संजीव उरांव, शनिचरवा मुंडा, लालो तिर्की, संजीव उरांव, लीलावती देवी, सोमा मुंडा, अंजला तिग्गा, जगदीश गांझू, बुधवा उरांव ने मुख्य भूमिका निभाई.

– नन्दिता भट्टाचार्य

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