वर्ष - 31
अंक - 51
17-12-2022

- मनमोहन

युद्ध और संकट में फंसी दुनिया मे फीफा वर्ल्ड कप 2022 सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय खेल आयोजन रहा. कतर में हो रहे वर्ल्ड कप मैचों के लिए कुल 30 लाख टिकट बिके और लाखों लोगों ने टीवी पर महीने भर चलने वाले फ़ुटबाॅल मैच देखे.

वर्ल्ड कप में भाग न लेने के बावजूद फिलिस्तीन फीफा वर्ल्ड कप 2022 का असली विजेता है. फिलिस्तीनी अवाम से एकजुटता जाहिर करते हुए लगभग हर मैच में फिलिस्तीनी झंडा लहराया गया. मोरक्को की टीम सेमीफाइनल में जगह बनाने वाली पहली अफ्रीकी टीम बन कर उत्पीड़ितों के हुनर और सम्मान की मिसाल बन गई और नव-उपनिवेशवाद को झेल रही जनता इस शोहरत पर इतरा उठी. मोरक्को की टीम ने सेमीफाइनल में फ्रांस द्वारा हारने के बाबजूद फुटबाॅल वर्ल्ड कप में अपना दबदबा कायम रखा और माघरेब (उतरी अफ्रीकी और अरब दुनिया का पश्चिमी हिस्सा) की टीम को इस बात का पूरा श्रेय जाता है कि उसने खेल में बेहतर हुनर का प्रदर्शन किया और सबसे अहम बात कि फिलिस्तीन के लोगों के साथ असली एकजुटता को जाहिर किया. आखिरकार फुटबाॅल राजनीतिक है और फुटबाॅल में हमेशा राजनीति रहेगी. मोरक्को मैच तो जरूर हार गया, लेकिन वह सब कुछ जीत गया जो एक सच्चे फुटबाॅल प्रेमी की निगाह में जीता जा सकता है – सम्मान!

दोहा से प्राप्त अनेकों वीडियो में हजारों प्रशंसकों को फिलिस्तीन की आजादी का नारा लगाते हुए देखा जा सकता है. टयूनीशिया और ऑस्ट्रेलिया के बीच मैच के दौरान उपस्थित दर्शकों ने फिलिस्तीन के लिए एक बड़ा बैनर भी लगाया. दर्शकों द्वारा फिलिस्तीनी झंडे लहराने से लेकर पारंपरिक हेड ड्रेस, बाजूबंद और स्कार्फ तक पर फिलिस्तीनी स्मृति चिन्ह को पहने दर्शकों को अनेक वीडियो फुटेजों में देखा जा सकता है.

दर्शक दीर्घा से लेकर अरब दुनिया की सड़को और गलियों के अलावा दुनिया भर में सोशल मीडिया पर भी ‘फ्री फिलिस्तीन’ का नारा गुंजायमान होता रहा. इस भारी एकजुटता ने इजरायली कब्ज़े में रह रहे फिलिस्तीनियों को एक बड़ा भरोसा  देने का काम किया है.

विजेता टीमों ने अपनी जीत का जश्न मनाने के लिए अपने देश के अलावा फिलिस्तीनी झंडे को भी प्रदर्शित किया. फिलिस्तीन के लिए एकजुटता की भावना इतनी सर्वव्यापी थी कि फिलिस्तीन को विश्व कप में 33वीं टीम कहा जाने लगा.

अन्य छोटी वीडियो क्लिपों में पश्चिमी देशों के प्रशंसकों को फिलिस्तीन के लिए अपना समर्थन जाहिर करते हुए और फिलिस्तीनी झंडे को लहराते हुए देखा जा सकता है. गाजा और बेथलहम मे रहने वाले फिलिस्तीनियों ने यह साझा किया है.

“उनके लिए सबसे खुशी की बात है कि वे वर्ल्ड कप की प्रतियोगिता का हिस्सा न होकर भी फिलिस्तीन का  प्रतिनिधित्व मजबूती से होते देख रहे हैं! फिलिस्तीन का समर्थन ज्यादातर दर्शकों ने किया चाहे वे अरब हों या विदेशी, और जिस तरह से विश्व कप में फिलिस्तीनी झंडा नजर आया वैसी एकजुटता दिखने की उम्मीद नहीं थी.”

प्रतिरोध का प्रतीक मोरक्को टीम

इस वर्ल्डकप में व्यापक अरब समुदाय की एकजुटता की एक झलक दिखायी पड़ी जो टूर्नामेंट के आखिर में स्पेन और पुर्तगाल जैसे फुटबाॅल दिग्गजों को हराकर सेमीफाइनल में पहुंचे मोरक्को की राष्ट्रीय टीम के लिए भारी समर्थन से जाहिर हुआ. अफ्रीका को गुलाम बना उपनिवेश बनाने वाले देशों में शामिल – बेल्जियम, स्पेन और पुर्तगाल पर मोरक्को की जीत ने दुनिया भर के प्रशंसकों के लिए जश्न का माहौल  तैयार कर दिया.

मोरक्को पहला अफ्रीकी/अरब देश बन गया है जिसने सेमीफाइनल में जगह बनायी. मोरक्को की टीम की सफलताओं का जश्न अफ्रीका, अरब दुनिया और प्रशंसकों द्वारा पूरी दुनिया मे मनाया गया. मोरक्को फिलिस्तीन के लिए भी झंडाबरदार बन गया. उसने स्पेन की टीम पर जीत  के बाद मीडिया में फिलिस्तीनी झंडों को लहराते हुए अपनी तस्वीर और वीडियो को साझा किया.

फिलिस्तीनी टीम की भागीदारी क्यों नही

वर्ल्डकप में फिलिस्तीन के लिए समर्थन के उफान ने यह सवाल खड़ा कर दिया कि मध्य-पूर्व में आयोजित होने के बावजूद फिलिस्तीनी राष्ट्रीय टीम ने विश्व कप में भागीदारी क्यों नहीं  की? इजरायल के रंगभेद की नीतियों की शिकार फिलिस्तीन की फुटबाॅल टीम भी है और प्रताड़ना के शिकार खिलाड़ियों की हत्या भी कर दी जाती है. उदाहरणार्थ 2014 में गाजा पर हुए इजरायली हवाई हमलों में फिलिस्तीनी फुटबाॅल किंवदंती के रूप में मशहूर अहद जकाउत को मार डाला गया जिन्होंने 1994 में फीफा वर्ल्ड कप में फ्रांस के खिलाफ खेला था. इजरायल द्वारा फिलिस्तीन के एथलीटों और अन्य खिलाड़ियों को भी जान-बूझकर निशाना बनाया जाता है.

कतर में वर्ल्ड कप की रिपोर्टिंग कर रहे इजरायली पत्रकारों ने बताया कि यहां इजरायल नहीं है, सिर्फ फिलिस्तीन है. इजरायल, इजरायली पत्रकारों और इजरायली रंगभेद की नीतियों को सीधे और साफतौर से इस टूर्नामेंट ने नामंजूर कर दिया. एक वायरल वीडियो में दिखाया गया है कि खेल प्रशंसक इजरायली पत्रकारों से बात करने से इनकार कर रहे हैं और उनसे बात करने के लिए इजरायली पत्रकार झूठ बोल रहे हैं कि वे दूसरे देश से हैं. न सिर्फ अरब प्रशंसक बल्कि जापान और ब्राजील जैसे देशों के प्रशंसक भी इजरायली रंगभेद को खारिज करते नजर आए. एक सऊदी प्रशंसक को इजरायली पत्रकार से यह कहते स्पष्ट रूप से कहते सुना जा सकता है – ‘आपका स्वागत नहीं है ...यहां कोई इजरायल नहीं है, केवल फिलिस्तीन है.’

अरबी अवाम ने पूरे टूर्नामेंट के दौरान खाड़ी देशों की प्रतिक्रियावादी सरकारों द्वारा 2020 के अब्राहम समझौते के मुताबिक इजरायल के साथ संबंधों को सामान्य बनाने की कोशिशों के खिलाफ अपनी असहमति को प्रदर्शित किया. इससे यह जाहिर होता है कि अरब जनता का नजरिया इजरायल के रंगभेद के खिलाफ और फिलिस्तीन की आजादी के लिए है और कि लोगों का दिल फिलिस्तीन के साथ हैं और इजरायल के रंगभेद को कभी मंजूर नहीं किया जाएगा.

संयुक्त राष्ट्रसंघ में फिलिस्तीनी राजदूत और पर्यवेक्षक रियाद मंसूर ने इसे सारांशित करते कहा है –

“कतर में वर्ल्ड कप ने इजरायल के फरेब और खुशफहमी को एक निर्णायक झटका दिया है. इस विश्व कप का विजेता पहले से ही पता है, यह फिलिस्तीन है, जिसका झंडा अरब दुनिया के हर कोने और दुनिया के बाकी हिस्सों में भी लोगों द्वारा प्रदर्शित किया जा रहा है ... और हर मैच में लोगों के बीच ‘फ्री फिलिस्तीन’ का नारा मौजूद है…”

अगर आप इस वर्ल्ड कप में मौजूद इजरायली पत्रकारों से पूछें तो वे बताएंगे कि फिलिस्तीन पर इजरायल के कब्जे को ‘सामान्य’ नहीं ठहराया जा सकता है, और फिलिस्तीन को लोगों के दिल और दिमाग से कोई जुदा नहीं कर सकता है.