आईपीएफ दौर के किसान नेता शहीद विशुन महतो के 35वीं शहादत दिवस पर रातू, गुड्डू के कृषक विद्यालय परिसर स्थित उनकी प्रतिमा पर मल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की गई. सर्वप्रथम विशुन महतो के सहयोगी विद्यालय के संस्थापक शुभेंदु सेन, भाकपा(माले) के रांची जिला सचिव भुवनेश्वर केवट व झारखंड आंदोलनकारी संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष राजू महतो ने माल्यार्पण किया. श्रद्धांजलि सभा को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि शहीद विशुन महतो 80 के दशक में रांची के लोकप्रिय जन नेताओं में से एक थे. उनकी अपार लोकप्रियता से डरकर ही उनकी हत्या कर दी गई. लेकिन राजनीतक हत्याओं से विचारों का अंत सम्भव नहीं है. आज उनके हत्यारों का राजनीतिक तौर पर सफाया हो गया है. उनकी शहादत जल-जंगल-जमीन आंदोलन के लिए हमेशा प्रेरणा स्रोत बनी रहेगी.
वक्ताओं ने कहा कि जबतक देश में संविधान और लोकतंत्र जिंदा है तबतक देश में सद्भावना और जन आकांक्षाओं को कुचला नहीं जा सकता है. शहीद बिशुन महतो हमारे सपनो और संघर्षों में जिन्दा रहेगें. श्रद्धांजलि सभा की अध्यक्षता मेलासा स्वेता तिर्की ने की. सभा को पुरन महतो, शिवदेव गोप, रामानंदन महतो, अर्जुन महतो, विद्यालय के सचिव अशोक महतो. झारखंडी फिल्मकार पिंटू प्रजापति, रविन्द्र महतो समेत कई वक्ताओं ने संबोधित किया. ज्ञात हो कि वर्ष 1985 में तिलता चौक पर वामपंथी किसान नेता विशुन महतो की हत्या कर दी गई थी. वे जनसंघर्षों की अगुआई करने की वजह से लंबे समय तक जेल में भी रहे. जेल से रिहा होने के बाद जब पहली बार उन्होंने हटिया विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा तो महज चंद वोटों से हारे थे. उनकी जीत के भय से दूसरी बार चुनाव से पहले ही उनकी हत्या कर दी गई.
– भुवनेश्वर केवट