मजदूर संगठन ऐक्टू और महिला संगठन ऐपवा ने 16 फरवरी को दौसा में लेबर चौक से लेकर समाहरणालय तक एक मार्च आयोजित किया जिसके अंत में प्रतिवाद सभा की गई. इस मौके पर बोलते हुए ऐपवा की जयपुर जिला सचिव मंजुलता ने कहा कि रामनगर और सत्कार काॅलोनी जैसी बस्तियां दो दशकों से मौजूद हैं, लेकिन वहां पेय जल, सड़क, नाली, शिक्षा व स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है. इनमें से कुछ बस्तियां पंचायतों में और कुछ बस्तियां नगर निकायों के अंतर्गत आती हैं, और इन दानों की सीमाओं को लेकर लगातार विवाद चलते रहते हैं. इन बस्तियों के निवासी गरीब, दलित, आदिवासी और अन्य पिछड़ी पृष्ठभूमि से आते हैं, और वे अधिकांशतः असंगठित श्रम क्षेत्रों में काम करते हैं. वे लंबे समय से यहां रह रहे हैं, लेकिन कई परिवारों के राशन कार्ड खाद्य सुरक्षा से नहीं जुड़े हैं और यहां तक कि वोटर लिस्ट में भी उनके नाम नहीं हैं जिसके चलते स्थानीय राजनीति में उनकी कोई आवाज नहीं है.
जिले की ऐपवा कार्यकर्ता विमला ने कहा कि नाली निकासी की सुविधा न रहने के चलते रामनगर और सत्कार काॅलोनी में गंदगी भरी हुई है जिसके कारण संक्रामक रोगों के फैलने का खतरा बना रहता है. निर्माण मजदूर यूनियन के कार्यकर्ता मुरारी ने कहा कि सड़कों पर रोशनी नहीं रहने से काम से लौटती महिला श्रमिक खुद को असुरक्षित महसूस करती हैं, और छेड़खानी व चोरी की घटनाएं आम बात बन गई हैं. आर्थिक रूप से कमजोर रहने के बावजूद उन्हें पेय जल के टैंकरों के लिए पैसा चुकाना पड़ता है, ओर इस पानी में उफंचे स्तर का फ्रलोराइड पाया जाता है.
बस्ती निवासी ओम प्रकाश और भगवान सहाय ने कहा कि स्थानीय स्तर पर सरकारी स्कूल नहीं हैं. देर में समाहरणालय के पास एक सरकारी स्कूल है, लेकिन वहां भी शिक्षकों और अन्य बुनियादी सुविधाओं के अभाव के चलते शिक्षा का स्तर कापफी खराब है. लोगों को उफंची फीस देकर अपने बच्चों को निजी स्कूलों में भेजना पड़ता है, जोकि निःशुल्क गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के उनके बुनियादी अधिकार पर हमला है. चेतराम ने कहा कि यहां सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्र भी नहीं है जिसके चलते निवासियों को इलाज के लिए मंहगे निजी अस्पतालों पर निर्भर रहना पड़ता है.
ऐक्टू राज्य सचिव सौरभ नरुका ने कहा कि जिन मजदूरों ने दौसा को बनाया है, वे इन बस्तियों में रह रहे हैं जहां कोई बुनियादी सुविधा नहीं है, और सरकारों को इनके बारे में कोई चिंता ही नहीं है. इस मामले में कार्रवाई के लिए जिला प्रशासन को एक ज्ञापन दिया गया है. हमें आशा है कि प्रशासन इसपर संज्ञान लेगा और यहां के निवासियों को राहत प्रदान करने के लिए तत्काल कार्रवाई करेगा, जिससे उनका जीवन-स्तर ऊंचा उठ सके. इस मौके पर जयपुर से भी ऐक्टू कार्यकर्ता आए थे और उन्होंने दौसा श्रमिकों के प्रति अपना समर्थन जाहिर किया.